‘लक्ष्मी चली गयी, नहीं आए माता-पिता
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‘लक्ष्मी चली गयी, नहीं आए माता-पिता
पावापुरी मेडिकल कॉलेज की मॉर्चरी में रखा है शव
लकवा और अर्द्धविक्षिप्त लक्ष्मी को अस्पताल में छोड़ चले गए थे माता-पिता
डेढ़ साल की लाडली लक्ष्मी का स्वास्थ्यकर्मियों ने रखा था ख्याल, किया था इलाज
पता में लिखवाया गया घर व फोन नंबर भी निकला गलत
एक माह से मेडिकल कॉलेज प्रशासन कर रहा था लालन-पालन
पावापुरी। निज संवाददाता
पावापुरी मेडिकल कॉलेज में एक माह से ज्यादा वक्त से इलाजरत डेढ़ वर्षीया ‘लक्ष्मी आखिर मौत के गाल में समा गयी। शव को पावापुरी मेडिकल कॉलेज के मॉर्चरी में रखा गया है। ताकि, उसके माता पिता या अन्य कोई रिश्तेदार लेने आ सके। अगले दो दिनों में कोई दावा करने वाला नहीं आया, तो लक्ष्मी का अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।
होली के पहले माता-पिता ने लकवा और अर्धविक्षिप्त लक्ष्मी को इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था। भर्ती कराने के कुछ ही घंटों बाद माता पिता इसे छोड़कर चलते बने थे। इसके बाद से बच्ची पावापुरी मेडिकल कॉलेज में इलाजरत थी। पता व मोबाइल नंबर भी गलत लिखवाया था। इसके बाद से ही उस बच्ची का लालन पालन पावापुरी मेडिकल कॉलेज प्रशासन कर रहा था। अस्पताल प्रशासन ने इस बाबत स्थानीय पावापुरी ओपी पुलिस को भी सूचित किया था। थाने की ओर से बच्ची के माता पिता द्वारा दर्ज पते पर जानकारी भी भेजी गई थी। लेकिन, इस कवायद के बावजूद बच्ची को देखने कोई नहीं आया। इस बीच कर्मचारी बच्ची को संभाल रहे थे। बच्ची मां के दूध के लिए रोती बिलखती रहती थी। तो, मेडिकल कॉलेज की नर्स बोतल से दूध पिलाती थी।
नवादा के पते पर इलाज के लिए कराया था भर्ती:
मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों ने बताया कि होली के पहले एक माता पिता आए थे। उन्होंने बच्ची को शिशु रोग उपचार के लिए भर्ती कराया था। बच्ची का नाम लक्ष्मी कुमारी बताया था। इसके साथ ही पिता का नाम राकेश कुमार और गांव गोसाईं बिगहा, नवादा थाना, नवादा का पता दर्ज करा इलाज करने की गुजारिश की। इसके बाद अस्पताल में इलाज शुरू कर दिया गया था।
लेकिन, महज कुछ घंटे बाद ही जब डॉक्टर और कर्मचारियों ने उसके मातापिता को खोजने की कोशिश की। तो, वे नदारद थे। जब बच्ची काफी रोने लगी, तो उसके लिखवाए गए फोन नंबर पर फोन किया। वह फोन कहीं और लग जाता है। कर्मचारियों को लगा कि कहीं इधर उधर चले गये होंगे। लेकिन, कई दिन बीत गए। तो, लोगों को यह समझते देर नहीं लगा कि बच्ची से छुटकारा पाने के लिए उसे माता पिता रोता-बिलखता छोड़कर जा चुके थे।
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