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केस डायरी में लिखी बातें लीक नहीं होंगी, मॉनिटरिंग करेंगे एसपी

हिन्दुस्तान विशेष लगातार गड़बड़ी करने की शिकायत पर सख्त हुआ पुलिस मुख्यालय

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 1 March 2025 03:52 AM
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केस डायरी में लिखी बातें लीक नहीं होंगी, मॉनिटरिंग करेंगे एसपी

केके गौरव / कार्यालय संवाददाता। भागलपुर। अब किसी भी केस के अनुसंधानकर्ता को डायरी और अन्य बिंदुओं पर किए गए अनुसंधान की सूचना लीक करने पर कठोर विभागीय कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। पुलिस मुख्यालय को लगातार ऐसी सूचना मिल रही थी कि गंभीर किस्म के केस के अनुसंधान का बिंदु लीक हो जा रहा है। इसकी वजह से आरोपियों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। ऐसे में पुलिस के इकबाल पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इस तरह के मामलों को लेकर पुलिस मुख्यालय से प्रत्येक जिले के पुलिस अधीक्षक को कई तरह के दिशा-निर्देश निर्गत किए गए हैं। केस की डायरी में लिखी गई बातें लीक नहीं हो, इसे सख्त रूप से अमल में लाने का निर्देश पुलिस मुख्यालय ने दिया है। इसके अलावा पूर्व की तरह ही गंभीर किस्म के अपराध होने पर एसपी को घटनास्थल पर पहुंचकर विशेष रूप से अनुसंधान करने का निर्देश दिया गया है।

केस डायरी भेजने के नियम में किया गया है बदलाव

अपराध की घटना को अब कई श्रेणियों में बांटा गया है। विशेष प्रतिवेदित वाले घटना की डायरी की कॉपी पुलिस अधीक्षक सीधे आईजी, डीआईजी को भेजेंगे। अ श्रेणी के कांडों के कांड दैनिकी केस के आईओ सीधे पुलिस अधीक्षक को भेजेंगे। ब श्रेणी के कांडों में दैनिकी सीधे पुलिस उपाधीक्षक को केस के आईओ भेजेंगे। इसके अलावा भी केस डायरी की मॉनिटरिंग को भेजने की प्रक्रिया तीन चरणों में बांटी गयी है। किसी भी थाना में होने वाले केस के सभी केस के मुख्य अनुसंधानकर्ता थानाघ्यक्ष ही माने जाएंगे।

केस से नाम कटने की सूचना आरोपी को, पीड़ित भटक रहे

जिले में केस के अनुसंधानकर्ता के किए गए अनुसंधान की बिंदु दर्जनों बार लीक हो चुकी है। अनुसंधान की सूचना लीक होने पर जिले के तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने कई पुलिसकर्मियों पर आंशिक रूप से कार्रवाई भी की थी। इसके बाद इस तरह के मामलों में कमी आई थी, लेकिन इस तरह की सूचना छिटपुट लगातार पुलिस के वरीय अधिकारियों को मिल रही है। जगदीशपुर प्रखंड के एक पीड़ित ने आवेदन देकर यह गुहार लगाया है कि आरोपी पक्ष के तीन लोगों का नाम केस से कट गया है। वे लोग खुला घूम रहे हैं। केस से नाम कटने की सूचना आरोपी को है और पीड़ित को इस आशय की पक्की सूचना के लिए भटकना पड़ रहा है।

कोट

केस के आईओ को कांड के अनुसंधान के क्रम में कोई भी सूचना पब्लिक नहीं करने की सख्त हिदायत है। चार्जशीट फाइल होने के बाद ही अनुसंधान से संबंधित जानकारी किसी को मिल पाती है। ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है। अनुसंधान की सूचना लीक नहीं हो, इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। गंभीर किस्म के अपराध की भी बारीकी से अनुसंधान किया जाता है।

-हृदय कांत, वरीय पुलिस अधीक्षक, भागलपुर।

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