बालक की प्रथम शिक्षिका होती है माता
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बालक की प्रथम शिक्षिका होती है माता नालंदा खुला विवि में महिला सशक्तीकरण विषय पर हुआ कार्यक्रम फोटो: 04नालंदा01: नालंदा खुला विश्वविद्यालय में आयोजित महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम में अतिथि। नालंदा, निज संवाददाता। देश की आधी आबादी को सशक्त करने में शैक्षणिक संस्थानों की महती भूमिका होनी चाहिए। इतिहास गवाह है समाज उसी युग में उन्नत रहा है जब महिलायें पुरुषों के बराबर सशक्त रहीं। ये बातें नालंदा खुला विश्वविद्यालय परिसर द्वारा महिला सशक्तीकरण विषय पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो. संजय कुमार ने कहीं। कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में भी महिलाओं को समर्थ, सशक्त एवं सक्षम बनाकर ही हम उन्नत समाज के सपनों को साकार कर सकते हैं। महिलायें हर क्षेत्र में पुरुषों को बराबर की टक्कर दे रही हैं। एससीईआरटी के पूर्व निदेशक डा. मंजु लाल ने कहा महिलायें सृजनकर्ता हैं। माता ही बालक की प्रथम शिक्षिका हैं। वह बालक के व्यक्तित्व निर्माण में सर्वोपरि भूमिका निभाती हैं। मातायें बालकों में महिलाओं के प्रति आदर का भाव भरकर एक ऐसे समाज का निर्माण करती हैं, जहां महिला निश्चिंत रूप से सशक्त होंगी। समाज में पुरुषों के साथ मिलकर हर भूमिका में खरी उतरेंगी। हर्ष की बात है कि कुछेक अपवादों को छोड़ समाज में महिला सशक्तीकरण के प्रति सकारात्मक प्रयास जारी है। हमें विश्वास है यह प्रयास सफल होगा। समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण बदला है। वे निरंतर पुरुषों के समकक्ष स्थान पाने में सफल हो रही हैं। यह महिलाओं के सशक्त भूमिका के प्रति हमें आशांवित करता है। कुलसचिव प्रो. समीर कुमार शर्मा, प्राध्यापिका डा. पल्लवी, डा. संगीता, डा. मीना कुमारी समेंत अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में सैंकड़ों प्रबुद्ध महिलायें उपस्थित रहीं।
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