कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को दिया प्रशिक्षण
प्रखंड के तरछा गांव में कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जल जीवन हरियाली के तहत मौसम के अनुकूल खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया। साथ ही नीम के पेड़ का पौधरोपण भी कराया गया।...
प्रखंड के तरछा गांव में कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जल जीवन हरियाली के तहत मौसम के अनुकूल खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया। साथ ही नीम के पेड़ का पौधरोपण भी कराया गया। वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न प्रकार की तकनीक से खेती करने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन शष्य विभाग अध्यक्ष संजय कुमार, कीट विशेषज्ञ डा. तारकनाथ गोस्वामी, मुखिया उमाशंकर रजक ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस दौरान किसानों को धान की चोपाई न कर सीधी बोआई करने को बताया गया। जिससे कम लागत में दोगुनी फसल होती है। वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा कि इस विधि से खेती करने पर मजदूर तो कम लगते ही हैं। साथ ही सिंचाई के समय में भी खेतों में कम पानी लगता है। जैविक खाद की लागत भी कम मात्रा में होती है। कार्यक्रम के दौरान कई किसानों ने भी इस विधि से खेती करने पर अधिक फायदे की बात कही।
कृषि विश्वविद्यालय सबौर से तरछा, दामुचक, लौगाय, कासिमपुर एवं गोढ़रा गांव में इस विधि से कई किसानों के खेतों में धान लगाया गया है। जिसका निरीक्षण किया गया तो समान्य खेती की अपेक्षा सीधी बुआई वाले खेतों की फसल अच्छी थी। मौके पर वैज्ञानिक डा.सुनील कुमार, विशेषज्ञ पंकज कुमार, आलका सुमन, किसान रंजन कुमार सिन्हा, अजय कुमार सिंह, चुन्ना सिंह, घनश्याम यादव मौजूद थे।
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