अक्षय नवमी कल, भक्त व्रत करने के बाद करेंगी भुआदान
अक्षय नवमी कल, भक्त व्रत करने के बाद करेंगी भुआदानअक्षय नवमी कल, भक्त व्रत करने के बाद करेंगी भुआदानअक्षय नवमी कल, भक्त व्रत करने के बाद करेंगी भुआदानअक्षय नवमी कल, भक्त व्रत करने के बाद करेंगी भुआदान
अक्षय नवमी कल, भक्त व्रत करने के बाद करेंगी भुआदान आंवला वृक्ष की करेंगी पूजा-अर्चना, सुनेंगी कथा पावापुरी, निज संवाददाता। अक्षय नवमी का पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त व्रत रखकर पूजा-अर्चना और भुआ का दान करेंगी। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि अक्षय नवमी के दिन किया गया दान और पूजन अक्षय पुण्य का फल देता है। इस पर्व को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व है। अक्षय नवमी के दिन महिलाएं सुबह में स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं। महिलाएं विशेष रूप से यह व्रत अपने परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए रखती हैं। इस दिन घरों में पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं और पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे परिवार सहित भोजन करते हैं। आंवला के वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है। इसके नीचे भोजन करने से समृद्धि तथा स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। भुआदान का है विशेष महत्व : अक्षय नवमी के दिन भुआ दान का विशेष महत्व है। कूष्मांड यानी भुआ का दान करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु, रोग और अन्य संकटों से मुक्ति मिलती है। यह दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है और इसे करने से कई पीढ़ियों तक इसका सकारात्मक प्रभाव दिखता है। इसका पौराणिक महत्व : अक्षय नवमी का संबंध सतयुग के प्रारंभ से भी है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन से सतयुग का आरंभ हुआ था। सतयुग में भगवान विष्णु की उपासना का विशेष महत्व था और इसे मानवता का सबसे श्रेष्ठ युग माना गया है। इसलिए अक्षय नवमी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-शांति और धन-समृद्धि का आगमन होता है। ऐसे करें व्रत और पूजा : श्री पांडेय ने बताया कि अक्षय नवमी के दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु प्रात:काल उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर जाएं। वहां मां लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा शुरू करें। आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर उसे फल और पत्ते अर्पित करें। पूजा के बाद ब्राह्मण को भुआ का दान करें। यह देता है धार्मिक समरसता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश : अक्षय नवमी का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसमें पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश छिपा है। आंवले के वृक्ष की पूजा करना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आंवला औषधीय गुणों से भरपूर है। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस पर्व के माध्यम से लोगों को प्रकृति और वृक्षों के प्रति सम्मान भाव रखने की प्रेरणा मिलती है। इस दिन की पूजा और दान से अक्षय पुण्य मिलता है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करता है।
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