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बिहार पुलिस एकेडमी में एफएसएल स्थापित, 4 जिलों के मामलों की होगी जांच

बिहार पुलिस एकेडमी में एफएसएल स्थापित, 4 जिलों के मामलों की होगी जांचबिहार पुलिस एकेडमी में एफएसएल स्थापित, 4 जिलों के मामलों की होगी जांचबिहार पुलिस एकेडमी में एफएसएल स्थापित, 4 जिलों के मामलों की...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफMon, 18 Nov 2024 09:38 PM
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हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव : बिहार पुलिस एकेडमी में एफएसएल स्थापित, 4 जिलों के मामलों की होगी जांच छबिलापुर मर्डर केस की जांच के लिए राजगीर टीम ने पहली दफा लिए घटनास्थल के आधा दर्जन से अधिक नमूने कहा-शीघ्र व सटीक जांच में मदद मिलेगी एफएसएल की मदद से नालंदा के साथ ही नवादा, शेखपुरा व लखीसराय के मामलों की जांच होगी राजगीर में विधि विज्ञान प्रयोगशाला के साथ ही साइबर विधि विज्ञान प्रयोगशाला की भी हुई स्थापना फोटो : बिहार पुलिस अकादमी। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। दारोगा से आईपीएस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए राजगीर में बनायी गयी बिहार पुलिस अकादमी नित्य नया कीर्तिमान गढ़ने में लगी है। यहां स्थापित फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (विधि विज्ञान प्रयोगशाला) व साइबर फॉरेंसिक लैबोरेट्री (साइबर विधि विज्ञान प्रयोगशाला) ने सोमवार से काम करना शुरू कर दिया। पहली दफा छबिलापुर थाने में दंपती की हत्या मामले के आधा दर्जन से अधिक नमूने एकत्रित किये हैं। ये प्रयोगशालाएं नालंदा समेत नवादा, शेखपुरा व लखीसराय के मामलों की जांच करेंगी। कहा गया कि शीघ्र व सटीक जांच में एफएसएल से मदद मिलेगी। एफएसएल यानी फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी अपराधों की वैज्ञानिक जांच करने वाली एक प्रयोगशाला है। यहां तैनात अधिकारी व कर्मी घटनास्थल से सबूत इकट्ठा करते हैं और उनकी जांच कर घटना के मूल कारणों का पता मशीनों के माध्यम से लगाते हैं। इसकी रिपोर्ट व्यापक रूप से स्वीकार्य होती हैं। क्योंकि, इनमें वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला अपराध स्थलों से सबूत इकट्ठा करती है और उनका विश्लेषण करती है। इनमें ब्लड, हेयर, डीएनए, हथियार, डिजिटल उपकरण, फिंगरप्रिंट और दस्तावेज शामिल हैं। साइबर फॉरेंसिक लैब साइबर अपराधों की वैज्ञानिक जांच करती है। साइबर अपराधों में शामिल सैंपलों की जांच के लिए बिहार में पटना के बाद राजगीर में साइबर फॉरेंसिक लैब स्थापित की गयी है। हत्या, सुसाइड नोट, बैंक जालसाजी, बड़ी चोरी-डकैती, संपत्ति के दस्तावेज पर जालसाज़ी, फिंगरप्रिंट मिलान, आवाज विश्लेषण, चेहरा मिलान, धोखाधड़ी जैसे मामलों में फॉरेंसिक विज्ञान का इस्तेमाल आम है। सात साल से अधिक सजा वाले कांडों की जांच इसके माध्यम से करना आवश्यक कर दिया गया है। छबिलापुर मर्डर केस में कैसे साबित होगी मददगार : दंपती हत्याकांड से जुड़े आधा दर्जन से अधिक नमूने एकत्रित किये गये हैं। एफएसएल लैब में लाये गये संदिग्ध खून व अन्य नमूनों को बारीकी से परखा जाएगा। हत्याकांड में इसकी रिपोर्ट आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने में मददगार साबित होगी। किसी भी आपराधिक घटनाक्रम को वर्कआउट करने में फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे मिलने वाली वैज्ञानिक तथ्यों वाली रिपोर्ट को झुठलाया नहीं जा सकता है। उसी रिपोर्ट के आधार पर केस मजबूती से न्याय की ओर बढ़ता है। कैसे होती है रेप और मर्डर केसों की जांच… : एफएसएल में रेप और मर्डर के केस में की जांच में चार दिन का समय लगता है। जांच के दौरान काफी सावधानियां बरती जाती हैं। एफएसएल में रेप और मर्डर केसों की जांच दो चरणों से होकर गुजरती है। पहला बायोलॉजी अनुभाग और दूसरा सेरोलॉजी। वारदात के समय पुलिस द्वारा जुटाए साक्ष्य जैसे बाल, ब्लड, कपड़े सहित अन्य नमूनों जांच की जाएगी। यहां सबसे पहले बायॉलॉजी अनुभाग में जांच की जाती है। इसके बाद सेरोलॉजी में ब्लड ग्रुपिंग कर अपराध की पुष्टि की जाती है। यह जांच काफी सेंसेटिव होती है। क्या है प्रक्रिया : घटनास्थल से लिये गये नमूने की सीरम अनुभाग में जांच होती है कि इनमें मौजूद खून इंसान का है या जानवर का। खून इंसान का मिलने पर उसकी ग्रुपिंग की जाती है। इसके लिए खून से सने कपड़े का भाग काटकर उसे एंटीसीरा केमिकल में एक रात चार डिग्री तापमान पर फ्रिज में रखते हैं। फिर अन्य रसायन से साफ किया जाता है। इसमें ताजा खून से तैयार कोशिकाएं डाली जाती हैं। दो घंटे बाद फिर से चार डिग्री तापमान पर फ्रिज में रखते हैं। इस तरह ब्लड ग्रुपिंग में कम से कम दो दिन लगते हैं। इसके बाद सीमन ग्रुपिंग होती है। सीमन ग्रुपिंग के लिए कंट्रोल सेंपल की जांच की जाती है। इसके लिए भी ब्लड ग्रुपिंग वाली प्रक्रिया ही अपनाई जाती है। फिर दो दिन लगते हैं। इस तरह सीरोलॉजी के एक केस में चार दिन का समय लगता है। कैसे होती है अपराध की पुष्टि: बाल, खून, कपड़े आदि नमूनों में से ब्लड ग्रुप निकाला जाता है। फिर मेडिकल जांच के सहारे डॉक्टर द्वारा एफएसएल को भेजे पीडि़ता और अपराधी के कंट्रोल सेंपल (शरीर से निकाला गया खून, थूक, लार, बाल) से ब्लड ग्रुप निकाला जाता है। यदि अपराधी का ब्लड ग्रुप घटनास्थल पर मिले नमूनों के ग्रुप से मिलान हो जाता है, तो स्पष्ट है कि अपराधी ने ही वारदात को अंजाम दिया। प्रयोगशाला के लिए 7 सेक्शन : भौतिकी अनुभाग, प्रलेख, आग्नेयास्त्र, रसायन, विष, जीव विज्ञान व सीरम विज्ञान अनुभाग। एफएसएल के काम : घटनास्थल से सबूत इकट्ठा करना और उनका विश्लेषण करना फिंगरप्रिंट और दस्तावेज की जांच करना उभरते ड्रग रुझानों की पहचान करना अपराध स्थलों की वैज्ञानिक जांच में मदद करना प्रशिक्षण देना और ज्ञान साझा करना अपराध के पुनर्निर्माण में मदद करना फॉरेंसिक रिपोर्ट तैयार करना अधिकारी बोले : राजगीर एफएसएल की टीम ने सोमवार को पहली दफा किसी मामले की जांच के लिए नमूने लिये हैं। शीघ्र इनकी जांच के बाद रिपोर्ट भेज दी जाएगी। इससे अनुसंधानकर्ता को अपराधियों की गिरहबां तक पहुंचना आसान हो जाएगा। हिमजय कुमार, इंचार्ज, विधि विज्ञान प्रयोगशाला, राजगीर .

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