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आम : पहले मधुआ कीट तो अब आंधी-पानी से तबाही

आम : पहले मधुआ कीट तो अब आंधी-पानी से तबाहीआम : पहले मधुआ कीट तो अब आंधी-पानी से तबाहीआम : पहले मधुआ कीट तो अब आंधी-पानी से तबाहीआम : पहले मधुआ कीट तो अब आंधी-पानी से...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफMon, 10 May 2021 09:50 PM
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आम : पहले मधुआ कीट तो अब आंधी-पानी से तबाही

कुछ बगीचे में 60 तो कुछ में 90 फीसदी तक फसलों को नुकसान

पेड़ों में पत्ते तो हैं पर नहीं दिखते आम के टिकोले

इस बार लोकल आम के लिए तरसना पड़ेगा खरीदारों को

फोटो

आम : सरथा के पास आम के पेड़, जिसमें फल नहीं दिखते।

बिहारशरीफ। कार्यालय प्रतिनिधि

पहले मधुआ कीट से आम के मंजर काले हो गये। दाने नहीं लगे। अब आंधी-पानी ने रही-सही कसर निकाल दी। पिछले एक सप्ताह में दो बार आयी तेज बबंडर ने आम उत्पादकों की कमर तोड़ दी है। किसी बगीचे में 60 तो किसी में 90 फीसदी तक आम की तैयार फल गिर गये हैं। कई बगीचों के पेड़ में पत्ते तो हरियाली बिखेर रहे हैं। लेकिन, फल ढूंढने पर भी नहीं मिलते। कोरोना काल में आम बेचकर कमाई करने की उम्मीदें पाले बागवानों के चेहरे मुरझा गये हैं।

नालंदा जिले के अस्थावां में आम के बहुत सारे बगीचे हैं। इसका रकवा 30 बीघा से ज्यादा है। खासकर गिलानी का आम काफी मशहूर है। हरनौत के सरथा, चैनपुर, चंडी के रूपसपुर, इस्लामपुर, एकंगरसराय व अन्य प्रखंडों में आम की खेती होती है। इससे 10 हजार से ज्यादा किसान जुड़े हैं। फसल अच्छी होती है तो कमाई भी ठीकठाक हो जाती है। लेकिन, इसबार लोकल आम के लिए जिले के लोगों को तरसना पड़ेगा। आम उत्पादकों का कहना है कि टिकोले जब तैयार होने वाले थे तो आंधी-पानी ने तबाही मचा दी। हरनौत कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक विभा रानी कहती हैं कि मंजर लगने के सीजन में अचानक तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण कई बगीचों में मधुआ कीट का प्रकोप हुआ था। इससे मंजर काले हो गये थे और टिकोले बहुत कम लग पाये। हालांकि, कई किसानों ने दवाओं का प्रयोग कर कीटों पर काबू पाया था।

बेचेंगे क्या, खाने के लिए भी नहीं बचे आम:

सरथा के अक्षय कुमार कहते हैं कि उनके आम के बगीचे में इस बार मंजर काफी लगे थे। लेकिन, मधुआ किट के प्रकोप से अधिकांश मंजर काले पड़ गये। 20 फीसदी ही टिकोले लग पाये। चार दिन पहले आयी तेज आंधी व बारिश से सारे फल झड़ गये। नौबत यह कि पेड़ में खोजने पर भी कहीं आम नजर नहीं आते हैं। अब बेचेंगे क्या, खाने के लिए भी आम मयस्सर नहीं होगा। सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गयी। हरनौत से चंडी जाने वाले रोड में सड़क के किनारे दर्जनों आम के पेड़ लगे हैं। लेकिन, फल किसी में नहीं नजर आते।

आंधी ने तबाह कर दी फसल:

गिलानी के सब्बा आजम कहते हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार उनके बगीचे में मंजर कम आये थे। फसल जब तैयार होने वाली थी तो आंधी ने कहर बरपा दिया। काफी नुकसान हुआ है। गिलानी के आम के मुरीद हर कोई हैं। नालंदा ही नहीं आसपास के जिलों के व्यापारी भी खरीदारी करने आते हैं। लेकिन, इसबार मौसम के प्रकोप से आम उत्पादकों की कमर टूट गयी है।

नियमित करें बगीचे की सिंचाई:

कृषि वैज्ञानिक विभा रानी कहती हैं कि आंधी से फसलों को नुकसान हुआ है। बच गये आम के टिकोले अब तैयार होने वाले हैं। किसानों को ध्यान देना है कि बगीचे की मिट्टी में नमी बने रहे। इसके लिए नियमित रूप से पौधों की सिंचाई करते रहना चाहिए। चूकि, छोटे फल भी बाजार में बिकते हैं। इसलिए वर्तमान में आम के पेड़ पर किटनाशक दवाओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए। नियमित सिंचाई करते रहने से फल गिरेंगे नहीं और उपज अच्छी मिलेगी।

नालंदा में आम कl कई वेरायटी:

मालदह, बम्बइया, गुलाबखास, अम्रपाली, मल्लिका, मिट्ठुआ, जर्दालू , कपूरिया, दशहरी, कलकतिया मालदह, सीपिया, अल्फांसो, सुकूल समेत 22 वेरायटी के आम के पौधे नालंदा के बगीचों में हैं।

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