गांवों में गैस की मांग 50 फीसद हुई कम
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कोरोना इफेक्ट :
गांवों में गैस की मांग 50 फीसद हुई कम
रोजगार खत्म होने से नहीं हो रही कमाई, फिर से लकड़ी पर खाना बनाने लगे दिहाड़ी मजदूरों के परिजन
बढ़ती महंगाई व कम होती कमाई से ग्रामीण इलाकों में कम हुई मांग
फोटो:
हरनौत गैस : हरनौत में उज्ज्वला योजना की जानकारी देते गैस वितरक वशिष्ट नारायण सिंह। (फाइल फोटो)
बिहारशरीफ। निज संवाददाता
कोरोना की दूसरी लहर का असर उज्ज्वला योजना पर भी पड़ा है। इसके तहत गांवों में गैस की मांग हाल के दिनों में 50 फीसदी तक कम हुई है। जिले में लगभग 30 हजार महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन दिया गया है। लेकिन, पहले से ही महज 40 फीसदी यानि 12 हजार कनेक्शन पर नियमित तौर से गैस का उठाव हो रहा है। लेकिन, लॉकडाउन के कारण इसमें भी भारी गिरावट दर्ज की गयी है। तीन माह में गैस का 115 रुपए महंगा होना व इस योजना से जुड़े लोगों की कमाई का जरिया खत्म होना इसका मुख्य कारण है।
रोजगार खत्म होने से गरीबों की कमाई नहीं हो रही है। ऐसे में लोग फिर से लकड़ी व गोईठा (उपला) से खाना बनाने को बाध्य हो रहे हैं। जेपी इंटरप्राइजेज के गैस वितरक वशिष्ट नारायण सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के कारण ग्रामीण इलाकों में अचानक से गैस की मांग आधी हो गयी है। बढ़ती महंगाई व कम होती कमाई से ग्रामीण इलाकों में लगातार मांग कम होती जा रही है।
701 से 906 रुपए हुई सिलेंडर की कीमत:
गरीबों की कमाई भले ही खत्म हो गयी है। लेकिन, महंगाई की रफ्तार नहीं थमी। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत इन पांच माह में 115 रुपए बढ़ चुकी है। जनवरी व फरवरी में गैस 791 रुपए 50 पैसे में उपलब्ध थी। मार्च में अचानक से 25 रुपए बढ़कर 716 रुपए 50 पैसे हो गयी। हालांकि, अप्रैल व मई में इसकी कीमत में थोड़ी गिरावट आयी। यह गैस लोगों के लिए 906 रुपए 50 पैसे में उपलब्ध थी। बावजूद गैस की मांग में कोई इजाफा नहीं हुआ।
कैसे लें गैस नहीं हो रही कमाई:
तेलमर गांव की मुन्नी देवी, आशा देवी, रीता देवी व अन्य उपभोक्ताओं ने बताया कि सरकार ने घर तक गैस तो पहुंचा दी है, लेकिन जब कमाई ही नहीं हो रही है तो पैसे कहां से आएंगे। परिवार के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करने में ही पसीने छूट रहे हैं। कर्ज लेकर भोजन की व्यवस्था करनी पड़ रही है। फिलहाल गर्मी का मौसम है। जहां-तहां से जलावन की व्यवस्था हो जा रही है। लकड़ी व उपला से सुबह-शाम चूल्हा जल रहा है। गैस वितरक अरविंद कुमार ने बताया कि महिलाओं को धुआं से मुक्ति दिलाने के लिए उज्ज्वला योजना चलायी गयी थी। शुरुआती में इसका लोगों ने फायदा उठाया। पर लॉकडाउन के कारण एक बार फिर से ऐसे परिवार गैस के प्रति रुझान नहीं दिखा रहे। पहले एक सप्ताह में छोटे वाहनों से गैस सिलेंडर ले जाने पर घट जाता था। अब शादी विवाह का मौसम होते हुए भी इसकी पूरी खपत नहीं हो पाती है। वितरक ने बताया कि नालंदा में इंडेन, हिन्दुस्तान व भारत पेट्रोलियम की गैस एजेंसियों से 30 हजार से अधिक उज्ज्वला योजना के उपभोक्ता जुड़े हुए हैं। लेकिन, नियमित रूप से गैस सिलेंडर लेने वालों की मौजूदा संख्या पांच हजार से अधिक नहीं है।
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