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डॉक्टर से सवाल जवाब : अस्थमा के मरीज भी लें कोरोनारोधी वैक्सीन

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Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफWed, 5 May 2021 09:11 PM
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डॉक्टर से सवाल जवाब : अस्थमा के मरीज भी लें कोरोनारोधी वैक्सीन

फोटो :

डॉ. ज्योतिष चंद्रा: डॉ. ज्योतिष चंद्रा, जेनरल फिजिशियन, बिहारशरीफ।

नूरसराय। निज प्रतिनिधि

कोरोना संक्रमण सांस से जुड़ी बीमारी है। देश में हर सौ में से चार व्यस्क अस्थमा से पीड़ित है। ऐसे में सवाल यह उठता है क्या कोरोना से हो रही मौतों के पीछे अस्थमा भी बड़ा कारण है। उन्हें कोरोनारोधी टीका लेना चाहिए। आइए इन उलझे सवालों का जवाब जानें बिहारशरीफ के जेनरल फिजिशियन डॉ. ज्योतिष चंद्रा से।

सवाल - क्या अस्थमा रोगियों के लिए कोरोना संक्रमण जानलेवा है।

जवाब - नहीं। ज्यादातर में पाया गया है। जिसमें अस्थमा है उसके लिए कोविड 19 का रिस्क इतना नहीं है, जितना कि शुगर, बीपी और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को है।

सवाल - क्या कोविड 19 इंफेक्शन में नेबुलाइजर्स का इस्तेमाल जारी रखें।

जवाब - अस्थमा रोगियों के लिए नेबुलाइजेशन इस्तेमाल में आसान और सुविधाजनक होते हैं। पर इससे बड़ी संख्या में एयरसोल निकलते हैं। जो कोविड 19 ट्रांसमिशन का रिस्क बढ़ाता है। इसके बजाय सीमित डोज वाले इन्हेलर का इस्तेमाल करना चाहिए।

सवाल - क्या अस्थमा के रोगियों के इलाज में स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल करना चाहिए।

जवाब - हां। अस्थमा के अटैक्स में सिस्टेमिक स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भले ही वह कोविड 19 से संबंधित हो या न हो।

सवाल - क्या अस्थमा के मरीजों को कोरोनारोधी वैक्सीन से किसी तरह की समस्या होती है या नहीं।

जवाब - नहीं। अस्थमा के मरीज कोरोनारोधी वैक्सीन लगवा सकते हैं।

सवाल - क्या 18 या इससे अधिक आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन लगवाना चाहिए।

जवाब - हां। युवा लोग सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। वैक्सीन लगवाने के बाद प्रोटेक्शन के साथ संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। युवा वर्ग में प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहने से इसका असर कम दिखता है। लेकिन, संक्रमित होने पर वे कैरियर के तौर पर काम करते हैं।

सवाल - क्या कोरोना होने पर रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है।

जवाब - सैम्पल ठीक से नहीं लिया गया हो या फिर वायरस लोड कम रहा हो और टेस्ट जल्दी हो गया हो। ऐसे में कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है।

सवाल - प्लाज्मा थेरैपी क्या है।

जवाब - प्लाज्मा थेरैपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें इंफेक्शन से रिकवर हुए व्यक्ति के शरीर से खून लिया जाता है। खून का पीला तरल हिस्सा निकाला जाता है और उसे संक्रमित रोगी के शरीर में चढ़ाया जाता है। खासकर यह वैसे लोगों को दिया जाता है। जिसमें एंटिबॉडी नहीं या कम बन रही हो।

सवाल - प्लाज्मा कौन डोनेट कर सकता है।

जवाब - जो लोग संक्रमित होकर पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। वे अपना प्लाज्मा रिकवर होने के 28 से 30 दिन बाद डोनेट कर सकते हैं। उनकी उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए। वजन भी 50 किलोग्राम या उससे अधिक होना चाहिए।

सवाल - टीका लगवाने के बाद भी एहतियात आवश्यक है।

जवाब - हां आवश्यक है। टीका लगने के कम से कम डेढ़ माह बाद ही एंटिबॉडी पूरी तरह से तैयार होता है। इसके बाद भी हमें एहतियात बरतनी चाहिए।

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