कार्तिक पूर्णिमा पर 15 को श्रद्धालु लगाएंगे सरोवरों में डुबकी
अधिक जगह रहने पर लेंगे सर : कार्तिक पूर्णिमा पर 15 को श्रद्धालु लगाएंगे सरोवरों में डुबकी कार्तिक पूर्णिमा पर 15 को श्रद्धालु लगाएंगे सरोवरों में डुबकी
कार्तिक पूर्णिमा पर 15 को श्रद्धालु लगाएंगे सरोवरों में डुबकी नदी व तालाब के तट पर करेंगे विशेष पूजा-अर्चना पावापुरी, निज संवाददाता। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर 15 नवंबर को लाखों श्रद्धालु गंगा व अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाएंगे। इसके बाद नदी या तालाब के तट पर ही विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे धर्म, आस्था और पवित्रता का पर्व माना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के अंतिम दिन आता है। आचार्य पप्पू पांडेय ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली और त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी मान्यता के चलते लाखों श्रद्धालु इस दिन सरोवरों व अन्य पवित्र जलस्रोतों में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास में किए गए स्नान, दान और तप का विशेष महत्व होता है। गंगा स्नान और दीपदान का महत्व : पंडित पुरेंद्र उपाध्याय कहते हैं कि इस दिन न केवल गंगा में स्नान करना पवित्र माना जाता है, बल्कि दीपदान का भी विशेष महत्व है। गंगा घाटों पर श्रद्धालु दीपदान करते हैं। इससे गंगा जी के घाटों की शोभा और भी बढ़ जाती है। वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर भक्त गंगा स्नान और दीपदान करते हुए अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा की रात गंगा घाटों पर दीयों की रोशनी से पूरा वातावरण आलोकित हो जाता है। इसलिए इसे देव दीपावली भी कहा जाता है। धार्मिक आयोजनों की तैयारियां : प्रमुख तीर्थ स्थलों पर कार्तिक पूर्णिमा के लिए विशेष तैयारियां चल रही है। घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। तीर्थ स्थलों पर बड़े पैमाने पर भक्तों के आगमन की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। कार्तिक पूर्णिमा आस्था और उत्सव का संगम : कार्तिक पूर्णिमा का यह पर्व धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक है। इस दिन लोग नदियों, तालाबों और सरोवरों पर इकट्ठा होकर पूजा-अर्चना करते हैं। इससे वातावरण में दिव्यता और पवित्रता का संचार होता है। इस पवित्र दिन पर स्नान और दान करके लोग अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं।
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