बोले मुंगेर : मैदान को अतिक्रमणमुक्त कर बनाएं ट्रैक, लाइट भी लगवाएं
खेल केवल शारीरिक स्वास्थ्य का माध्यम नहीं है, बल्कि यह युवा सशक्तीकरण में भी महत्वपूर्ण है। संग्रामपुर के चंदनिया गांव में खेल मैदान की स्थिति बदहाल है। यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिससे...
खेल केवल शारीरिक दक्षता एवं स्वास्थ्य का ही माध्यम नहीं है, बल्कि युवा सशक्तीकरण का भी एक अहम साधन है। खेल मैदानों की भूमिका युवाओं को अनुशासन, आत्मविश्वास और भविष्य की दिशा देने में महत्वपूर्ण होती है। लेकिन जब इन्हीं मैदानों की हालत बदहाल हो, बुनियादी सुविधाएं नदारद हों, तो मेहनत करने वाले युवाओं का उत्साह भी टूटने लगता है। कुछ ऐसा ही हाल है संग्रामपुर नगर पंचायत के चंदनिया गांव में स्थित उस मैदान का, जहां सैकड़ों युवा प्रतिदिन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए शारीरिक दक्षता की तैयारी करने आते हैं। ऐसे में यहां के खिलाड़ियों की समस्याओं को लेकर उनके साथ मैदान पर ही संवाद किया गया। इस दौरान खिलाड़ियों ने अपनी समस्याएं बताईं।
01 ही मैदान है संग्रामपुर नगर पंचायत क्षेत्र में
05 एकड़ में फैला हुआ है मैदान, नहीं हैं सुविधाएं
10 वार्डों के 500 युवा करते हैं शारीरिक अभ्यास
संवाद के दौरान राजस्थान के लिए मार्शल आर्ट खेल चुकीं सानिया मिश्रा ने क्षेत्र की दुर्दशा को लेकर चिंता जताई। इस मैदान पर यहां के युवा सेना, बिहार पुलिस एवं होमगार्ड जैसे विभागों में नौकरी के लिए शारीरिक तैयारी करते हैं। यह मैदान मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है। मैदान की सतह पत्थर से भरे हुए और ऊबड़-खाबड़ हैं, जिससे यहां अभ्यास करने वाले छात्र-छात्राएं आए दिन चोटिल होते रहते हैं। वहीं, अन्य खिलाड़ियों ने कहा कि, बड़ी विडंबना यह है कि पूरे नगर पंचायत में एक भी समुचित खेल मैदान नहीं है। यह एकमात्र मैदान भी अतिक्रमण की चपेट में है, जिससे खेल एवं शारीरिक अभ्यास की जगह लगातार सिमटती जा रही है। उन्होंने बताया कि यह मैदान लगभग 5 एकड़ में फैला हुआ है और नगर पंचायत के 10 वार्डों के करीब 500 छात्र-छात्राएं प्रतिदिन यहां अभ्यास के लिए आते हैं। इसके बावजूद यह मैदान प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।
रोशनी की नहीं है व्यवस्था, छात्राओं को परेशानी:
यहां बिजली की व्यवस्था पूरी तरह से नदारद है। शाम ढलते ही खेतों और सुनसान वातावरण के कारण यहां पूरी तरह से असुरक्षा का माहौल बन जाता है। प्रकाश की कमी से अभ्यास करना भी जोखिम भरा हो जाता है, विशेष रूप से महिला खिलाड़ियों के लिए तो और भी स्थिति गंभीर हो जाती है। इसके अलावा मैदान के आसपास ना तो पीने के पानी की कोई समुचित व्यवस्था है और न ही कहीं शौचालय की सुविधा है। इसके कारण खिलाड़ियों को, विशेष रूप से महिला खिलाड़ियों एवं एथलीटों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
नहीं मिल पाता पर्याप्त मार्गदर्शन :
खिलाड़ियों का कहना था कि शिक्षा और प्रशिक्षण की दृष्टि से देखा जाए तो पूरे मैदान में केवल एक कोच की निगरानी में तैयारी होती है, जिससे प्रतिभागियों को पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है। खिलाड़ियों ने प्रशासन से यह सवाल पूछा है कि, क्या यही हैं वे संसाधन जिनके भरोसे हमारे जैसे युवा राष्ट्र सेवा के लिए तैयार होंगे? उन्होंने कहा कि संग्रामपुर नगर पंचायत का यह मैदान वर्तमान में सुविधा हीनता और उपेक्षा का शिकार होकर एक संभावनाशील प्रशिक्षण केंद्र से संकट स्थल में बदलता जा रहा है। यदि जल्द ही इसकी हालत पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल हम युवाओं की मेहनत को प्रभावित करेगा, बल्कि क्षेत्र की खेल संस्कृति को भी गंभीर क्षति पहुंचाएगा। ऐसे में, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और समाज को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य के हम युवा खिलाड़ी सुरक्षित, सशक्त और संसाधनयुक्त माहौल में अभ्यास कर सकें। सानिया मिश्रा जैसी प्रतिभाएं जो राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं, यदि ऐसी समस्याओं को लेकर मुखर हो रही हैं, तो स्थानीय प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। मैदान की समुचित मरम्मत, लाइट और पानी की व्यवस्था, शौचालय निर्माण तथा सुरक्षा के इंतजाम प्राथमिकता के आधार पर किए जाने चाहिए।
शिकायत
1. संग्रामपुर नगर पंचायत के चंदनिया गांव में स्थित मैदान की सतह असमान, पत्थरयुक्त और ऊबड़-खाबड़ है, जिससे खिलाड़ी घायल हो रहे हैं।
2. शाम के समय रोशनी की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से मैदान पर अंधेरा छा जाता है, जिससे सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक हो जाती है।
3. मैदान पर शौचालय और पीने के पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है।
4. मैदान धीरे-धीरे अतिक्रमण की चपेट में आ रहा है, जिससे उपयोग की जगह घट रही है।
5. इस मैदान पर केवल एक कोच के भरोसे सैकड़ों छात्र-छात्राएं तैयारी कर रहे हैं। इससे गुणवत्तापूर्ण मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा।
सुझाव:
1. खेल मैदान से पत्थर हटाएं। सुरक्षित सतह तैयार करने के लिए मैदान की तत्काल मरम्मत की जाए।
2. पूरे मैदान में सोलर या विद्युत लाइट की समुचित व्यवस्था की जाए, विशेषकर शाम के अभ्यास के लिए।
3. खिलाड़ियों के लिए स्वच्छ पेयजल और शौचालय की स्थायी सुविधाएं स्थापित की जाएं।
4. मैदान को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
5. प्रशिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए और खिलाड़ियों के लिए नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएं।
सुनें हमारी बात
बिहार में होमगार्ड और पुलिस की तैयारी के लिए अच्छे मैदानों की कमी है। इससे उम्मीदवारों को पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
-राजू
खेल मैदान नहीं रहने से सड़क पर दौड़ने का अभ्यास खतरनाक साबित हो सकता है। सड़क दुर्घटना की आशंका रहती है। खेल मैदान प्रत्येक गांव में होना चाहिए।
-विनीता कुमारी
ऊबड़-खाबड़ मैदान में दौड़ना युवाओं की मजबूरी है। सरकार को पहल कर पंचायतों में खेल मैदान बनवाना चाहिए, ताकि सिपाही भर्ती की तैयारी में परेशानी न हो।
-मुस्कान कुमारी
यहां के युवाओं को तैयारी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। इस मैदान में कोई सुविधा नहीं है, जिससे यहां आने वाली लड़कियों को काफी परेशानी होती है। बिजली और शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं है।
-चंदन कुमार
लड़कियों के साथ लड़के भी विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए दौड़, गोला फेंकने की तैयारी करते हैं। लेकिन खेल मैदान नहीं रहने के चलते उनका सिपाही और अग्निवीर सहित अन्य विभागों में जाने का सपना अधूरा रह जाता है।
-निशा
युवा वर्ग को तैयारी के लिए बेहतर मैदान चाहिए। स्वास्थ्य संवर्धन व फिटनेस ज़रूरी है। मैदान में लंबी दौड़ की प्रतियोगिता में युवा अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
-गुनगुन
इस मैदान में स्थानीय प्रशासन द्वारा समुचित कोई भी व्यवस्था नहीं है। इस मैदान में न तो आज तक शौचालय की व्यवस्था हुई और न ही खिलाड़ियों के लिए चेंजिंग रूम। यहां आने वाली लड़कियों को काफी समस्या होती है।
-रुचि कुमारी
प्रैक्टिस करने में ऊबड़-खाबड़ जमीन पर काफी समस्या होती है। लड़कियों के लिए चेंजिंग रूम की बहुत ज़रूरत है और बिजली की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
-सोनी
बेहतर खेल मैदान होता, तो बच्चों के साथ युवा भी अपने शारीरिक फिटनेस के लिए आसानी से मेहनत कर लेते, लेकिन ऐसा नहीं होने से आए दिन परेशानी होती है। इसका निदान होना चाहिए।
-शिवानी
'फिट युवा, हिट युवा’ स्लोगन सुनने में तो अच्छा लगता है, लेकिन अगर युवा शारीरिक रूप से फिट रहेंगे, तभी प्रतियोगिता को हिट कर सकेंगे। इसमें खेल मैदान की अहम भूमिका है।
-आरती
सिपाही में बहाल होकर जब देश की सेवा करनी है, तो खेल मैदान हो या न हो, इसके बावजूद दौड़ना है। हम दौड़ने के लिए सड़क पर अभ्यास करते हैं और अन्य तैयारी के लिए इसी मैदान में अभ्यास करते हैं।
-अंशु कुमार
यहां तैयारी का अच्छा माहौल तो मिल जाता है, लेकिन इस मैदान में गिट्टी, कांटी, कांच से अक्सर हम लोग चोटिल हो जाते हैं।
-अंशु प्रिया
अग्निवीर होमगार्ड के लिए तैयारी कर रही हूं। खेल मैदान नहीं होने के चलते बीते दो महीने से रोज़ अभ्यास के लिए दो किलोमीटर पैदल चलकर सुबह-शाम इसी मैदान पर दौड़ने को पहुंचता हूं। बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से काफी परेशानी होती है।
-रौशन कुमार
नगर पंचायत में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें उचित प्रशिक्षण, संसाधन एवं मौका नहीं मिलने के कारण वे अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।
-काजल कुमारी
खेल मैदान के अभाव में हम अभ्यर्थियों को सही ढंग से अभ्यास करने का मौका नहीं मिल पाता है। कपड़ा बदलने के लिए चेंजिंग रूम भी नहीं है और न ही बिजली की कोई व्यवस्था।
-दीप प्रिया
संग्रामपुर में होमगार्ड और पुलिस की तैयारी के लिए अच्छे मैदानों की कमी है, जिससे उम्मीदवारों को पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
-सान्या मिश्रा
संग्रामपुर नगर पंचायत के अंतर्गत चंदनिया गांव में स्थित मैदान का अतिक्रमण भी कर लिया है। युवा एवं खिलाड़ी सेना, बिहार पुलिस, होमगार्ड आदि की तैयारी इसी मैदान पर करते हैं। मैदान पर किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है और मैदान की भी स्थिति अच्छी नहीं है। इस मैदान में ना तो बिजली, ना शौचालय और ना ही पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। मजबूरी में हम यहां आते हैं। मैदान को लेकर कई बार विभिन्न मंचों पर आवाज उठाई गई है, लेकिन आज तक ना तो किसी ने भी मैदान की आवश्यकता को महसूस की है और ना ही इसके लिए कोई कदम उठाया गया है।
-चंदन कुमार, कोच
बोले जिम्मेदार
चंदनिया में खेल मैदान है। वहां तैयारी कर रहे लड़कीयों से भी मैंने बात की थी। इस मैदान की समस्या की जानकारी पहले से मुझे है। इस मैदान में शौचालय, चेंजिंग रूम, बिजली की व्यवस्था नगर पंचायत बोर्ड में पारित करके करवाई जाएगी। बोर्ड के मेंबर से पहले बातचीत कर लेती हूं। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बोर्ड की बैठक करके मैदान के विकास के प्रस्ताव को पारित करवाया जाएगा। यहां के जनप्रतिनिधि यदि गतिरोध उत्पन्न ना करें तो इस काम को जल्द- से- जल्द कर लिया जाएगा।
-मनीला राज, कार्यपालक पदाधिकारी, संग्रामपुर
बोले मुंगेर असर
संग्रामपुर की गलियों की हुई सफाई, हटाया जलजमाव
मुंगेर, एक संवाददाता। संग्रामपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिलने के ढाई साल बाद भी विकास से संबंधित कई काम रुका हुआ था। कन्या मध्य विद्यालय के बच्चे रोज गंदे पानी से होकर स्कूल पहुंचते थे। कई बार फिसल कर गिरने से चोट भी लगती थी। यह स्थिति सिर्फ बच्चों कि नहीं, बल्कि उन श्रद्धालुओं की भी थी जो मौनी महादेव मंदिर तक सड़क पर फैले गंदे पानी से होकर गुजरते थे। इस समस्या को बोले मुंगेर अभियान के तहत अपने हिंदुस्तान समाचार पत्र में 8 मई, गुरुवार को उठाया गया था। इस खबर का असर संग्रामपुर नगर पंचायत पर इतना जबरदस्त हुआ कि नगर पंचायत की कार्यपालक पदाधिकारी मनीला राज ने गुरुवार को ही अपने विशेष प्रयास से सड़कों एवं गलियों की सफाई करा दी। संग्रामपुर बाजार के व्यवसाईयों को जल जमाव की समस्या से निजात दिलायी। कार्यपालक पदाधिकारी संग्रामपुर की व्यवसायियों को जलजमाव की समस्या से मुक्ति का स्थायी समाधान करें, लोगों को यही उम्मीद है। इस काम के लिए व्यवसायियों ने अधिकारी और हिन्दुस्तान का आभार जताया।
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