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अधिक उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लें किसान

अधिक उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लें किसानअधिक उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लें किसानअधिक उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लें किसानअधिक उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लें...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSat, 23 Nov 2024 09:11 PM
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अधिक उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लें किसान रबी महाअभियान के तहत किसान प्रशिक्षण सह उत्पादन वितरण शिविर का आयोजन फोटो 23हिलसा01 : हिलसा प्रखंड कार्यालय में आयोजित रबी महोत्सव में किसानों को जानकारी देते अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार व अन्य। हिलसा, निज प्रतिनिधि। प्रखंड कार्यालय सभागार में शनिवार को रबी महोत्सव महाअभियान के तहत प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण सह उपादान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी रामानुज प्रसाद, बीडीओ अमर कुमार, सीओ इकबाल अहमद ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसमें दर्जनों किसानों ने भाग लिया। अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कहा कि रबी फसल की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को वैज्ञानिक तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए। फसल की बुआई से पहले बीजोपचार करना जरूरी है। इससे होने वाले फायदा व बीजोपचार के बारे में समुचित जानकारी दिया। साथ ही, जीरो टिलेज के बारे में भी बताया गया। कम लागत में अधिक उत्पादन के साथ-साथ बिना जुताई किए फसल लगाने की बातें कहीं। मित्र कीट भी मर जाते हैं: इस माध्यम से उर्वरक व बीज का एक साथ प्रयोग किया जाता है। सरकार द्वारा अनुदानित दर पर मिलने वाले चना, मसूर, मकई आदि की जानकारी दी। साथ ही, पराली जलाने पर किसान को नुकसान के बारे में बताया कि धान के अवशेष व पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता शक्ति कम होती है। क्योंकि, आग लगने से मिट्टी में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध जीवाश्म, नाइट्रोजन, फास्फोरस व अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ-साथ फसलों में किसानों के सहायक मित्र कीट भी जलकर नष्ट हो जाते है। पराली जलाने से हानि : पराली जलाने से पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण बुजुर्गों, बच्चों व सांस के रोगियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान समय में वायु प्रदूषण दिन-प्रति-दिन बढ़ता ही जा रहा है। किसानों को तेलहन दलहन के साथ बेबी कॉर्न की खेती करने पर भी जोर देने की जरूरत है। करें बेबी कॉर्न की खेती, होगा अधिक मुनाफा: उन्होंने कहा कि कम खर्च में बेबी कॉर्न की खेती की जा सकती है। दुनियाभर में मक्के की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। मक्के का इस्तेमाल कई खाद्य उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है। खासकर स्नैक्स बनाने में मक्के का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जा रहा है। भारत में मक्का खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में उपजाया जाता है। हालांकि, अगर आप बेबी कॉर्न की खेती करते हैं, तो आप अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकार भी किसानों को मक्के की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए लें सलाह: बीडीओ अमर कुमार ने कहा कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों का सहारा लेना जरूरी है। मिट्टी की जांच के बाद ही फसल बुआई का चयन करना बेहतर रहता है। इससे किसानों की आमदनी दोगुनी होगी। किसानों को रबी फसल के अलावा बागवानी और उद्यान की तरफ भी आकर्षित होने की जरूरत है। मौके पर वैज्ञानिक ज्योति कुमारी, थानाध्यक्ष अभिजीत कुमार, कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

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