रिवाइज : रात में बूंदाबांदी, मौसम के बदले मिजाज से चिंता में किसान
रात में बूंदाबांदी, मौसम के बदले मिजाज से चिंता में किसान रात में बूंदाबांदी, मौसम के बदले मिजाज से चिंता में किसान
रात में बूंदाबांदी, मौसम के बदले मिजाज से चिंता में किसान धान की फसल अभी खेतों में तो टाल में रबी की बुवाई है शुरू बारिश होने पर धान की कटनी के साथ रबी की बुआई होगी प्रभावित फोटो शेखपुरा धान : शेखपुरा-बरबीघा रोड के किनारे खेतों में तैयार धान की फसल। शेखपुरा, हिन्दुस्तान संवाददाता। मानसून की भले विदाई हो गई हो। परंतु, अब भी आसमान में काले बादलों का उमड़ना जारी है। मौसम के बदले मिजाज से किसानों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी हैं। रविवार की रात को हुई बूंदाबांदी ने एक बार फिर बेमौस्म की बारिश की आशंका जता दी है। अभी दाना तूफान से हुई बारिश का असर समाप्त भी नहीं हुआ कि एक बार फिर बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है। इसी कारण से आसमान में बादल उमड़ रहे है। यदि एक दफा फिर तूफान के कारण बारिश होती है तो जिले के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। एक ओर कुछ किसानों की तैयार धान की फसल कटकर खेतों में पड़ी है तो कई किसानों की फसल पककर कटने को तैयार है। इतना ही नहीं घाटकुसुम्भा के टाल क्षेत्र में रबी फसल की बवाई का काम शुरू हो गया है। ऐसे में बारिश होती है तो किसानों को हर तरह से नुकसान झेलना पड़ सकता है। किसान अमरेंद्र प्रसाद ने कहा कि बारिश के साथ तेज हवा चलती है तो धान की तैयार फसल जमीन पर गिर जायेगी। खेतों में जलभराव होगा तो धान की बालियां सड़कर बर्बाद हो जाएंगी। वहीं, ताजा बुवाई हुई रबी फसलों को भी काफी नुकसान होगा। अरियरी कृषि विज्ञान केंद्र की मौसम वैज्ञानिक शवाना खातून ने बताया कि अभी बारिश की संभावना नहीं है। परंतु, पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर रहने के कारण मौसम में यह परिवर्तन देखने को मिल रहा है। 39170 हेक्टेयर में रबी की खेती का लक्ष्य: जिले में इस बार रबी फसल की 39170 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य निर्धारित की गयी है। जिला कृषि पदाधिकारी सुजाता कुमारी ने बताया कि अभी चनार मसूर के बीज का वितरण कराया जा रहा है।ल्द ही गेहूं के बीज का भी वितरण शुरू होगा। गेहूं की बुआई का लक्ष्य 22891 हेक्टेयर में तय किया गया है। इसी तरह, मसूर के लिए 6213 हेक्टेयर, चना के लिए 4311 हेक्टेयर, मक्का के लिए 1087 हेक्टेयर, खेसारी के लिए 1200 हेक्टेयर, मटर के लिए 880 हेक्टेयर और अन्य दलहन फसलों के लिए 435 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है।
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