छंद से ही कविता होती है कालजयी : डॉ. अनिल सुलभ
छंद से ही कविता होती है कालजयी : डॉ. अनिल सुलभछंद से ही कविता होती है कालजयी : डॉ. अनिल सुलभछंद से ही कविता होती है कालजयी : डॉ. अनिल सुलभछंद से ही कविता होती है कालजयी : डॉ. अनिल सुलभ

छंद से ही कविता होती है कालजयी : डॉ. अनिल सुलभ राजगीर में दो दिवसीय कवि सम्मेलन में छंद पर हुआ मंथन कहा- कालजयी साहित्य की पहचान है छंदबद्ध रचनाएँ फोटो : कवि सम्मेलन: राजगीर में शनिवार को कवि सम्मेलन का उद्घाटन करते अनिल सुलभ, कवि विजय गुंजन व अन्य। राजगीर, निज संवाददाता। छंद काव्य-साहित्य का प्राण है, जो कविताओं को दीर्घायु बनाता है। इसी कारण वेद, पुराण, उपनिषद आज भी जीवंत हैं। शनिवार को राजगीर में आयोजित दो दिवसीय कवि-सम्मेलन एवं साहित्योत्सव के उद्घाटन समारोह में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि छंद के कारण ही रामायण, महाभारत और रामचरितमानस जैसी कृतियां कालजयी बनीं। इसी से तुलसी, कबीर, रहीम, रसखान और विद्यापति अमर हो गए। जो कवि अपनी रचनाओं को दीर्घायु बनाना चाहते हैं, उन्हें छंद की साधना करनी होगी। साहित्य ही समाज को सकारात्मक दिशा दे सकता है। कविता न केवल पीड़ा हरती है, बल्कि जीवन संघर्ष के लिए नई ऊर्जा भी देती है। इस अवसर पर डॉ. सुलभ ने 'नौरंगी दोहे' तथा डॉ. धनंजय शरण सिंह की पुस्तक 'तिमिर भाता किसे?' का लोकार्पण किया। छंदशाला के अध्यक्ष आचार्य विजय गुंजन ने कहा कि छंद-परंपरा को सुदृढ़ करने के लिए संस्था ने 'ऋषि पिंगल काव्य-साधना पुरस्कार' और 'माँ मीरा काव्य-साधना पुरस्कार' की योजना शुरू की है। साथ ही, त्रैमासिक काव्य-गोष्ठी एवं वार्षिकोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि कुमार कांत ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि राश दादा राश और मंत्रिमंडल सचिवालय राजभाषा के उपनिदेशक डॉ. ओम प्रकाश वर्मा ने भी अपने विचार रखे। इसके बाद कवि-सम्मेलन हुआ, जिसमें 92 वर्षीय श्याम बिहारी प्रभाकर, आराधना प्रसाद, डॉ. मनोरमा सिंह 'अंशु' (उत्तर प्रदेश), डॉ. किरण सिंह (गोंडा), स्वरूप दिनकर (आगरा), डॉ. सुमन लता (औरंगाबाद), धनंजय शरण सिंह, प्रो. सुधा सिन्हा, ऋचा वर्मा, डॉ. रंजना लता, नीता केसरी, अनिल कुमार झा, डॉ. सुधा सिन्हा, सुनील कुमार, अनिता मिश्र 'सिद्धि', एम. के. मधु, डॉ. मीना कुमारी परिहार, शिव कुमार सिंह सुमन, राज प्रिया रानी, हरि नारायण सिंह 'हरि', डॉ. सुनंदा केसरी, राजेंद्र राज, ई. बांके बिहारी साव और डॉ. कुंदन सिंह 'लोहानी' सहित कई कवियों ने अपनी छंदबद्ध रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री डॉ. अभिलाषा सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन संस्था के प्रचार मंत्री उमेश सिंह ने किया।
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