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बोले जमुई: झाझा को अनुमंडल का मिले दर्जा तो विकास को मिलेगी रफ्तार

झाझा नगर परिषद क्षेत्र में 25 वार्ड और 20 पंचायतें हैं, जहां 3 लाख से अधिक लोग रहते हैं। झाझा को 16 साल से पुलिस अनुमंडल का दर्जा मिला है, लेकिन अनुमंडल का दर्जा अब तक नहीं मिल पाया है। स्थानीय लोगों...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 20 April 2025 10:08 PM
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बोले जमुई: झाझा को अनुमंडल का मिले दर्जा तो विकास को मिलेगी रफ्तार

झाझा के लोगों की परेशानी 25 वार्ड हैं कुल मिलाकर झाझा नगर परिषद क्षेत्र में

20 पंचायतें भी शामिल हैं झाझा नगर परिषद क्षेत्र में

03 लाख से अधिक लोग रहते हैं झाझा नगर परिषद में

करीब 60 वर्ष पुराने झाझा प्रखंड को 16 सालों यानी डेढ़ दशक से भी अधिक वक्त से पुलिस अनुमंडल की हैसियत तो हासिल है, लेकिन अनुमंडल का दर्जा नहीं मिल पाया है। साल 2009 में झाझा को पुलिस अनुमंडल का दर्जा मिलने पर यहां के लोगों में एकाध साल के अंदर ही पूर्ण अनुमंडल हो जाने की उम्मीद और भरोसा हो गया था। फिर नगर पंचायत से नगर परिषद में अपग्रेड हो जाने पर पूर्ण अनुमंडल को लेकर भी सरकार की अधिसूचना किसी भी दिन जारी हो जाने की उम्मीदें उड़ान भरने लगी थीं, लेकिन अभी तक झाझा को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त नहीं होने झाझा वासियों को एक टीस महसूस होता आ रहा है। बोले जमुई के दौरान झाझा वासियों ने अपने टीस को अखबार के माध्यम से महसूस कराया।

जमुई, प्रस्तुति : अरूण बोहरा

झाझा प्रखंड को पूर्ण अनुमंडल की हैसियत नहीं हासिल हो पाने का दर्द और टीस झाझावासियों को बीते कई दशकों से सालती आ रही है। झाझा के सामाजिक व व्यावसायिक समेत सभी तबकों का कहना है कि झाझा अनुमंडल होने की तमाम पात्रता व अर्हता रखता है। बावजूद इसके अनुमंडल के अपने वाजिब हक से वंचित रखा जाना इसके साथ नाइंसाफी है और साथ ही यह स्थिति झाझा के विकास के मामले में गतिरोधक या स्पीड ब्रेकर बना हुआ है। झाझा स्थित जमुई जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स, बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन, बिहार खुदरा विक्रेता संघ, नागरिक मंच एवं प्रखंड मुखिया संघ आदि सभी का कहना था कि झाझा रेल समेत कई मायनों व मामलों में जिला स्तरीय हैसियत और रुतबा रखता है। किंतु जिला छोड़, इसका बीते कई दशकों से पूर्ण अनुमंडल तक के लिए तरसना तथा लगातार गुहार के बावजूद किसी भी सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगना काफी दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है। चैंबर के पूर्व अध्यक्ष सह बुजुर्ग समाजसेवी सीताराम पोद्दार ने कोफ्त भरे लहजे में कहा कि झाझा सिर्फ सियासतदानों की सियासी प्रयोगशाला बना कर रह गया है। यह सभी के संज्ञान में है कि उक्त मांग पर सरकार की मंजूरी की मुहर लगवाने को ले झाझा के लोगों व संगठनों ने गुजरे दशकों के दौरान कई बार धरना, प्रदर्शन व चक्का जाम से लेकर हस्ताक्षर अभियान तक भी चलाया है,बावजूद इसके नतीजा अब तक सिफर ही रहा है।

6 दशक पुराना है प्रखंड, पुलिस अनुमंडल बने भी डेढ़ दशक से उपर हो गया :

रोचक यह कि करीब 60 वर्ष पुराने इस प्रखंड को बीते 16 सालों यानि डेढ़ दशक से भी अधिक वक्त से पुलिस अनुमंडल की हैसियत तो हासिल है। किंतु,झाझा को राजस्व अनुमंडल का दर्जा देने के मामले में कोताही से हर तबका हैरान-परेशान है। झाझा के विधायक सह पूर्व मंत्री दामोदार रावत के अथक प्रयासों से साल 2009 में झाझा को पुलिस अनुमंडल का दर्जा मिलने यानि अनुमंडल की राह में आधा सफर तय हो जाने की बात मानते हुए तब सबने एकाध साल के अंदर ही पूर्ण अनुमंडल हो जाने की उम्मीद व भरोसा हो गया था। फिर,नगर निकाय का दर्जा भी पंचायत से परिषद में अपग्रेड हो जाने पर पूर्ण अनुमंडल को लेकर भी सरकार की अधिसूचना किसी भी दिन जारी हो जाने की उम्मीदें उड़ान भरने लगी थीं। पर,झाझावासियों का राजस्व अनुमंडल का वह हसरत अब तक भी पूरी नहीं हो पाई जो उनके दिलों में बीते करीब तीन दशक से उफान मारती आ रही है। अब तो कई लोगों को ऐसा लगने लगा है कि उनकी उक्त वाजिब मांग कहीं न कहीं शायद सियासी पेंच में फंसकर रह गई है।

जिला बनने के 34 सालों बाद भी जमुई के डीएम व एसडीएम का क्षेत्राधिकार समान :

लोगों का कहना है कि जिला बनने के करीब 34 सालों बाद भी जमुई के जिला एवं सबडिवीजन दोनों की चौहद्दी व सीमाएं एक ही हैं। करीब साढ़े तीन दशकों बाद भी जिला प्रशासन का कोई विकेंद्रीकरण न हो इसके 1991 वाले हाल में ही यथावत रहने से जो जमुई के डीएम का क्षेत्राधिकार है, प्रशासनिक नजरिए से एकदम उस पूरे 3098 वर्ग किमी रकबे का ही मालिक जमुई एसडीओ भी हैं।

भरोसे की खुराक कईयों ने पिलाई,अमली जामा कोई नहीं पहना पाए :

बता दें कि इस बाबत 2005 की चुनावी सभा में पूर्व सीएम राबड़ी देवी एवं 2020 की चुनावी सभा में पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से ले नीतीश के पूर्व कबिना मंत्री दामोदर रावत तथा उनके पूर्व के तत्कालीन विधायक तक विगत में समय-समय पर लोगों को भरोसा दिलाते रहे हैं। तो जनवरी,2013 में एक स्थानीय पार्टीजन के घर आगमन पर पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रामविलास पासवान ने भी झाझावासियों की उक्त वाजिब मांग के प्रति गंभीरता दिखाई थी। और....झाझा से विधान सभा के प्रत्याशी रहने वाले सियासतदानों के लिए तो विगत के करीब पांच विस चुनावों से झाझा को सबडिवीजन बनाए जाने के भरोसे की घूंट मानों ब्रह्माशास्त्र साबित होती रही है। पर जीत के बाद झाझा के नुमाइंदे के पास शायद इस भरोसे के अलावा अन्य कोई जवाब नहीं होता था कि वे गंभीरता से लगे हैं।

शिकायतें:

अनुमंडल नहीं होने से अनुमंडल स्तरीय छोटे-मोटे कामों के लिए भी लगानी पड़ती है जिला मुख्यालय की दौड़।

कई मामलों में आवेदन के साथ शपथ पत्र भी देना पड़ता जिसके लिए आम लोगों से छात्र-छात्राओं तक को लगानी पड़ती है जमुई की परिक्रमा।

जमीन विवाद मामलों में 144 की कार्रवाई आम व सामान्य बात होती है। उक्त कार्रवाई को लेकर हर तारीख पर जाना पड़ता है जमुई स्थित एसडीएम के कोर्ट।

सिविल संबंधी मामलों को लेकर भी जिला मुख्यालय जाने की होती है परेशानी।

जमीन व दाखिल खारिज संबंधी मामलों में सीओ कार्यालय से असंतुष्टि पर डीसीएलआर के यहां अपील को लेकर भी जमुई के काटने पड़ते हैं चक्कर।

सुझाव:

झाझा को तत्काल राजस्व अनुमंडल का दर्जा मिले।

झाझा में एसडीएम समेत अनुमंडल स्तरीय तमाम विभाग के कार्यालय व पदाधिकारियों का पदस्थापन हो।

अनुमंडल स्तरीय मजिस्टे्रटी व न्यायिक कोर्ट की भी झाझा में स्थापना हो।

झाझा में भूमि सुधार उप समाहत्र्ता यानि डीसीएलआर का पदस्थापन हो।

झाझा में ही शपथ पत्र व स्टांप आदि सुविधा की उपलब्धता हो।

व्यथा कथा

झाझा को 70 साल पूर्व ही सबडिवीजन बन जाना चाहिए था। किंतु दुर्भाग्य है कि अनुमंडल हेतु भी संघर्ष करना पड़ रहा है। झाझा में रेलवे एवं बीड़ी का बड़ा केंद्र है। बीड़ी से करोड़ों रूपए का राजस्व सरकार को जाता है।

- सीताराम पोद्दार,पूर्व अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स सह बुजुर्ग समाजसेवी

जमुई जिले की नाक माने जाने वाले झाझा का अब तक भी अनुमंडल नहीं बनना हैरानी भरा और झाझावासियों के लिए परेशानी भरा है। यह क्षेत्र के विकास में अवरोधक बना है।

- संजय कु.यादव,मुख्य पार्षद,झाझा नप

यह झाझा की बहुत पुरानी मांग है। इस मांग को यदि सरकार यथाशीघ्र पूरा कर दे यह व्यापक जनहित में होगा। इससे विभिन्न परेशानियों को ले जमुई नहीं दौड़ना पड़ेगा और इससे विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

- रजनी शेखर झा,महासचिव,जमुई जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स, झाझा

जमुई के बाद जिले में झाझा पुलिस अनुमंडल ही है जो पूर्ण अनुमंडल होने के सभी मानक व मापदंड को पूरा करता है। यह रेल व बीड़ी उद्योग का भी जिले में सबसा बड़ा केंद्र है। सबडिवीजन सृजन की मांग तथ्य संगत व न्यायोचित है।

- संजय कु. बंका,अग्रवाल पंचायत के पदाधिकारी

बीते कई दशकों से झाझा को अनुमंडल बनाने की मांग जारी है। झाझा सभी मापदंडों को भी पूरा करता है,पर सभी नेता चुप्पी साधे हैं। झाझा का हक नेताओं की खींचतान में पिसता रहा है।

- सुरेश कुमार, अध्यक्ष बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसो.,झाझा

अर्हता पूरी करने के बाद भी दशकों से झाझा अनुमंडल नहीं बन पाया है,यह काफी हैरानी व परेशानी की बात है।

- राकेश कुमार

झाझा जिला होने का माद्दा ररखता है। इसके उलट झाझा को अब तक अनुमंडल भी नहीं बनाया जाना स्थानीय लोगों के साथ नाइंसाफी है।

-मो. हबीबुल्लाह अंसारी,पूर्व विस प्रत्याशी,कांग्रेस

अनुमंडल नहीं होने से झाझा के लोगों को रोजमर्रा तौर पर बहुतेरी परेशानियों व दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही लोगों के समय व पैसों की भी बर्बादी होती है।

- मोती सिंघानियां

सारी अहत्र्ताएं पूरी करने के बाद भी झाझा अब तक भी अनुमडल नहीं बन पाया है। शायद सही अभिभावक या राजनीतिक नेतृत्व के अभाववश यह स्थिति है।

- नितीन चंदेल

झाझा को अनुमंडल बनाया जाए नहीं तो एक बार फिर आंदोलन से अनशन तक करना पड़ेगा तो हमलोग करेंगे।

- नीरज कुमार झा

झाझा को अनुमंडल बनाने संबंधी मसले को सियासतदां गंभीरता से न लेते हुए इसे केवल चुनावी हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करते आए हैं।

- पप्पू यादव,अध्यक्ष, प्रखंड मुखिया संघ, झाझा

यह झाझा का दुर्भाग्य है कि इसे अनुमंडल हेतु भी गुहार लगानी पड़ रही है और शासन-प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया है।

- प्रशांत सुल्तानियां,व्यवसायी

झाझा अनुमंडल बनने की तमाम अहर्ता पूरी करता है। झाझा की यह 50 सालों पुरानी मांग है,पर अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

- राकेश कु. सिंह,अध्यक्ष जमुई जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स, झाझा

झाझा को अनुमंडल बनाने की मांग सौ फीसदी वाजिब है। विधायक जी ने बताया है कि सूबे में जब भी नए अनुमंडल बनेंगे उसमें पहला झाझा होगा।

- शशिकांत झा,पूर्व नगर अध्यक्ष,जदयू

झाझा को अनुमंडल बनाने की सालों से मांग के बावजूद किसी भी राजनीतिक दल या नेता द्वारा इसे पूरा नहीं किया गया है,यह दुर्भाग्य है झाझा की जनता का।

- विपुल झा,वार्ड पार्षद,झाझा नप

जमुई जिले एवं झाझा की प्रगति व विकास के लिए झाझा को तत्काल अनुमंडल बनाया जाना चाहिए।

- टीपू झा

बोले जिम्मेदार :

झाझा में राजस्व अनुमंडल की स्थापना का कार्य मेरी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। पूर्व में मेरे प्रयास की बदौलत साल 2009 में झाझा को पुलिस अनुमंडल एवं उसके बाद नगर परिषद का भी दर्जा नसीब हुआ था। आगे,सूबे में जब भी कोई नया अनुमंडल बनेगा उसमें झाझा पहले स्थान पर होगा।

दामोदर रावत, एनडीए विधायक सह पूर्व मंत्री

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