रिहाई का करना होगा इंतजार, हड़ताल से सुनवाई बाधित हुई तो नहीं मिली एक को भी जमानत
रिहाई का करना होगा इंतजार, हड़ताल से सुनवाई बाधित हुई तो नहीं मिली एक को भी जमानतरिहाई का करना होगा इंतजार, हड़ताल से सुनवाई बाधित हुई तो नहीं मिली एक को भी जमानतरिहाई का करना होगा इंतजार, हड़ताल से...
रिहाई का करना होगा इंतजार, हड़ताल से सुनवाई बाधित हुई तो नहीं मिली एक को भी जमानत ढाई हजार मामलों की सुनवाई टली, दूसरे दिन भी कोर्ट में छाया रहा सन्नाटा जमानत व सुनवाई के लिए पक्षकार लगाते रहे चक्कर दिनभर कोर्ट में रहने के बाद भी खाली जेब लौटे वकील फोटो : कोर्ट: सिविल व्यवहार न्यायालय परिसर में दूसरे दिन शुक्रवार को बेमियादी हड़ताल पर बैठे न्यायालयकर्मी। बिहारशरीफ/हिलसा, विधि संवाददाता। सिविल कोर्ट के तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का बेमियादी हड़ताल दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। इस कारण अब लोगों को रिहाई व जमानत के लिए इंतजार करना होगा। हड़ताल के कारण सुनवाई बाधित रही। एक को भी जमानत नहीं मिली। ढाई हजार से अधिक मामलों की सुनवाई टली। हड़ताल के कारण दूसरे दिन भी कोर्ट में दिनभर सन्नाटा छाया रहा। जबकि, परिसर में गहमा गहमी बनी रही। जमानत व सुनवाई के लिए पक्षकार चक्कर लगाते रहे। दिनभर कोर्ट में रहने के बाद भी अधिकतर वकील खाली जेब घर लौटे। बिहारशरीफ व हिलसा कोर्ट में न्यायिक काम पूरी तरह प्रभावित रहा। कई मामलों में दूर दराज से आए पक्षकारों व परिजनों को परेशानी झेलनी पड़ी व बिना काम के ही वापस लौटना पड़ा। इसका सबसे अधिक असर जेल में बंद विचाराधिन कैदियां पर पड़ा। उनकी जमानत पर सुनवाई नहीं हो सकी। हालांकि, सुनवाई के लिए जमानत के लगभग छह दर्जन मामले आए थे। सभी न्यायाधीश अपने निर्धारित समय पर इजलास पर बैठे। लेकिन, अभिलेख नहीं रहने के कारण सुनवाई नहीं कर सके। नालंदा जिला व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्याम सुंदर प्रसाद, सचिव सुशील कुमार व प्रवक्ता प्रशांत कुमार ने कहा कि हम लोगों की मांगों को लेकर राज्य सरकार से बातचीत चल रही है। राज्य सरकार या फिर हाई कोर्ट द्वारा पहले भी आश्वासन दिया जाता रहा है। अब भी आश्वासन मिल रहा है। बावजूद वार्ता जारी है। उन्होंने जिला में हड़ताल का असर शत प्रतिशत रहने का दावा किया है। नालंदा जिला अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष विनोद कुमार समेत कई अन्य अधिवक्ताओं ने बताया कि शराब पीने के जुर्म में जो पहली बार गिरफ्तार होकर कोर्ट आए थे। उसे कोर्ट द्वारा निर्धारित तिथि पर उपस्थित होने का आदेश देते हुए पर निजी मुचलका पर छोड़ा गया। जबकि गंभीर अपराध में कोर्ट द्वारा रिमांड किया गया। हालांकि अधिकांश कोर्ट में रिमांड के लिए कोई बंदी की पेशी नहीं हुई। हड़ताल में धर्मेंद्र कुमार, शैलेंद्र कुमार, बलवीर कुमार, सन्नी कुमार, मनोज कुमार, उदय कुमार, सुधीर कुमार, सुनील कुमार, शीला कुमारी, पूजा कुमारी व अन्य शामिल थीं। 18 सौ मामलों की सुनवाई टली : हिलसा व्यवहान न्यायालय के कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष विजय शंकर ने बताया की सभी प्रकार की वेतन विसंगति को जल्द से जल्द दूर किया जाय। प्रोन्नति व अनुकंपा पर बहाली जैसी मांगों को पूरा किया जाय। मांग पूरी होने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने दावा किया है कि हड़ताल की वजह से अपने काम को लेकर न्यायालय पहुंचे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। कोर्ट और कार्यालयों का दरवाजा खोलने और बंद करने की जिम्मेदारी तृतीय और चतुर्थवर्गीय श्रेणी के कर्मचारियों की ही होती है। यहां तक की फाइलों को अदालत तक भी ये पहुंचाते हैं। एडीजे वन के पेशकार प्रवीण कमल ने बताया कि हड़ताल की वजह से शुक्रवार को हिलसा व्यवहार न्यायालय में लगभग 1800 सुनवाई का मामला टला। जितना भी फैसला का केस आज रखा गया था, वो सारे टल गए हैं। इसके अलावा कोई एफआईआर रिसीव नहीं किया गया। कोई भी कैदी का रिमांड नहीं किया गया। कोई भी चार्ज सीट नहीं लिया गया। हिलसा अनुमंडल अंतर्गत विभिन्न थानों से आये मामलों की सुनवाई एवं 164 के पीड़ितों को बयान नहीं लिया जा सका। धरना में नीरज कुमार, प्रकाश कुमार, कमलेश कुमार, रामचन्द्र प्रसाद, अशोक कुमार रजक, हरेकृष्ण तिवारी, अबधेश प्रसाद, सुधीर कुमार, एलन किशोर, विजय शंकर, हरून रजा, रवि कुमार, प्रवीण कुमार, प्रवीण कमल, मुकेश कुमार, सतीश कुमार , पुष्कर कुमार, गौरव कुमार व अन्य शामिल थे।
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