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अररिया: नवजात को मिली मां की छांव लेकिन पुलिस की खौफ से ग्रामीण नहीं लौट रहे गांव

फारबिसगंज में तीन दिन बाद एक नवजात को उसकी मां का सहारा मिला। हालांकि, पुलिस की कार्रवाई के डर से महादलित टोला के लोग अपने घर नहीं लौट रहे हैं। पुलिस का कहना है कि निर्दोषों को डरने की जरूरत नहीं है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 24 Nov 2024 05:52 PM
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फारबिसगंज, निज संवाददाता। आखिरकार तीन दिनों के बाद आखिरकार नवजात को मिला मां का छांव मगर पुलिस की खौफ से औराही पूरब महादलित टोला के लोग लौट नहीं रहे हैं अपने-अपने घर। इधर मामला सुर्खियों में आने के बाद एसपी के निर्देश पर पुलिस ने 25 दिनों के नवजात को उनकी मां को सुपुर्द कर दिया। इस बात को लेकर परिजनों ने राहत की सांस ली है। मगर बेशक नवजात को मां का छांव मिल गया है मगर कोई भी परिजन अभी भी पुलिस के भय से नहीं लौट रहे हैं गांव । हालत यह है कि तीन दिन बीत जाने के बाद भी औराही पुरब का महादलित टोला पटरी पर नहीं लौट पायी है। लोग घर बार छोड़कर फरार हैं। कोई अपने पड़ोसी के गांव में तो कोई अपने रिश्तेदार के यहां ठौर जमाए हुए हैं । हालांकि इन सब स्थिति के बीच पुलिस ने स्पष्ट किया कि निर्दोष को डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि पुलिस समाज की ही सुरक्षा के लिए है।

बतादें औराही पूरब महा दलित टोला, जो अब तीन दिन से पुलिस कार्रवाई और दहशत के बीच समा गया है। यह गांव एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि निर्दोष लोगों को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनका उद्देश्य समाज की हिफाजत करना है। लेकिन गांव वाले और पीड़ितों के लिए यह संदेश अलग है। बता दें तीन दिन पहले महादलित टोला में दो पुलिस अधिकारियों की पिटाई के बाद, पुलिस ने रातभर अभियान चलाया था। इस दौरान कई संदिग्धों की गिरफ्तारी की गई, लेकिन इसका असर गांव के आम जीवन पर काफी गहरा पड़ा है। लोग काम धंधा व रोजी रोटी छोड़कर फरार हो गए हैं और घरों से पलायन करने की स्थिति है। वहीं पुलिस का कहना है कि उनका ऑपरेशन निर्दोषों को निशाना बनाने का नहीं, बल्कि आरोपियों के खिलाफ है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में डरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनका मकसद सिर्फ गांव और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस संबंध में पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि छबि लाल राम का कहना है कि पुलिस के साथ जो घटना घटित हुआ वह काफी निंदनीय है । लेकिन इस मामले में निर्दोष को भी सजा मिलना उचित नहीं है । उन्होंने पुलिस प्रशासन से भी गंभीरता पूर्वक इस मामले की जांच करने की मांग की । वहीं महादलित टोला के निवासी अब भी भय के साये में जी रहे हैं। क्षेत्र के कई घरों में ताले लगे हुए हैं, और घर सुना पड़ा हुआ है।

क्या कहते हैं एसडीपीओ

एसडीपीओ मुकेश कुमार साहा ने कहा कि निर्दोष को डरने की कोई जरूरत नहीं है। पुलिस का काम किसी को डराना नहीं है बल्कि समाज की सुरक्षा करना है। समाज में अधिकांश अच्छे लोग है। कानून को हाथ में लेने का किसी को अधिकार नहीं है। जो आरोपी नहीं है उनको अपने घरों में रहना चाहिए।

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