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आपबीती : मन बहुत घबराता था पर हौसले से जीती जंग

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Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSat, 24 April 2021 08:31 PM
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आपबीती : मन बहुत घबराता था पर हौसले से जीती जंग

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24राजगीर01: मुन्ना कुमार, बड़हरी, राजगीर।

राजगीर। राजीव लोचन

प्रखंड के बड़हरी गांव निवासी 46 वर्षीय मुन्ना कुमार ने बताया कि तीन नवम्बर 2020 को नारदीगंज अस्पताल में टेस्ट करवाने पर रिजल्ट पॉजिटिव आयी थी। 27 अक्टूबर से लगातार बुखार आ रहा था। पॉजिटिव रिपोर्ट सुनते ही मन को बहुत घबराहट हुई। लेकिन, डॉ. बिमलेन्द्र कुमार सिन्हा व अन्य लोगों ने हौसला बढ़ाया। नारदीगंज के डॉक्टरों ने पटना एम्स पटना रेफर कर दिया। वहां इलाज कराया। डॉक्टरों ने सब चेक करने के बाद कहा कि आप होम क्वारंटाइन में रहें। कुछ दिन में ठीक हो जाएंगे। इसके बाद घबराहट काफी हद तक कम हो गयी। उसी दिन राजगीर स्थित अपने मकान ब्लॉक मोड़ के पास आये और होम क्वारंटाइन में रहे। इस दौरान गर्म पानी के साथ ही नींबू पानी व संतरा का भी भरपूर सेवन किया। किवी फल भी खया। इससे कमजोरी का अहसास तो नहीं हुआ। पर, पॉजिटिव होने पर तेज बुखार के साथ पूरे शरीर में दर्द, माथा दर्द होता था। करवट कर सोते थे तो खांसी होने लगती थी। इस कारण उन्हें सीधा सोना पड़ता था। 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहने के बाद वे पूरी तरह स्वस्थ हो गये। 11 नवम्बर को टेस्ट में रिपोर्ट निगेटिव आयी। इसके बाद भी पांच दिनों तक घर में ही रहे। एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें डबल मास्क का प्रयोग करने को कहा था। यह काफी कारगर है। अब इसकी आदत हो गयी है। घर पर रहकर अगर बेहतर परामर्श मिले और खान-पान सुधार लें तो निश्चित तौर पर अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होगी। ठीक हो जाएंगे।

मेरी सुनें: लोगों ने बढ़ाया हौसला, तो जीती कोरोना जंग

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रविशंकर कुमार: रविशंकर कुमार, कचहरी रोड, बिहारशरीफ।

बिहारशरीफ। निज संवाददाता

कोरोना की पहली लहर में आठ अक्टूबर 2020 को बिहारशरीफ के कचहरी रोड मोहल्ला निवासी 35 वर्षीय युवक रविशंकर कुमार कोरोना संक्रमित हुए थे। रविशंकर कुमार ने बताया कि 7 अक्टूबर को शरीर में दर्द के साथ तेज बुखार आया। मन में कोरोना का डर सताने लगा। आठ अक्टूबर को सदर अस्पताल जाकर जांच के लिए सैंपल दिया। आधे घंटे बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। सूचना मिलते ही दिमाग में सन्नाटा छा गया। अस्पताल कर्मी ने हमें हौसला बढ़ाया तब कुछ देर बाद घर पहुंचे और अपने आप को परिवार से अलग कमरे में आइसोलेट कर लिया। इसके बाद परिजनों को पॉजिटिव होने की सूचना दी।

लोग ढांढस बंधाते रहे। पर मन में डर बैठा रहा। हेल्प लाइन नंबर पर बात किया और एम्बुलेंस मंगवाकर बीड़ी मजदूर अस्पताल आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हो गया। आइसोलेशन वार्ड में दवाई, गर्म पानी व खाना समय से मिल रहा था। लेकिन, चार दिन बाद तबियत बिगड़ने लगी। शरीर में थकान, कमजोरी के साथ सूंघने की शक्ति भी कम होने लगी। चार दिन बाद आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आया। ऐसे में मन में डर और बढ़ गया। शरीर में ऑक्सीजन लेवल घटने का डर सताने लगा। इसकी जानकारी डॉक्टर को दी। डॉ. धीरेंद्र ने प्लस ऑक्सीमीटर मुहैया कराया। जिससे वार्ड में भर्ती सभी संक्रमितों को नियमित ऑक्सीजन लेवल का जांच होने लगा। डॉ. अरुण कुमार, डॉ. मिथलेश कुमार, डॉ. धीरेंद्र कुमार के अलावे मिशन हरियाली के सदस्यों ने फोन पर हमेशा हमारी हौसलाआफजाई की। बाद में वहीं परिसर में खुले आसमान के नीचे पेड़ों के पास बैठकर योगा करने लगे। हल्दी मिला दूध पीना शुरू किया, फल के साथ डाभ का पानी प्रचुर मात्रा में लिया। 12वें दिन जांच में निगेटिव रिपोर्ट आयी। निगेटिव होने के बाद भी 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में रह कर जमकर खाना खाया। इस दौरान मोबाइल ने भी काफी साथ दिया। जब भी मन घबराता फोन पर लोग हमें सांत्वना देते। लोगों के भरोसे ही कोरोना जंग जीती। लोगों को भी घबराना नहीं चाहिए। बल्कि डंटकर मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार रखना चािए। बस मन के हारे हार है मन के जीते जीत...

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