डीएपी: किल्लत नहीं फिर भी दुकानदार वसूल रहे अधिक दाम
डीएपी: किल्लत नहीं फिर भी दुकानदार वसूल रहे अधिक दाम डीएपी: किल्लत नहीं फिर भी दुकानदार वसूल रहे अधिक दाम
डीएपी: किल्लत नहीं फिर भी दुकानदार वसूल रहे अधिक दाम गेहूं की बुवाई शुरू होते ही मांग बढ़ी, कालाबाजारियों की चांदी प्रति बैग 1350 रुपया है दाम, दुकानदार मांग रहे 17 से 18 सौ बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। कृषि विभाग के अनुसार नालंदा में डीएपी की किल्लत नहीं है। फिर भी दुकानदार कम आपूर्ति का बहाना बनाकर किसानों से अधिक दाम वसूल रहे हैं। सरकार द्वारा प्रति बैग निर्धारित कीमत 1350 रुपए है। लेकिन, 1700 से 1800 रुपए बोरा से कम में दुकानदार देने को तैयार नहीं है। विभाग कालाबाजारी पर फुल स्टॉप लगाने के लिए दावे चाहे जितना करे। कारोबारी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। गेहूं की बुवाई शुरू होते ही डीएपी की मांग काफी बढ़ गयी है। ऐसे में कालाबाजारी करने वाले चांदी काटने की फिराक में लग गये हैं। बेचारे किसान न चाहकर भी अधिक कीमत पर डीएपी खरीद रहे हैं। जिले में 750 से अधिक खुदरा तो करीब 32 थोक कारोबारी हैं। वर्तमान में करीब 324 खुदरा दुकानों में डीएपी का करीब 1244 टन स्टॉक है। अमूमन अधिकांश किसान गेहूं के बीज बोने के दौरान डीएपी को प्राथमिकता देते हैं। इस वजह से अभी सबसे ज्यादा डीएपी की खपत है। मुनाफाखोरों से किसानों को बचाने के लिए उर्वरकों की सरकारी दर तय की गयी है। बैग पर मूल्य भी अंकित है। बावजूद, तय दाम पर किसानों को डीएपी नहीं मिल रही है। नूरसराय के किसान धनंजय कुमार, महेश प्रसाद, राकेश कुमार व अन्य बताते हैं कि पहले तो दुकानदार डीएपी का स्टॉक खत्म होने का बहाना बनाते हैं। काफी मान मनौव्वल के बाद देने को तैयार होते हैं तो मुंहमांगा कीमत मांगते हैं। दाम कम करने की बात करते हैं तो दुकानदार का जवाब होता है, महंगा खरीदेंगे तो महंगा बेचेंगे। डीएपी की जगह डाल रहे एसएसपी और यूरिया: महंगी डीएपी खरीदने से बचने के लिए किसान विकल्प तलाश रहे हैं। गेहूं की बुआई के दौरान प्रति कट्ठा डेढ़ से दो किलो डीएपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जगह तीन से साढ़े तीन किलो एसएसपी और डेढ़ किलो यूरिया का इस्तेमाल प्रति कट्ठा खेती में किसान कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस तरीके को अपनाने से काफी कम खर्च आता है। राहत यह भी कि यूरिया और एसएसपी हर दुकान में उपलब्ध है। आसानी से मिल जाती है। किसानों की लाचारी का उठा रहे फायदा: अस्थावां के प्रेम रंजन, चंडी के वीरेन्द्र कुमार, रहुई संतोष कुमार कहते हैं कि दुकानदार किसानों की लाचारी का फायदा उठा रहे हैं। अभी गेहूं की लगौनी का मुख्य समय है। तापमान में गिरावट होने के कारण खेती-बाड़ी में तेजी आएगी। किसान न चाहते हुए भी अधिक दाम पर डीएपी खरीदने को मजबूर हैं। मांगते हैं अधिक दाम तो करें फोन डीएओ राजीव कुमार कहते हैं कि कालाबाजारियों पर नकेल कसने और किसानों की शिकायतों के निपटारे के लिए जिला कृषि कार्यालय में उर्वरक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। दुकानदार निर्धारित दर से ज्यादा कीमत मांगते हैं तो किसान टेलीफोन नंबर 06112-231143 पर कार्यालय अवधि में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। पंचायत स्तर पर कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार तो प्रखंडस्तर पर बीएओ से भी शिकायत की जा सकती है। डीएपी की किल्लत नहीं है। हर प्रखंड की दुकानों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिले में खाद का स्टॉक (टन में) : उर्वरक बचा स्टॉक यूरिया 12084 डीएपी 1244 एमओपी 485 एनपीके 1887 एसएसपी 3568
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