बिहार में क्राइम कंट्रोल के लिए DGP ने आलाधिकारियों को दिए 5 मंत्र, खुद जिलों में जाकर करेंगे समीक्षा
डीजीपी का पद संभालने के बाद यह पहला मौका है, जब उन्होंने विधि-व्यवस्था को लेकर बड़ी समीक्षा बैठक की है। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 21 सितंबर को बड़े पुलिस पदाधिकारियों के साथ विधि-व्यवस्था की समीक्षा की थी।
बिहार में आपराधिक घटनाओं को नियंत्रित कर विधि-व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सभी जिलों को केंद्रित दृष्टिकोण (फोकस्ड एप्रोच) के साथ काम करने का निर्देश पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आलोक राज ने दिया है। उन्होंने अपराध नियंत्रण के लिए 5 बिन्दुओं पर काम करने की सलाह सभी पुलिस कर्मियों को दी है। सभी जिला कप्तानों को अपराध नियंत्रित करने का टास्क देते हुए कहा कि वे खुद रेंज या जिलों में जाकर जमीनी स्तर पर वस्तुस्थिति की जानकारी लेंगे। देखेंगे कि एसपी उनके दिए टास्क पर कितना खरा उतरे हैं।
डीजीपी मंगलवार को पुलिस मुख्यालय के सभी आलाधिकारियों के साथ सभी रेंज के आईजी, डीआईजी और सभी जिलों के एसपी के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। जिलों के तमाम कप्तान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे। डीजीपी का पद संभालने के बाद यह पहला मौका है, जब उन्होंने विधि-व्यवस्था को लेकर बड़ी समीक्षा बैठक की है। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 21 सितंबर को बड़े पुलिस पदाधिकारियों के साथ विधि-व्यवस्था की समीक्षा की थी। डीजीपी ने त्योहारों में पूर्ण शांति बनाए रखने को सभी स्तर पर तैयारी करने का निर्देश दिया। निरोधात्मक कार्रवाई पर विशेष ध्यान देने को कहा।
जनता से शिकायत सुन तुरंत करें कार्रवाई
डीजीपी ने निर्देश दिया कि सभी रेंज के आईजी या डीआईजी और एसपी स्वयं नागरिकों से मिलने का समय निर्धारित करें और उनसे मिलकर समस्याओं का समाधान करें। साथ ही पुलिस मुख्यालय के स्तर से भेजी गई शिकायतों पर प्रत्येक महीने समीक्षा करके कार्रवाई करें। आमजनों में पुलिस के प्रति विश्वास बनाए रखने के लिए जनता से निरंतर शिकायत सुनें और इन पर तुरंत कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि वे रोजाना डीजीपी कार्यालय आने वाले 40-50 व्यक्तियों से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। संबंधित जिलों को भी इन मामलों पर कार्रवाई करने के लिए भेजा जा रहा है।
पुलिस पदाधिकारी इन पांच बिन्दुओं पर रखेंगे नजर
डीजीपी के टास्क में आपराधिक घटनाओं की रोकथाम (प्रीवेंशन), घटना के बाद उनका जल्द पता लगाना या खुलासा (डिटेक्शन), अपराध का ट्रेंड देखते हुए पूर्वानुमान (प्रीडिक्शन), अपराधियों को सजा दिलाना (प्रोसिक्यूसन) और इसे लेकर लोगों की धारणा (परसेप्सन) बदलने पर भी ध्यान देना शामिल है। सभी अधिकारी समेत जिला कप्तानों से लीडरशिप की भूमिका निभाने का निर्देश दिया। कनीय अफसरों को उचित मार्गदर्शन करने पर बल दिया।
फिर से 6-स के मूलमंत्र को दोहराया
समय घटना के बाद पुलिस का रिस्पांस टाइम जितना कम होगा कार्रवाई उतनी अच्छी होगी।
सार्थक कार्रवाई ऐसी हो, जिससे अपराधियों में खौफ दिखे।
संवेदनशील पीड़ितों के प्रति संवेदनशील रहें। जनता के साथ अच्छा व्यवहार करें।
शक्ति कानून से अपराधी डरे।
सत्यनिष्ठा पुलिस सत्यनिष्ठ हो। अपने काम के प्रति ईमानदार हो, तभी समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी। स्पीडी ट्रायल समय से जांच कर आरोप-पत्र दाखिल कर स्पीडी ट्रायल कर सजा दिलाएं।
● सांप्रदायिक हिंसा और घटनाओं पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएं। आगामी पर्व-त्योहार को लेकर सतत निगरानी एवं अनुश्रवण करते रहें।
● गंभीर अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। लाइसेंसी या गैर-लाइसेंसी हथियारों का प्रदर्शन, हर्ष फायरिंग, चैन स्नेचिंग, बाइकर्स गैंग जैसे अन्य पर कार्रवाई करें, जिससे आमजन सुरक्षा महसूस करें।
● पेशेवर अपराधियों को गिरफ्तार कर सजा दिलाएं। लूट, डकैती, रंगदारी, अपहरण समेत अन्य पर प्रभावकारी तरीके से अंकुश लगाएं।
● संगठित अपराध मसलन साइबर अपराध, भू-माफिया, शराब एवं बालू माफिया जैसे अपराधों पर रोक लगाने के लिए करें सार्थक पहल।