जिले की कई सड़कें बनीं काल : 55 दिन में 46 मौत
जिले की कई सड़कें बनीं काल : 55 दिन में 46 मौतजिले की कई सड़कें बनीं काल : 55 दिन में 46 मौतजिले की कई सड़कें बनीं काल : 55 दिन में 46...
पटना का एसाइनमेंट पेज 4 सेकेंड लीड
जिले की कई सड़कें बनीं काल : 55 दिन में 46 मौत
80 से अधिक लोग हादसों में हुए जख्मी
बेहतर सड़कें बन रही दुर्घटना का कारण
फोटो:
एसएच 78 : एनएच 78 सरमेरा-बिहटा मार्ग, जिसपर हादसे अधिक हो रहे हैं।
बिहारशरीफ। हिन्दुस्तान प्रतिनिधि
नालंदा में सड़कों का जाल बिछ रहा है। कई फोरलेन, एसएच व सिंगल लेन सड़कें बनायी गयी है। इसके साथ ही बढ़ गया है सड़क हादसों का आंकड़ा। 2021 के पहले दो महीने यानी जनवरी व फरवरी के 55 दिनों में ही 46 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं। 80 से अधिक लोग जख्मी हुए हैं। फरवरी में अभी चार दिन बाकी है, यह आंकड़ा बढ़ सकता है। यानि दो महीने में ही 50 के करीब मौत।
यह अधिकारिक आंकड़ा है। मौत व घायलों की संख्या इससे कहीं अधिक है। कई लोग हादसों के बाद पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं या फिर घायलों का इलाज निजी अस्पताल में कराये जाते हैं। साफ है कि यह संख्या कहीं अधिक है। इन दो महीनों में ही 75 से अधिक सड़क हादसे हो चुके हैं। एक हादसे में 5 मवेशियों की भी मौत हो गयी थी।
नयी सड़कें बनी जानलेवा:
जिले का लाइफ लाइन है एनएच 20। पहले अधिक सड़कें नहीं थी तब यह हादसे का सबसे बड़ा क्षेत्र था। हरनौत से लेकर गिरियक तक एनएच 20 पर रोज कहीं ना कहीं हादसे होते हैं। अब तो हादसों के कई नये ब्लैक स्पॉट बन गये हैं। इनमें प्रमुख है एसएच 78। चंडी से सरमेरा तक यह सड़क कई भीषण हादसों का गवाह बन चुकी है। सरमेरा का गोपालबाद, चंडी का माधोपुर मोड़, बिन्द व नूरसराय थाना क्षेत्र में इस सड़क पर कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं।
औसत 25 मौतें होती है हर माह:
मौतों की बात करें तो जिले में हर माह औसतन 25 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है। पिछले साल भी सड़क हादसों में करीब 300 लोगों की जान गयी थी। वहीं हर महीने करीब 50 लोग हादसों में जख्मी हो जाते हैं। इनमें से कुछ लोग खुशकिस्मत होते हैं जिन्हें मामूली चोट लगती है। अधिकतर लोग जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाते हैं। इन्हें किसी तरह की कोई मदद भी नहीं मिलती है।
बाइक सवारों पर अधिक खतरा:
सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें बाइक सवारों की होती है। करीब 50 फीसदी मौत बाइक सवारों की होती है। इसका मेन कारण है तेज रफ्तार। कम उम्र के युवक तेज गति से बाइक चलाना अपनी शान समझते हैं। इस वजह से अक्सर हादसों का शिकार हो जाते हैं। मरने वाले बाइक सवारों में अधिकतर 15 से 30 साल के युवा होते हैं। दूसरे नंबर पर है ट्रैक्टर। ट्रैक्टर के कारण भी काफी संख्या में हादसे होते हैं। कई बार तो गाड़ी दूसरे को रौंद देती है। कई मामलों में तो चालक ही काल के शिकार हो जाते हैं।
बीमारियों की तुलना में अधिक घातक है हादसे:
सड़क हादसे कितने घातक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जानलेवा बीमारियों से भी अधिक मौतें इससे होती है। पिछले दो महीनों में जानलेवा बीमारियों जैस एईएस, डायरिया या फिर कोरोना से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है। साफ है कि सड़क हादसे किसी भी बीमारी या आपदा से अधिक घातक और जानलेवा है।
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