सीनियर,घर वालों और खास से बात करने को अलग-अलग मोबाइल
जिले में पदस्थापित थानेदार दो-तीन मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे विभाग के सीनियर व सहकर्मी

भागलपुर, वरीय संवाददाता। विभाग के सहकर्मी और सीनियर से सरकारी नंबर से बातचीत। परिवार वालों के लिए अलग सिम। अपने खास, बालू माफिया, इंट्री माफिया और थाना के दलालों से बातचीत करने के लिए अलग नंबर। जिले में पदस्थापित थानेदार और अनुमंडल स्तर के अन्य पदाधिकारी मोबाइल पर बातचीत में इसी फॉर्मूले पर यकीन कर रहे हैं। लगभग सभी थानेदार दो से तीन मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें कम से कम चार सिम लगे होते हैं। इतना ही नहीं अपने खास को सख्त हिदायत रहती है कि गोपनीय नंबर किसी को नहीं दें। ऐसा सिर्फ पुलिस विभाग में नहीं अन्य विभाग के भी पदाधिकारी और कर्मी कर रहे हैं। जांच के दौरान प्रशिक्षु डीएसपी की खुली थी पोल
कुछ साल पहले भागलपुर जिले में प्रशिक्षण ले रहे डीएसपी को जगदीशपुर का थानेदार बनाया गया था। बालू के अवैध खनन की शिकायत मिलने पर तत्कालीन एसएसपी ने एएसपी सिटी को जांच के लिए भेजा था। जांच के लिए एएसपी सिटी पहुंचे तो वहां बालू माफिया हाथ लग गया। उसके मोबाइल की जांच की गई तो पता चला कि उक्त प्रशिक्षु डीएसपी की उससे लगातार बातचीत हो रही थी। जांच के दौरान भी कॉल आने लगा। पता चला कि तत्कालीन डीएसपी ने बालू माफिया से बातचीत के लिए अलग से एक गोपनीय नंबर रखा था। सोमवार को एक प्रशिक्षु डीएसपी के जगदीशपुर थानेदार के पद से विदाई को लेकर समारोह का आयोजन हुआ तो वहां भी कई बालू माफिया दिख गए।
बॉक्स
खास बात हो तो चैंबर से निकलकर करते हैं बात
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी थानों में सीसीटीवी लगाए गए हैं। पहले लगे सीसीटीवी में वॉइस रिकॉर्डिंग नहीं थी तो चैंबर में भी दलालों से खास बातचीत हो जाती थी पर अब सीसीटीवी में वॉइस रिकॉर्डर भी लग गया है। ऐसे में जब अपने खास से बात करनी होती है तो थानेदार चैंबर से बाहर सीसीटीवी की पहुंच से दूर जाकर बात करते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।