Hindi Newsबिहार न्यूज़बिहारशरीफDevotional Celebration of Krishna s Childhood and Butter Theft in Kakariya Village

श्रीकृष्ण की बाल लीला और माखन चोरी के प्रसंग सुन श्रद्धालु हुए भाव विभोर

श्रीकृष्ण की बाल लीला और माखन चोरी के प्रसंग सुन श्रद्धालु हुए भाव विभोर श्रीकृष्ण की बाल लीला और माखन चोरी के प्रसंग सुन श्रद्धालु हुए भाव विभोर

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSun, 3 Nov 2024 09:47 PM
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श्रीकृष्ण की बाल लीला और माखन चोरी के प्रसंग सुन श्रद्धालु हुए भाव विभोर फोटो 03 नूरसराय 03 - ककड़िया गांव में शनिवार की शाम भागवत कथा के दौरान माखन चोरी प्रसंग की जीवंत प्रस्तुति। नूरसराय, निज प्रतिनिधि। प्रखंड के ककड़िया गांव के देवी स्थान के परिसर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास श्री पूज्य किशोरी कृष्ण नंदनी ने श्री कृष्ण की बाल लीला, माखन चोरी व गोवर्धन पूजा के प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। इसके पूर्व कथा व्यास ने श्रीकृष्ण भगवान के माखन चोरी की कथा सुनायी। माखन चोरी की लीला का वर्ण करते हुए किशोरी कृष्ण नंदनी ने कहा कि जब श्रीकृष्ण पहली बार घर से बाहर निकले तो उनकी वृज से बाहर मित्र मंडली बन गयी। सब बैठकर पहले योजना बनाते की किस गोपी के घर माखन की चोरी करनी है। श्री कृष्ण माखन लेकर बाहर आ जाते और सभी मित्रों के साथ बांटकर खाते थे। कथा पंडाल में विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए स्थानीय थाना की महिला दारोगा रंजीता कुमारी दल-बल के साथ तथा कार्यकर्त्ता नवीन कुमार निश्चल, बबलू सिंह, निरंजन यादव, उमेश कुमार, सुनंदा रानी, मृत्युंजय कुमार, रंजीत प्रसाद, मंटू कुमार सहित अन्य सर्किय दिखे। माखन चोरी व गिरिराज पर्वत की जीवंत प्रस्तुति : जैसे ही श्री कृष्ण माखन चोरी का प्रसंग समाप्त हुआ, वैसे ही कथा पंडाल में पूर्व दिशा की ओर से श्रीकृष्ण अपने बाल सखा के साथ पंडाल में पहुंचकर कई गोपियों के घर माखन चोरी कर खाने लगे। इस जीवंत प्रस्तुति को देख पंडाल में बैठे श्रोता एक बार राधे राधे,जय श्रीकृष्ण के नारे लगाकर आनंद लेते देखे गए। जीवंत प्रस्तुति को देखने के लिए हर कोई आतूर दिखे। वहीं, गोवर्धन पूजा का प्रसंग समाप्ति के बाद श्रीकृष्ण अपने छोटी उंगली पर गिरिराज पर्वत को उठा लिया। पर्वत को उठाते देख श्रोताओं ने तालियों के गड़गड़ाहट से कलाकारों को अभिवादन किया।

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