बिहार उपचुनाव : बेलागंज में तिनके की नोक पर टिकी बाजी, जन सुराज ने बढ़ाई JDU और RJD की बेचैनी
गया जिले की बेलागंज विधानसभा सीट उपचुनाव 2024 में सबसे हॉट बन गई है। यहां जेडीयू, आरजेडी और जन सुराज पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं।
बिहार की चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव में बेलागंज सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। जदयू, राजद और जन सुराज के नेता वोटरों की लामबंदी में लगे हैं। जन सुराज के मैदान में उतरने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। कह सकते हैं कि बेलागंज की बाजी तिनके की नोक पर टिकी है। जदयू नेता जहां परिवर्तन, परिवारवाद और विकास को मुद्दा बना रहे। वहीं राजद वर्षों से मान-सम्मान दिए जाने की बात घर-घर पहुंचा रहा है। जबकि, जन सुराज राजद और जदयू दोनों पर मुखर होकर बदलाव के लिए वोट मांग रहा है। जदयू से पूर्व विधान पार्षद मनोरमा देवी राजद के गढ़ को भेदने चुनावी मैदान में उतरी हैं। वहीं राजद से सांसद डॉ. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह को अपनी विरासत बचाने की चुनौती है। जबकि, जन सुराज के मो.अमजद तीन बार बेलागंज से चुनाव लड़कर जनता की नब्ज टटोल कर मैदान में उतरे हैं।
जन सुराज के मैदान में आने से मुकाबला कड़ा हो गया है। बेलागंज में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में सीधी टक्कर राजद और जदयू के बीच हुई थी। राजद से सुरेंद्र यादव और जदयू से अभय कुशवाहा चुनाव मैदान में थे। जानकार बताते हैं कि उस समय एमवाई वोट बंटे नहीं थे। नतीजा हुआ कि सुरेंद्र यादव चुनाव जीत गए। इस बार जन सुराज ने मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारकर मुस्लिम वोट में सेंधमारी की कोशिश की है। वहीं यादवों के दो कट्टर प्रत्याशी मैदान में होने से इनके अपने कैडर वोटरों का बिखराव तय माना जा रहा है। लेकिन, इसका किसे कितना फायदा होगा यह रणनीतिकारों के लिए भी यक्ष प्रश्न बना है।
बेलागंज सीट पर एमवाई समीकरण रहा है हावी बेलागंज में एमवाई समीकरण हावी रहा है। जदयू व भाजपा ने मिलकर किले को ध्वस्त करने की कई बार कोशिश की पर कभी सफल नहीं हो सके। 2005 के बाद से बेलागंज विधानसभा सीट पर जदयू ने कई बार उम्मीदवार बदले पर सफलता नहीं मिली। सुरेंद्र यादव लगातार चुनाव जीतते रहे। बेलागंज में यादवों की आबादी सबसे ज्यादा 72 हजार और मुस्लिम 60 हजार हैं। इनके वोट चुनाव परिणाम पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं।
सुरेंद्र यादव की साख दांव पर, बेटे के सामने अपने पिता का गढ़ बचाना चुनौती
बेलागंज सीट 1990 से राजद का मजबूत किला रहा है। 1990 से लगातार यह सीट राजद के कब्जे में है। इस किले को भेदने के लिए 2005 से जदयू जोर आजमाइश करता रहा है। कई बार इस विधानसभा सीट का भूगोल भी बदला। सात बार से राजद के डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव यहां से विधायक रहे। सांसद बनने के बाद अपने पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह को मैदान में उतार दिया। अब पिता के 34 साल के गढ़ को बचाना बेटे के लिए चुनौती होगी।
राजनीति के खिलाड़ी डॉ. सुरेंद्र यादव की साख दांव पर इस चुनाव में राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले सांसद डॉ. सुरेंद्र यादव की साख दांव पर है। दिनरात गांव-गांव जाकर लोगों से बेटे के लिए वोट मांग रहे हैं। वहीं जदयू और भाजपा के मंत्री लगातार सभा कर रहे। गांवों में पहुंचकर विकास की योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं। जानकार बताते हैं कि सुरेंद्र यादव अपने अंतिम दांव के लिए जाने जाते हैं।
जदयू : मनोरमा ने 2005 के बाद शुरू की राजनीति
बेलागंज से जदयू की प्रत्याशी मनोरमा देवी जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत बिंदेश्वरी प्रसाद यादव की पत्नी हैं। 2005 के बाद राजनीति में आयीं। दो बार लगातार वह एमएलसी रहीं। 2014 के बाद से जीवन में उतार-चढ़ाव शुरू हुआ। 2020 में जदयू से जिले के अतरी विधानसभा से चुनाव लड़ीं, लेकिन वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसबार बेलागंज उप चुनाव में किस्मत आजमा रही हैं।
जन सुराज : जदयू के टिकट परअमजद लड़ चुके हैं चुनाव
जन सुराज के उम्मीदवार मोहम्मद अमजद 2010 में जदयू के टिकट पर बेलागंज से चुनाव लड़ चुके हैं। जिसमें उन्हें 48,441 वोट मिले थे। इससे पहले 2005 में भी उन्होंने जदयू-लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। भलुवा एक पंचायत के पूर्व मुखिया रह चुके हैं।