मां की यूटीआई से समय से पहले पैदा हो रहे बच्चे
- वर्ल्ड प्रीमेच्योरिटी डे (17 नवंबर) पर विशेष भागलपुर जिले में हर वर्ष पैदा
भागलपुर, वरीय संवाददाता। अगर आप मां बनने वाली हैं, आपको बार-बार पेशाब जाना पड़ रहा है। पेशाब करते वक्त जलन या चुभन हो रही है तो आपको यूटीआई (यूरिन ट्यूब इंफेक्शन) यानी मूत्र नली में संक्रमण हो चुका है। आपको तत्काल ही महिला चिकित्सक से मिलकर अपनी जांच और इलाज कराना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि आपका ये यूटीआई न केवल आपको समय यानी निर्धारित नौ माह से पहले प्रसव (प्रीमेच्योर डिलेवरी) करा देगा बल्कि नवजात की जान के लिए खतरे का सबब बन सकता है। यूं तो प्रीमेच्योर डिलेवरी के अन्य कई कारण हैं, लेकिन आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि प्रीमेच्योर डिलेवरी से जुड़ी हर दूसरी महिला में यूटीआई की बीमारी मिल रही है। न केवल मां, बल्कि बच्चे को भी जान का खतरा
नौ माह से पहले डिलेवरी होने से मां को जहां अनचाहा सीजेरियन कराना पड़ता है, बल्कि बच्चे की अत्यंत देखभाल की दोहरी जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। वहीं समय से पहले पैदा हुए नवजात बच्चों में श्वसन संबंधी समस्या, निमोनिया, फेफड़े मजबूत न होने के कारण एसएनसीयू या फिर नीकू-पीकू में भर्ती होने की स्थिति, इंट्रा वेंटिकुलर हैमरेज, हाईपरथर्मिया, नियोनेटल गैस्ट्रो एंटेरोराइटिस होने की आशंका होती है। ऐसे में अगर बच्चे की देखभाल में लापरवाही हो गई तो उसकी जान तक चली जाती है।
10 से 12 प्रतिशत बच्चे पैदा हो रहे नौ माह से पहले
सदर अस्पताल में हर माह औसतन 450 से 480 बच्चे पैदा हो रहे हैं। इनमें से 10 से 12 बच्चे नॉर्मल डिलेवरी के जरिए तो पांच से छह बच्चे सिजेरियन (सी सेक्शन) के जरिए पैदा हुए होते हैं। वहीं अगर हम पूरे जिले के आंकड़ों की बात करें तो हर साल भागलपुर जिले में औसतन 80 हजार से 84 हजार बच्चे पैदा होते हैं। इसमें सरकारी, निजी अस्पतालों से लेकर घरों में पैदा हुए बच्चों के आंकड़े शामिल हैं। सदर अस्पताल की स्त्री रोग एवं प्रसव विशेषज्ञ डॉ. ज्योति कुमारी बताती हैं कि चाहे नॉर्मल हो या फिर सी सेक्शन से हुए प्रसव का मामला। कुल प्रसव में से करीब दस से 12 प्रतिशत प्रसव प्रीमेच्योर डिलेवरी से जुड़े हैं।
50 से 60 प्रतिशत प्री मेच्योर डिलेवरी का कारण बन रहा यूटीआई
बकौल डॉ. ज्योति, प्री मेच्योर डिलेवरी के प्रमुख कारणों में से यूटीआई (यूरिन ट्यूब इंफेक्शन), ज्यादा उम्र में मां बनना, टि्वन प्रेग्नेंसी (गर्भ में जुड़वा बच्चा होना), हाइपरटेंशन व शुगर की बीमारी होना है। लेकिन कुल प्री मेच्योर के मामले में से तकरीबन 50 से 60 प्रतिशत समय से पहले डिलेवरी होने का कारण गर्भावस्था के दौरान यूटीआई का होना पाया जा रहा है। यूटीआई की बीमारी का लक्षण बार-बार पेशाब करने की इच्छा, पेशाब करते समय दर्द, चुभन या जलन और पीठ के निचले हिस्से या बाजू में दर्द, मूत्र बदबूदार या धुंधला होना है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान यूटीआई के ये लक्षण दिखने पर गर्भवती महिला चिकित्सक से मिलकर इलाज करा लेती हैं तो उसे प्रीमेच्योर डिलेवरी का दर्द नहीं सहना पड़ेगा।
कोट
गर्भधारण होते ही महिला को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, यूटीआई, शुगर व बीपी की जांच करानी चाहिए। इस तरह की समस्या होने पर तत्काल इलाज शुरू कर देना चाहिए। ताकि प्रीमेच्योर की स्थिति से बचा जा सके।
-डॉ. ज्योति कुमारी, स्त्री एवं प्रसव रोग विशेषज्ञ, भागलपुर
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