सुंदरवन मामले में कुछ डीएम व डीएलएओ से पूछताछ संभव
भू-अर्जन में देरी के कारणों की हो रही जांच 1980-2021 तक रहे डीएम का
भागलपुर, वरीय संवाददाता। सुंदरवन के लिए भूमि अधिग्रहण मामले में देरी को लेकर कुछ जिलाधिकारी और जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों (डीएलएओ) से पूछताछ हो सकती है। वन विभाग ने वर्ष 1980 में जुलाई से वर्ष 2021 तक भागलपुर में तैनात रहे डीएम और डीएलएओ का नाम और उत्तराधिकार अवधि की जानकारी देने को कहा है। इसको लेकर क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक ने डीएम को पत्र भेजा है। भू-अर्जन करने में देरी मामले की जांच विभाग के स्तर से हो रही है। अभी इसी मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कैग की टीम भागलपुर आने वाली है। बता दें कि मुंगेर के वन प्रमंडल पदाधिकारी ने नौ अगस्त 1980 को वन संरक्षण कार्यालय, आवास और नर्सरी के लिए भागलपुर प्रशासन से 29.38 एकड़ जमीन मांगी थी। प्रशासन ने 20 अगस्त 1981 को 23.66 एकड़ जमीन वन विभाग को सौंप दी। फाइनल सर्वे के बाद जमीन का रकवा 23.95 एकड़ हो गया। जिला भू-अर्जन कार्यालय ने मुआवजा की राशि कोलकाता स्थित जमीन मालिक को भेजी थी। जमीन मालिक ने मुआवजा की राशि लेने से इंकार कर दिया। रैयत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सुंदरवन की जमीन, पेड़, मकान आदि का आकलन कर मुआवजा की राशि मांगी थी। लेकिन वन विभाग द्वारा राशि नहीं मिली। मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में 101 करोड़ रुपये का मुआवजा रैयत को दिया गया। जबकि जमीन की कीमत मात्र 72 लाख रुपये थी। इतनी अधिक राशि के व्यय को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने जांच कमेटी बिठा दी है।
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