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नौकरी छोड़ खेती में जुटे किसान विनोद तो खेती को बना दिया उद्योग

नौकरी छोड़ खेती में जुटे किसान विनोद तो खेती को बना दिया उद्योग नौकरी छोड़ खेती में जुटे किसान विनोद तो खेती को बना दिया उद्योग

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSun, 6 April 2025 08:47 PM
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नौकरी छोड़ खेती में जुटे किसान विनोद तो खेती को बना दिया उद्योग

नौकरी छोड़ खेती में जुटे किसान विनोद तो खेती को बना दिया उद्योग चार सौ किसानों को शेयरधारक बनाकर आज बेच रहे 22 प्रकार के प्रोडक्टस आधुनिक और व्यावसायिक खेती के विनोद को मिल चुके हैं दो दर्जन पुरस्कार फोटो 06 शेखपुरा 01 - खेत से उपजी हल्दी को दिखाते काशी बिगहा के किसान विनोद सिंह। शेखपुरा, हिन्दुस्तान संवाददाता। पहले दिल्ली की सरकारी नौकरी त्यागी। फिर राजनीति को ठोकर मारी और उतर गये खेती में। खेती भी ऐसी की कि आज खेती को उद्योग में बदल डाला। बरबीघा के काशी बिगहा के किसान विनोद सिंह जिले में जैविक और व्यावसायिक खेती के नजीर बन गये हैं। जिले के कई किसान इनसे प्रेरित होकर इन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर खेती से अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। काशीबिगहा के इस किसान को बिहार और भारत सरकार से दो दर्जन से अधिक पुरस्कार मिल चुका है। इतना ही नहीं अपने साथ चार सौ किसानों की भी तकदीर बनने के लिए उन्होंने काशीबिगहा फार्मर प्रोडयूशर लिमिटेड कंपनी बनाई है। सरकारी मदद से खेतों में उपजे मसाले से पाउडर बनाकर उसकी पैकिंग करने की मशीन लगा रहे हैं। उत्पादन से लेकर समान बेचने तक का पाई-पाई का हिसाब और चार सौ शेयर होल्डरों को बकायदा हर माह का हिसाब देकर उनके खाते में मुनाफे की राशि भी पूरी पारदर्शी तरीके से भेजी जा रही है। 2015 से खेती की दुनिया में कदम रखने वाले किसान विनोद सिंह आज पूरे जिला के लिए आईकॉन बन गये हैं। 22 प्रकार के उत्पाद की कर रहे बिक्री : किसान ने बताया कि भारत सरकार की मदद से तीन साल पहले फार्मर प्रोडयूशर कंपनी की शुरुआत की गई। इसमें सरकार के 50 फीसदी अनुदान पर एक हजार और दो हजार रुपये का शेयरधारक बनाते हुए अभी तक चार सौ किसानों को कंपनी से जोड़ा गया है। किसानों को खाद बीज उपलब्ध कराने के अलावा इनके उत्पाद को कंपनी खरीदती है और फिर ब्रांडिंग कर बाजार में बेचती है। अभी कंपनी 22 प्रकार के प्रोडक्टस हैं, जिसमें स्थानीय स्तर पर उपजे हल्दी, मिर्च और धनिया के पावडर के अलावा सहजन, मशरुम, बथुआ, परम का पावडर के अलावे मशरुम बरी, बथुआ बरी, केला पपीता, स्ट्राबेरी, मुगदा चावल, काला गेहूं और काला चावल बेचा जा रहा है। किसान ने बताया कि प्रोसेसिंग मशीन लगने के बाद व्यवसाय को और विस्तार दिया जायेगा। मसाले को सरकारी स्कूलों में खपाने की मांग सभी प्रकार के मसाले की खेती स्थानीय स्तर पर की जाती है। किसान विनोद सिंह ने बताया कि यदि जिला के सभी सरकारी स्कूलों में इस मसाले के उपयोग को अनिवार्य कर दिया जाय तो बाजार भी बढ़ेगा और बच्चों को अच्छी क्वालिटी का मसाला कम कीमत पर ही मिल जायेगी। किसान ने डीएम और डीईओ से जिला के सभी सरकारी स्कूलों में लोकल मसाले का उपयोग कराने की मांग की है।

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