बेटियों को पिता की चिंता होती है : स्वामी विनोदानन्द सरस्वती
नवगछिया, निज संवाददाता। घाट ठाकुरवाड़ी मे चल रहे रामचरित मानस के 50वें स्वर्ण जयंती समारोह

घाट ठाकुरवाड़ी मे चल रहे रामचरित मानस के 50वें स्वर्ण जयंती समारोह रामकथा के अंतिम दिन कथावाचक स्वामी विनोदानन्द सरस्वती ने कहा कि बेटियों को पिता की चिंता होती है। पिता से ही बेटियों का मायका है। जहां काम वहां राम नहीं, जहां राम वहां काम नहीं। जो लोभ का कहना मानेगा वो कोप भवन में जाएगा। बेटी की विदाई पिता सह नहीं पाता, पिता के घर से बेटी की डोली निकलती है। पति के घर से बेटी की अर्थी निकलती है। कथा के दौरान जिऊंगा मैं कैसे राघव इतना बताए जाना... हम तुम्हारे थे प्रभु जी हम तुम्हारे हैं हम तुम्हारे ही रहेंगे, ओ मेरे प्रियतम आदी भजनों से श्रोताओं को खूब झूमाया। पंडीत चंदन झा के आचर्यत्व में 21 विद्वानों के द्वारा नवाह पारायण संगीतमय प्रातः 8: बजे से दोपहर 1 तक किया जा रहा है इसके बाद हवन के साथ यज्ञ कि समाप्ति हुई। स्वामी विनोदानन्द सरस्वती ने सभी आयोजन कर्त्ता को बधाई देते हुए कहा इसी उत्साह के साथ आगे भी नवाह परायण यज्ञ का आयोजन करते रहे ।श्रोताओं को भी खूब आशीर्वाद देते हुए कहा की 8 दिन आप लोगों ने जो राम कथा सरवन किया है उसे अपने जीवन में उतरने की आवश्यकता है तभी हमारा जीवन सफल होगा ।कथा समाप्ति के बाद सभी श्रोताओं ने व्यास गद्दी का पूजन किया और आरती कि इस को इस आयोजन को सफल बनाने मे सचिव शिव जायसवाल अध्यक्ष दिनेश सरार्फ उपाध्यक्ष बनवारी पंसारी कोषाध्यक्ष सरवन केडिया मीडिया प्रभारी अशोक केडिया,किशन यादुका,संतोष यादुका, संतोष भगत, अनिल चिरानिया, अनिल भगत, विनीत खेमका, कैलाश अग्रवाल,विशाल चिरानिया,जुगनु भगत, दयाराम चौधरी, किशन चिरानियाँ, शंकर चिरानियाँ आदि लगे हुए हैं।
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