बोले जमुई : संबद्ध कॉलेजों में अनुदान के बदले प्रतिमाह वेतन मिले
बिहार के चकाई स्थित फाल्गुनी प्रसाद यादव महाविद्यालय के शिक्षक और शिक्षकेतरकर्मियों ने अनुदान राशि की समय पर भुगतान की मांग की है। पिछले आठ शैक्षणिक सत्रों का अनुदान अभी तक नहीं मिला है, जिससे उन्हें...
विवि से संबद्ध महाविद्यालयों में जिले के हजारों छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। परीक्षा केंद्र भी बनाया जाता है। लेकिन इन कॉलेजों के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मी अनुदान राशि का भुगतान नहीं होने से परेशान हैं। इन महाविद्यालयों को परीक्षा परिणाम के आधार पर अनुदान मिलता है। इससे शिक्षक व शिक्षकेतरकर्मियों को मानदेय का भुगतान किया जाता है। मिलने वाले अनुदान में काफी विलंब से होने से उन्हें घर-परिवार चलाने में आर्थिक परेशानी हो रही है। मश्किल हो रहा है। जिले के चकाई स्थित फाल्गुनी प्रसाद यादव महाविद्यालय के शिक्षक और शिक्षकेतरकर्मियों ने कहा कि अनुदान ससमय दिया जाए, जिससे शिक्षकों के मानेदय का भुगतान समय से हो सके।
02 लाख है चकाई प्रखंड की आबादी
01 ही कॉलेज है चकाई प्रखंड में
02 प्रखंडों के छात्र यहां आते हैं पढ़ाई करने
जिले के संबद्ध महाविद्यालय के शिक्षक कई समस्याओं से परेशान हैं। बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियमम 1976 संशोधन के बाद बिहार कॉलेज सेवा आयोग की जगह नई संस्था चयन समिति का प्रावधान किया गया। इसके तहत संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी के मानक के अनुसार की जा रही है। इससे शिक्षकों को लगा था कि अब उनकी भी बेहतरी होगी। लेकिन अब तक वेतन संरचना का निर्धारण नहीं किया गया है। वहीं महाविद्यालयों में परीक्षा परिणाम के आधार पर अनुदान मिलता है। जिससे महाविद्यालयों के शिक्षक व शिक्षकेतरकर्मियों को मानदेय का भुगतान किया जाता है। ऐसे में मिलने वाला अनुदान भी काफी विलंब से शिक्षक व शिक्षकेतरकर्मियों को ससमय मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है। इस कारण उनका परिवार चलाना मश्किल हो रहा है। संबद्ध महाविद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि महाविद्यालय में विलंब से चलने वाले सत्र को तो बहुत हद तक नियमित कर दिया गया है। लेकिन संबद्ध महाविद्यालयों को मिलने वाला अनुदान अब तक ससमय नहीं हुआ है। परीक्षा परिणाम पर मिलने वाले अनुदान का निर्धारण 2008 में किया गया था।
वर्षों से नहीं मिला है अनुदान :
वर्ष 2011-14 से 2021-24 तक का अनुदान अभी तक नहीं मिला है। चकाई स्थित फाल्गुनी प्रसाद यादव महाविद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेतरकर्मियों ने संवाद के दौरान बताया कि पहले संबद्ध महाविद्यालयों में बिहार कॉलेज सेवा आयोग के माध्यम से नियुक्ति होती थी। लेकिन अधिनियम में संशोधन के बाद नई संस्था चयन समिति का प्रावधान किया गया है। जिसके तहत संबद्ध डिग्री महाविद्यालयो में प्राचार्य तथा शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी मानक के अनुरूप चयन समिति से की जा रही है। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ रविशंकर यादव ने कहा कि वेतन संरचना निर्धारित करते हुए प्रतिमाह वेतन भुगतान एवं लंबित अनुदान राशि का बजटीय उपबंध सुनिश्चित कर एकमुश्त राशि शिक्षाकर्मियों के बैंक खाते में भुगतान किया जाय। उन्होंने ने कहा कि बढ़ती मंहगाई के मद्देनजर 2008 में निर्धारित राशि को बढ़ाकर स्नातक प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय खण्ड में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की वास्तविक संख्या की गणना के आधार पर प्रत्येक खण्ड के लिए प्रथम श्रेणी के लिए प्रति छात्र मिलने वाली राशि बढ़ाई जानी चाहिए। अभी मिलने वाली अनुदान राशि काफी कम है।
बकाया राशि का समय से भुगतान होना चाहिए :
फाल्गुनी प्रसाद यादव महाविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. चंद्रशेखर पंडित ने कहा कि 2008 के संकल्प का अनुपालन करते हुए परीक्षा परिणाम आधारित वेतन मद, सहायक अनुदान राशि की अधिकतम सीमा के बंधन को समाप्त किया जाए। उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल बंद होना चाहिए। उन्होंने अनुदान की बजाय वेतन दिए जाने की मांग की। सहायक प्रो. रंजन कुमार सुमन ने कहा कि संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में कार्यरत कर्मियों का शैक्षणिक सत्र 2011-14 शैक्षणिक सत्र 2021-24 तक परीक्षा परिणाम आधारित वेतन मद सहायक अनुदान राशि राज्य सरकार के संकल्प 2008 के आधार पर सरकार के पास बकाया है। प्रो लाडली कुमारी ने कहा कि लगभग 70 प्रतिशत शिक्षार्थियों की जिम्मेदारी निभाने वाले शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सौतेले व्यवहार से शिक्षाकर्मी आक्रोशित हैं। प्रो. शिवशक्ति ने कहा कि बिहार देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां राज्य सरकार और विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय से अपने नियम कानून को पालन कराती है। मासिक वेतन के नाम पर महाविद्यालय के आंतरिक स्त्रोत व छात्रों के वार्षिक परीक्षा फल के आधार पर मिलने वाली लंबित अनुदान राशि के कारण कर्मचारियों के समक्ष भरण पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रमोद वाजपेयी ने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। अनुदान राशि का ससमय भुगतान हो ताकि कर्मचारियों को ससमय मानेदय का भुगतना किया जा सके।
शिकायतें :
1. संबद्ध महाविद्यलय को मिलने वाले अनुदान में काफी विलंब होता है। कर्मियों के मानदेय भुगतान में समस्या का समाना करना पड़ता है।
2. परीक्षाफल के आधार पर अनुदान का निर्धारण 2008 में हुआ था। तब से अब तक महंगाई में तीन गुना वृद्धि हुई। लेकिन अनुदान में वृद्धि नहीं हुई है।
3. संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी के मानक के अनुसार की जा रही है। यूजीसी के मापदंड के अनुसार नहीं हो रहा है।
4. संबद्ध महाविद्यालय के कर्मियों की योग्यता व कार्य के अनुसार वेतन का निर्धारण अब तक नहीं हुआ है। वेतन संरचना का निर्माण नहीं हुआ है।
5. संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी मापदंड के अनुसार की जाती है। लेकिन, पदनाम यूजीसी के अनुसार नहीं मिलता है।
सुझाव
1. संबद्ध महाविद्यालयों को मिलने वाले अनुदान को ससमय किया जाए। कर्मियों को अनुदान के आधार पर मिलने वाले मानदेय का भुगतान समय से किया जा सके।
2. संबद्ध माहविद्यालयों को परीक्षा फल के आधार पर मिलने वाले अनुदान का निर्धारण 2008 में हुआ था। ऐसे में अनुदान में तीन गुना की वृद्धि की जाए।
3. संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी मानक के अनुसार की जा रही है। ऐसे में वेतन का निर्धारण भी यूजीसी के आधार पर किया जाए।
4. संबद्ध महाविद्यालयों में कर्मियों के योग्यता के अनुसार वेतन का निर्धारण किया जाए। साथ ही मासिक वेतन संरचना का भी निर्माण कराया जाए।
5. संबद्ध माहविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी मापदंड के अनुसार की जाती है। ऐसे में पदनाम भी यूजीसी के अनुसार दिया जाए।
समझें हमारी पीड़ा
शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के सौतेले व्यवहार से शिक्षाकर्मी आक्रोशित हैं। यह बंद होना चाहिए।
- प्रो. विजय कुमार
शैक्षणिक सत्र 2011-14 से शैक्षणिक सत्र 2021-24 तक कुल आठ सत्र का परीक्षा परिणाम आधारित वेतनमद सहायक अनुदान राशि राज्य सरकार के संकल्प 2008 के आधार पर सरकार के पास बकाया है। उसे नियमित किया जाए।
- रतन कुमार यादव
वेतन संरचना निर्धारित करते हुए प्रतिमाह वेतन भुगतान, लंबित अनुदान राशि का बजटीय उपबंध सुनिश्चित कर एकमुश्त राशि शिक्षाकर्मियों के बैंक खाते में भुगतान किया जाय।
- अनिल कुमार यादव
संबद्ध महाविद्यलय को मिलने वाले अनुदान में काफी विलंब होता है। जिस कारण कर्मियों के मानदेय भुगतान में समस्या का सामना करना पड़ता है। आवंटन समय से किया जाए।
- प्रो. चंद्रशेखर पंडित
संबद्ध महाविद्यालय के कर्मियों की योग्यता व कार्य के अनुसार वेतन का निर्धारण अब तक नहीं हुआ है। वेतन संरचना का निर्माण नहीं हुआ है। मानदेय के बदले कर्मियों को वेतन दिया जाए।
- रामनारायण यादव
संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी मानक के अनुसार की जा रही है। ऐसे में वेतन का निर्धारण भी यूजीसी के आधार पर किया जाए। साथ ही पदनाम भी यूजीसी के मापदंड के अनुसार किया जाए।
- प्रो. राधिका कुमारी
सरकार संबद्ध महाविद्यालयों के कर्मचारिरयों के लिए वेतन संरचना निर्धारित करे। शिक्षकों का कार्य व योग्यता समान है तो वेतन भी समान होना चाहिए। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
- प्रो. करमचंद किस्कू
समान कार्य समान वेतन दिया जाए। मानदेय को वेतन में बदला जाए ताकि शिक्षक व शिक्षकेतरकर्मियों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
- प्रो. शरदेंदु शेखर
परीक्षा परिणाम के आधार पर अनुदान मिलता है। महाविद्यालयों के शिक्षकेतरकर्मियों को मानदेय का भुगतान किया जाता है। ऐसे में अनुदान का भुगतना समय से किया जाए।
- प्रो. राम कुमार यादव
हजारों शिक्षाकर्मियों का परिणाम आधारित वेतन मद सहायक अनुदान राशि राज्य सरकार के संकल्प 2008 के आधार पर बकाया है। भुगतान किया जाए।
- प्रो. विनोद कुमार
2008 में परीक्षा परिणाम के आधार पर अनुदान का निर्धारण किया गया है। इतने वर्षों में महंगाई में तीन गुना की वृद्धि हुई है। लेकिन अनुदान में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
- प्रो. कृष्ण कुमार
शिक्षा मित्र की बहाली 2005 में हुई थी। उस समय उनका मानेदय कम था। लेकिन अब उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जा रहा है। ऐसे में हमें भी सरकारी कर्मी का दर्जा मिलना चाहिए।
- प्रो. संगीता कुमारी
महाविद्यालय कर्मी राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के सभी नियमों का पालन करते हैं। महाविद्यालय भी निर्धारित अवधि तक संचालित होता है। सुविधाएं दी जाएं।
- राजीव कुमार
बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करने के बाद बिहार कॉलेज सेवा आयोग की जगह नई संस्था चयन समिति का प्रावधान किया गया है। लेकिन वेतन संरचना नहीं है।
- नरेशचंद्र हेंब्रम
संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी के मानक के अनुसार की जा रही है। लेकिन अब तक वेतन संरचना का निर्धारण नहीं किया गया है।
- प्रो. रोहित कुमार यादव
अनुदान में विलंब के कारण घर परिवार चलाना मश्किल हो रहा है। अनुदान का भुगतान ससमय किया जाए। ताकि शिक्षकों के मानेदय का भी भुगतान ससमय किया जा सके।
- रमेश कुमार
बोले प्रभारी प्राचार्य
वेतन संरचना निर्धारित करते हुए प्रतिमाह वेतन भुगतान एवं लंबित अनुदान राशि का बजटीय उपबंध सुनिश्चित कर एकमुश्त राशि शिक्षाकर्मियों के बैंक खाते में भुगतान किया जाता है। बढ़ती मंहगाई के मद्देनजर 2008 में निर्धारित राशि को बढ़ाकर स्नातक प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय खण्ड में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की वास्तविक संख्या की गणना के आधार पर प्रत्येक खण्ड के लिए प्रथम श्रेणी के लिए प्रति छात्र मिलने वाली राशि बढ़ाई जानी चाहिए। अभी मिलने वाली अनुदान राशि काफी कम है। अनुदान मिलने पर सभी को भुगतान किया जाता है।
- डॉ रविशंकर यादव, प्रभारी प्राचार्य, फाल्गुनी प्रसाद यादव कॉलेज,चकाई
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।