मेक इन बिहार के तहत 11 जिलों के जंगलों-पहाड़ों की जड़ी-बूटियों की होगी बिक्री
मेक इन बिहार के तहत 11 जिलों के जंगलों-पहाड़ों की जड़ी-बूटियों की होगी बिक्रीमेक इन बिहार के तहत 11 जिलों के जंगलों-पहाड़ों की जड़ी-बूटियों की होगी बिक्रीमेक इन बिहार के तहत 11 जिलों के जंगलों-पहाड़ों...
मेक इन बिहार के तहत 11 जिलों के जंगलों-पहाड़ों की जड़ी-बूटियों की होगी बिक्री सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 52 तरह की बूटियों से ढाई सौ से अधिक उत्पाद बनाने की तैयारी प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व मार्केटिंग की बनी वृहत रणनीति 10 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष, तो 50 हजार से अधिक को मिलेगा अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार छत्तीसगढ़ के आधार पर बिहारी जड़ी-बूटियों की होगी ब्रांडिंग फोटो : राजगीर फॉरेस्ट : राजगीर की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता/आशुतोष कुमार आर्य। सूबे के जंगलों व पहाड़ों को टूरिस्ट फ्रेंडली बनाने के लिए करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं। वहीं, यहां पायी जाने वाली प्राकृतिक संपदाओं के व्यापारीकरण की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके लिए सर्व का काम पूरा कर लिया गया है। सूबे के 11 जिलों के जंगल-पहाड़ों पर 52 तरह की ज्ञात जड़ी-बूटियों की भरमार है। इनका शोधन करके ढाई सौ से अधिक उत्पाद बनाने की योजना है। इनको वैश्विक बाजार में उतारने के लिए प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व मार्केटिंग के लिए वृहत रणनीति बनायी गयी है। इससे 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष, तो 50 हजार से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। जंगल-पहाड़ों के आस-पास के गांवों, जहान के लोगों की जीविका इसी पर आधारित है, को इस योजना से जोड़ा जाएगा। नालंदा-नवादा के 117 समेत 11 जिलों के 800 से अधिक गांव चिह्नित किये गये हैं। पहले चरण में सूधा बूथ व ग्रामोद्योग की दुकानों में काउंटर खोला जाएगा। जरूरत पड़ने पर अलग बिक्री केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। 2 हजार से अधिक जड़ी-बूटियां : जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी राजकुमार एम. ने बताया कि राजगीर समेत सूबे के पहाड़ों पर दो हजार से अधिक किस्मों की जड़ी-बूटियों के होने का पौराणिक प्रमाण मिलता है। फिलहाल, पहले चरण में राजगीर-नवादा की तीन (जंगली प्याज, सतमूली व हरमदा) समेत सूबे की 52 जड़ी-बूटियों को योजना में शामिल किया जा रहा है। हालांकि, आयुष मंत्रालय की मदद से अन्य जड़ी-बूटियों का अध्ययन पौराणिक ग्रंथों के आधार पर जारी रखा जाएगा। छत्तीसगढ़ के आधार पर बिहारी जड़ी-बूटियों की ब्रांडिंग की जाएगी। वहां 68 प्रकार की जड़ी-बूटियों से 165 प्रकार के उत्पाद बनाये जाते हैं। विश्व के पहले सर्जन : करीब 6000 साल पहले राजगीर में वैद्यराज जीवक रहते थे। उन्हें विश्व का पहला सर्जन माना जाता है। उन्होंने न सिर्फ यहां के कई राजाओं, बल्कि भगवान बुद्ध की भी चिकित्सा की थी। बौद्ध साहित्य के अनुसार राजा बिम्बिसार को खूनी बबासीर व भगवान बुद्ध के घाव की सर्जरी करके यहां की दवाओं से ठीक किया था। आधुनिक काल में भी इनकी महत्ता यथावत बनी हुई है। अब भी देशभर के जानकार आयुष चिकित्सक यहां से जड़ी-बूटियां ले जाकर असाध्य रोगों का इलाज करते हैं। जड़ी-बूटियों के नाम व रोग, जिनमें हैं उपयोगी: गुड़मार : शुगर अश्वगंधा : इम्यूनिटी बढ़ाना, ब्रेन टॉनिक सतावरी : पौष्टिक गिलोय : इम्यूनिटी बढ़ाना सरपोका व गोरखमुंडी - लीवर कालमेग : मलेरिया बुखार अनंत मूल : खून साफ अर्जुन छाल (कहुआ) : हृदय रोग, ब्लड प्रेशर काउज बीज (कुकुअत) : वीर्यवर्द्धक ब्राह्मबूटी : स्मरण शक्ति बर्द्धक शंखपुष्पी : अनिद्रा नाशक मरोर फली : स्त्री रोग नाशक करंजी बीज : फलेरिया में सफेद मूसली : धातु पौष्टिक अधिकारी बोले : नालंदा, नवादा, गया, रोहतास, जमुई, वाल्मीकिनगर, औरंगाबाद, कैमूर, बांका, मुंगेर व बेतिया के जंगलों व पहाड़ों पर पाये जाने वाले औषधीय पौधों का सर्वे कराया गया है। अब इनसे रोग उपचार वाले उत्पाद बनाकर प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व मार्केटिंग की जाएगी। डॉ. प्रेम कुमार, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री
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