Hindi NewsBihar NewsBhagalpur NewsMobile Retail Crisis in Katihar Bihar Local Businesses Struggle Against E-Commerce Dominance

बोले कटिहार : ऑनलाइन और ऑफलाइन समान हो मोबाइल की कीमत

कटिहार, बिहार में मोबाइल रिटेल व्यापारियों का व्यवसाय संकट में है। ई-कॉमर्स कंपनियों की नीतियों और भारी छूट के कारण स्थानीय दुकानदारों का व्यापार ठप हो रहा है। इससे व्यापारियों की आजीविका पर असर पड़...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 21 April 2025 10:24 PM
share Share
Follow Us on
बोले कटिहार : ऑनलाइन और ऑफलाइन समान हो मोबाइल की कीमत

कटिहार बिहार का एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र है। यहां के सैकड़ों मोबाइल रिटेल व्यापारियों का व्यवसाय इन दिनों गहरे संकट से गुजर रहा है। ई-कॉमर्स कंपनियों की अनुचित नीतियों और भारी डिस्काउंट ने स्थानीय दुकानदारों का व्यापार लगभग ठप कर दिया है। इससे न केवल व्यापारियों की आजीविका प्रभावित हो रही है, बल्कि राज्य सरकार के राजस्व में भी भारी गिरावट दर्ज हो रही है। कटिहार में कई व्यापारी आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के चलते गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो जिले के सैकड़ों परिवार भयानक आर्थिक और सामाजिक संकट में फंस सकते हैं।

16 प्रखंड के मोबाइल दुकानदारों पर मंडराया आर्थिक संकट

8 सौ 90 प्रतिष्ठित दुकानों का जिले में हो रहा है संचालन

08 नगर पंचायत सहित नगर निगम के दुकानदारों को है समस्या

सीमांचल का प्रमुख व्यावसायिक जिला कटिहार इन दिनों मोबाइल रिटेल कारोबार के सबसे बड़े संकट से जूझ रहा है। ई-कॉमर्स कंपनियों के एकाधिकार और अनियंत्रित छूट नीति ने स्थानीय दुकानदारों की कमर तोड़ दी है। जो व्यापारी कभी अपने हुनर, मेहनत और ग्राहक सेवा के दम पर सम्मानजनक जीवन जी रहे थे, आज वही आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।

मोबाइल दुकानों में दिखती थी चहल-पहल :

कटिहार के बाजारों में कभी मोबाइल दुकानों की चहल-पहल दिखती थी, लेकिन अब ग्राहकों की भीड़ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सिमट गई है। भारी डिस्काउंट, एक्सक्लूसिव लॉन्च और कंपनियों के विशेष ऑफर्स ने स्थानीय खुदरा व्यापारियों को हाशिये पर धकेल दिया है। यह संकट केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतों से लेकर बच्चों की पढ़ाई, कर्ज़ चुकाने और जीवन जीने की मूलभूत व्यवस्थाओं तक गहरा असर डाल रहा है। स्थिति इतनी विकराल है कि कई व्यापारी मानसिक तनाव के कारण अवसाद के कगार पर पहुंच चुके हैं। लगातार घाटा और बैंक लोन के दबाव में कई परिवारों का आर्थिक संतुलन बिगड़ गया है। यदि समय रहते राहत नहीं मिली तो आत्महत्या जैसे दुखद मामले सामने आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

करोड़ों रुपए के सरकारी राजस्व का हो रहा है नुकसान :

इस पूरे संकट के बीच सरकार को भी करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। जब व्यापार स्थानीय दुकानों से होता है तो जीएसटी ट्रेड लाइसेंस और अन्य टैक्स के रूप में सरकार की आय सुनिश्चित होती है। लेकिन ऑनलाइन बाजार पर कुछ गिनी-चुनी कंपनियों का कब्जा और कर चोरी के नए-नए रास्ते सरकारी खजाने पर भी सीधा प्रहार कर रहे हैं। साथ ही, ऑनलाइन खरीदारी से जुड़े साइबर अपराधों में भी तेजी आई है। फर्जी वेबसाइट, नकली कॉल्स और ऑनलाइन फ्रॉड ने ग्राहकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके उलट, स्थानीय दुकानदार भरोसे और त्वरित सेवा के प्रतीक हैं, मगर उनकी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता खत्म होती जा रही है।

सरकार सुने व्यापारियों की मांग :

व्यापारियों की है मांग है कि सरकार ई-कॉमर्स और मेनलाइन रिटेल के बीच समान अवसर की गारंटी दे। उत्पाद की उपलब्धता, दाम और ऑफर दोनों माध्यमों पर एक समान हो। इसके अलावा व्यापारियों के लिए राहत पैकेज और सुरक्षा बोर्ड का गठन हो। यदि ये मांगें अनसुनी रहीं, तो कटिहार जैसे व्यापारिक शहर की रीढ़ टूट जाएगी और सैकड़ों परिवार असहाय होकर आर्थिक बर्बादी के गर्त में समा जाएंगे। अब वक्त है कि सरकार व्यापारियों की पीड़ा सुने और समाधान के ठोस कदम उठाए।

शिकायतें:

1. ई-कॉमर्स कंपनियां अनुचित डिस्काउंट और एक्सक्लूसिव ऑफर्स देकर स्थानीय बाजार को पूरी तरह खत्म कर रही हैं।

2. ऑनलाइन कारोबार में पारदर्शिता की कमी और टैक्स चोरी से सरकार को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है।

3. साइबर क्राइम, नकली कॉल्स और फर्जी वेबसाइटों के कारण ग्राहक और व्यापारी दोनों असुरक्षित हो गए हैं।

4. मोबाइल कंपनियों द्वारा नए उत्पादों का प्राथमिकता से ऑनलाइन लॉन्च, खुदरा दुकानदारों के लिए नुकसानदेह है।

5. व्यापार में लगातार घाटे और कर्ज के दबाव से कटिहार के दुकानदार मानसिक तनाव और आत्महत्या जैसी स्थिति तक पहुंच रहे हैं।

सुझाव:

1. सरकार लेवल प्लेइंग फील्ड की नीति लागू करे, जिससे ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यापारियों को समान अवसर मिले।

2. मोबाइल कंपनियों को बाध्य किया जाए कि वे उत्पादों की उपलब्धता, दाम और ऑफर सभी प्लेटफॉर्म्स पर एक समान रखें।

3. खुदरा व्यापारियों के लिए विशेष राहत पैकेज और आसान कर्ज योजना लागू की जाए।

4. साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए ई-कॉमर्स नियमन और निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाए।

5. राज्य स्तर पर मोबाइल व्यापार सुरक्षा बोर्ड का गठन हो, जो व्यापारियों की समस्याओं का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करे।

इनकी भी सुनें

ऑनलाइन कंपनियों ने हमारे जैसे खुदरा व्यापारियों की रीढ़ तोड़ दी है। हम दिन-रात मेहनत करते हैं, मगर ग्राहक अब केवल डिस्काउंट के लालच में ऑनलाइन ही जाते हैं। सरकार को हमारी आवाज सुननी ही होगी, वरना हजारों व्यापारी तबाह हो जाएंगे।

- शनि मेघानी

पहले कटिहार का मोबाइल व्यापार फल-फूल रहा था, आज हालात ऐसे हैं कि दुकान का किराया तक निकालना मुश्किल हो गया है। ऑनलाइन कंपनियों का यह अनुचित खेल बंद होना चाहिए, सरकार को तुरंत कड़ा फैसला लेना चाहिए।

- राजा केशरी

हमारी कमाई का जरिया पूरी तरह छिनता जा रहा है। ग्राहक अब दुकान पर भरोसा करने की बजाय सस्ते दाम के झांसे में ऑनलाइन ही खरीदारी करते हैं। हम चाहते हैं सरकार समान अवसर की नीति तुरंत लागू करे।

- जाहिद

ई-कॉमर्स कंपनियां मनमानी कीमतें लगाकर बाजार को बर्बाद कर रही हैं। हम खुदरा दुकानदारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। यह स्थिति अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

- चंदन

आज हालात ये हैं कि मोबाइल दुकानदार हर दिन घाटे में जा रहा है। जो मेहनत से कमाने वाले व्यापारी हैं, वो आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव में फंस गए हैं। सरकार को व्यापारियों की चिंता करनी चाहिए।

- अमित गुप्ता

ऑनलाइन बाजार के चलते हम जैसे खुदरा व्यापारी हाशिये पर चले गए हैं। ग्राहक पहले की तरह विश्वास नहीं करता, सबको सस्ता चाहिए। सरकार यदि तुरंत हस्तक्षेप नहीं करती तो हालात और बिगड़ेंगे।

- शाहनवाज आलम

हमारी रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है। ऑनलाइन छूट के चलते ग्राहक दुकान छोड़ चुके हैं। व्यापार लगभग खत्म हो गया है। सरकार को सभी चैनलों पर एक जैसी कीमत और ऑफर तय करना चाहिए।

- निशांत

दुकानदार दिन-रात मेहनत कर रहा है, लेकिन ग्राहक ई-कॉमर्स की तरफ भाग रहा है। ये सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि परिवारों के भविष्य का सवाल है। सरकार को जल्द ठोस कदम उठाना चाहिए।

- तहसीन

स्थानीय बाजार का अस्तित्व खतरे में है। ऑनलाइन कंपनियां बाजार पर कब्जा कर रही हैं। खुदरा व्यापारियों के लिए अब विकल्प नहीं बचा है। सरकार को व्यापार संतुलन और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

- शुभम सौरभ

ई-कॉमर्स कंपनियों की नीतियों से व्यापार चौपट हो गया है। पहले ग्राहक दुकानों पर भरोसा करते थे, अब केवल सस्ता देखकर ऑनलाइन ऑर्डर कर देते हैं। सरकार को व्यापारियों की रक्षा करनी चाहिए।

- गिरीश कुमार रिजवानी

हम खुदरा व्यापारी बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं। बैंक का लोन, दुकान का किराया और परिवार की जिम्मेदारियां अब पूरी करना मुश्किल हो गया है। सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए।

- सुमित कुमार

सरकार की चुप्पी हमें और परेशान कर रही है। छोटे दुकानदार ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी के सामने टिक नहीं पा रहे। समान अवसर और नियमों की जरूरत है ताकि व्यापार बच सके।

- बंटी मेघानी

व्यापार घाटे में है और खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। जब तक ऑनलाइन और ऑफलाइन के बीच एक जैसी नीति नहीं बनती, तब तक व्यापारियों की मुश्किलें कम नहीं होंगी।

- संजय डालमिया

स्थानीय बाजार में व्यापार लगभग ठप हो चुका है। ग्राहक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फंस चुका है। अगर सरकार ने उचित नीति नहीं बनाई तो सैकड़ों परिवारों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।

- अजय चौधरी

हम छोटे व्यापारी रोज़ी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों ने बाजार को असंतुलित कर दिया है। सरकार को चाहिए कि ऑनलाइन और ऑफलाइन के बीच समान नीति लागू करे।

- वसीम अकरम

मोबाइल व्यापार अब फायदे का सौदा नहीं रहा। ग्राहक अब सिर्फ ऑफर और छूट देखता है। सरकार और नीति-निर्माताओं को छोटे व्यापारियों के हक़ में तुरंत कदम उठाने चाहिए।

- रवि चौधरी

व्यापार में जो स्थिरता और सम्मान था, वो अब खत्म हो चुका है। हम दुकानदारों के सामने बेरोजगारी की स्थिति खड़ी हो गई है। सरकार को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना ही होगा।

- मिथिलेश कुमार

ऑनलाइन बाजार ने हमारी दुकानों से ग्राहक छीन लिए हैं। घाटा इतना बढ़ चुका है कि दुकान चलाना मुश्किल हो गया है। सरकार को तुरंत न्यायसंगत नीति बनानी चाहिए।

- राणा कुमार

बोले जिम्मेदार

सरकार इस गंभीर समस्या को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है। मोबाइल रिटेल व्यापारियों की आर्थिक सुरक्षा और बाजार में संतुलन बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। ई-कॉमर्स और स्थानीय व्यापारियों के बीच समान अवसर सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। व्यापारियों की मांगों पर गहन विचार-विमर्श कर एक पारदर्शी और न्यायसंगत नीति तैयार की जाएगी, जिससे सभी पक्षों को लाभ हो और राजस्व में भी स्थिरता बनी रहे। साइबर क्राइम पर नियंत्रण और कर व्यवस्था में सुधार के लिए विशेष निगरानी समिति भी गठित की जाएगी।

-भुवन अग्रवाल, महासचिव, चेंबर ऑफ कॉमर्स

बोले कटिहार फॉलोअप

नव निर्मित बस स्टैंड में सुविधा के लिए आंदोलन की चेतावनी

कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। नगर निगम क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बने नव निर्मित बस स्टैंड की बदहाल स्थिति को लेकर बस परिचालकों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। सुविधाओं के घोर अभाव से नाराज बस संचालकों ने ‘बस स्टैंड संघर्ष समिति का गठन कर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। जानकारी हो कि 16 जनवरी को बोले कटिहार के तहत उदामा रेखा बस स्टैंड की हकीकत और वहां के आसपास के लोगों की परेशानी से अवगत कराया गया था। जिसके बाद से लगातार आवाज उठती रही है। इसी कड़ी में सोमवार को संघर्ष समिति की ओर से आंदोलन की चेतावनी दी गयी। परिचालकों का आरोप है कि बस स्टैंड में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। न तो पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही शौचालय और साफ-सफाई। बारिश के दिनों में पूरा परिसर तालाब में तब्दील हो जाता है, जिससे यात्री और चालक दोनों बेहाल रहते हैं। संगठन के त्रिभुवन कुशवाहा ने कहा कि समिति ने पांच सूत्री मांगों को लेकर नगर निगम प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर जल्द व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई तो वे चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। प्रमुख मांगों में स्थायी आवंटन, अतिक्रमण मुक्त परिसर, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था, जलजमाव से मुक्ति और संचालन में पारदर्शिता शामिल है। संघर्ष समिति ने कहा कि बस स्टैंड शहर की जीवन रेखा है, इसे नजरअंदाज करना यात्रियों और व्यवसायियों के साथ अन्याय है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें