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श्रेष्ठ साहित्य वही, जो हममें गति और बेचैनी पैदा करे : डॉ. लक्ष्मीकांत

लोकार्पण समारोह में कहा भाषा के विकास के लिए बोलियों का संवर्धन जरूरी लोकार्पण समारोह में कहा भाषा के विकास के लिए बोलियों का संवर्धन जरूरी

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSun, 16 March 2025 11:12 PM
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श्रेष्ठ साहित्य वही, जो हममें गति और बेचैनी पैदा करे : डॉ. लक्ष्मीकांत

श्रेष्ठ साहित्य वही, जो हममें गति और बेचैनी पैदा करे : डॉ. लक्ष्मीकांत भाषा के विकास के लिए बोलियों का संवर्धन जरूरी बिहारशरीफ में ‘लोग का कही पुस्तक का साहित्यकारों ने किया लोकापर्ण फोटो : साहित्य : बिहारशरीफ के भैंसासुर में रविवार को ‘लोग का कही पुस्तक का लोकार्पण करते लेखक डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, साहित्यकार सुबोध कुमार सिंह व अन्य। बिहारशरीफ, निज संवाददाता। श्रेष्ठ साहित्य वही है, जो हममें गति और बेचैनी पैदा करे। सोचने पर मजबूर करे, हममें कुछ नया करने का साहस भरे। साहित्य हमें भविष्य की रूपरेखा तय करने में मदद करती है, तो इतिहास के माध्यम से हमें सचेत भी करती है। बिहारशरीफ के डुकारेल भवन में रविवार को ‘लोग का कही पुस्तक के लोकार्पण समारोह में लेखक डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि इस पुस्तक में ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों की जीवंत प्रस्तुती की गयी है। साहित्यकार सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि भाषा के विकास के लिए बोलियों का संवर्धन जरूरी है। हमें अपनी भाषा को गर्व के साथ बोलना चाहिए। इस पुस्तक (उपन्यास) में बोल चाल की मगही, हिंदी और भोजपुरी भाषा में चरित्रों का बहुत अच्छा वार्तालाप पेश किया गया है। लेखक ने ग्रामीण परिवेश की सच्ची घटना पर आधारित इस पुस्तक के माध्यम से पाखंड व अंधविश्वास पर तमाचा मारा है। उसके विरुद्ध आवाज उठाने का प्रयास किया है। उन्होंने प्रो. श्रीकांत के चरित्र के माध्यम से बिना लगन के ही शादी करने के साहस को पेश किया है। साथ ही इसमें आ रही परेशानियों, लोगों की टीका टिप्पणी और समाज के विरोध को दर्शाया है। चरित्र के माध्यम से लोगों को सच्चाई से रूबरू कराने का यह एक बहुत ही बेहतर प्रयास है। इसकी खासियत है कि चरित्रों के बीच के वार्तालाप को उनकी ही भाषा में पेश करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि ‘लोग का कही डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह का तीसरा उपन्यास है। इसके पहले 'डुकारेल की पूर्णिया' और 'स्वर्ण गुफा' को आम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी है। मौके पर साहित्यकार बुद्ध वप्रकाश, धनंजय श्रोत्रिय, बेनाम गिलानी, शायर नवनीत कृष्ण, शंखनाद के प्रो. शकील अहमद अंसारी, धीरज कुमार, प्रो. विश्राम प्रसाद, प्रिया रत्नम, अरुण बिहारी शरण, संजय कुमार शर्मा, मनीष चंद्र राय, विजय कुमार, राकेश, अमर सिंह, सुरेश प्रसाद व अन्य मौजूद थे।

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