बोले जमुई : सरकारी बसें हैं बंद, प्राइवेट के चालक करते हैं मनमानी
चकाई बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए सुविधाएं न होने के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकारी बसों का संचालन बंद है, जिससे प्राइवेट बसों में मनमानी किराया वसूली होती है। यात्रियों को...
आज भी ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्र के बीच यातायात के महत्वपूर्ण साधन बड़े-छोटे वाहन ही हैं। सरकार द्वारा बस पड़ाव की व्यवस्था की गई है। लोगों को बस पकड़नी हो तो बस पड़ाव का रुख करते हैं। लेकिन बस पड़ावों पर पर्याप्त जरूरी सुविधा नहीं रहने से यात्रियों को कई तरह की परेशानी होती है। जिले के चकाई प्रखंड मुख्यालय में दो बस पड़ाव हैं। एक प्राइवेट बस पड़ाव और दूसरा सरकारी बस पड़ाव है। वर्तमान समय में सरकारी बस का परिचालन ही बंद है। इससे सरकारी बस पड़ाव का उपयोग स्थानीय लोग अपनी सुविधानुसार अपने वाहनों को रखने में कर रहे हैं। प्राइवेट बस स्टैंड का हाल भी जरूरी सुविधाओं के अभाव में कुछ वैसा ही है। स्टैंड में न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही पानी की सुविधा। यात्री शेड के नाम पर एक छोटा शेड है। वहां साफ सफाई नहीं रहती। शौचालय की सुविधा भी नहीं है। इससे खासकर महिला यात्रियों को परेशानी होती है।
20 से अधिक बसें प्रतिदिन खुलती हैं चकाई बस स्टैंड से
01 हजार से अधिक लोग प्रतिदिन करते हैं यहां से बस यात्रा
02 बस पड़ाव हैं चकाई में, सरकारी स्टैंड पड़ा है बंद
चकाई बस पड़ाव में यात्रियों के बैठने की बेहतर व्यवस्था भी नहीं है। बसों का इंतजार करने में भारी असुविधा होती है। यहां से लंबी दूरी की कई प्राइवेट बसें चलती हैं। चकाई से हजारीबाग, बोकारो, रांची, भागलपुर, मुंगेर, जमुई, सिलीगुड़ी, टाटा, कोलकाता, देवघर सहित अन्य शहरों के लिए बसें चलती हैं। लेकिन चकाई बस स्टैंड पर यात्रियों की सुविधा के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि बस स्टैंड पर बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और यात्रियों को खड़ा रहकर या आसपास खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। खासकर रात्रि के समय, जहां लाइट की कमी से पूरे क्षेत्र में अंधेरा छा जाता है और यात्रियों को डर का सामना करना पड़ता है। साथ ही, बस स्टैंड के पास साफ-सफाई का भी भारी अभाव है, जिससे यात्रियों को और भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्राइवेट वाहनों पर मनमाना अलग-अलग किराया वसूलने की समस्या होती है। चकाई चौक से चकाई बाजार जाने वाली सड़क संकरी है। सड़क किनारे दुकानों के रहने से बाजार आने जाने वालों की भीड़ भी रहती है। इससे स्टैंड आने वाले वाहनों को परेशानी होती है। बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है। स्टैंड के बजाय वाहनों का परिचालन एनएच सड़क किनारे से होता है। इससे लोगों को परेशानी होती है। वाहनों में जरूरत से ज्यादा यात्री भर लिए जाते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है।
न रोशनी, न भोजन की है व्यवस्था :
स्थानीय रामेश्वर यादव, मनोज उपाध्याय आदि ने इस समस्या का समाधान सुझाया है। उनका कहना है कि स्टैंड में साफ सफाई की व्यवस्था हो। बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए खाने-पीने की दुकानों की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। वाहनों में सीट की संख्या में यात्रियों को बैठाया जाय, इस तरह से बस यात्रियों को एक बेहतर अनुभव मिलेगा और उन्हें अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। रविन्द्र केशरी, फिरोज खान आदि ने बताया कि चकाई बस स्टैंड से विभिन्न स्थानों की ओर जाने वाली बसें हमेशा समय पर नहीं चलतीं। विशेष रूप से दूर जाने वाली बसें अक्सर देर से चलती हैं, जिनमें प्राइवेट बसों का ही संचालन होता है। इन यात्रियों का मानना है कि सरकारी बसों का संचालन भी जरूरी है, क्योंकि सरकारी बसें हमेशा अपने निर्धारित समय पर चलती हैं और उनका किराया भी निर्धारित होता है, जिससे यात्रियों को सुविधा होती है। ऑटो और टोटो के जाम से छुटकारा मिलना चाहिए। जाम की मुख्य समस्या बसों और ऑटो के अव्यवस्थित संचालन की है। इस समस्या का त्वरित समाधान बस यात्री चाहते हैं, क्योंकि जाम में फंसने से उनका समय बर्बाद हो जाता है।
जाम से होती है परेशानी :
निक्की गुप्ता, चरकु शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन को उचित किराए पर बसों का संचालन कराना चाहिए, जिससे स्थानीय लोगों को सुविधा हो सके। मुख्य सड़क से बस स्टैंड तक जाने वाली सड़क पर जाम की समस्या नहीं बने इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पहले स्टैंड से दर्जन भर बसों का परिचालन होता था। लेकिन जाम एवं बड़े वाहनों को घुमाने में परेशानी को देखते हुए अधिकांश बड़े छोटे वाहनों ने स्टैंड की बजाय चकाई एनएच चौक के पास से वाहनों का परिचालन किया जाता है। उसपर रोक लगाते हुए जिला और स्थानीय प्रशासन को बस स्टैंड से सभी वाहनों का परिचालन सुनिश्चित कराया जाना चाहिए। इसके अलावा, बस स्टैंड पर स्वच्छता की भी बड़ी समस्या है। यात्रियों का कहना है कि बस स्टैंड पर खाने-पीने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि उनकी यात्रा के दौरान उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो। इस समस्या का समाधान केवल अव्यवस्थित बस संचालन को सुधारने से नहीं, बल्कि शहर की समग्र यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने से संभव है। यातायात व्यवस्था और बस स्टैंड की सुविधाओं को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि बस यात्री अपनी यात्रा को आरामदायक और सुरक्षित तरीके से कर सकें।
शिकायतें
बस स्टैंड पर यात्रियों के बैठने की व्यवस्था नहीं है।
बस स्टैंड की साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
बस की संख्या कम होने से खड़े होकर यात्री सफर करते हैं।
सरकारी बस नहीं चलने से प्राइवट बस वाले मनमानी करते हैं।
सुझाव
यात्री शेड का निर्माण कराया जाना चाहिए।
साफ-सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है।
बस की संख्या बढ़ेगी तो यात्रा आसान होगी
सरकारी बस चलने लगे तो किराया कम होगा।
इनकी भी सुनिए
सरकारी बसों का परिचालन शुरू किया जाना चाहिए। जिससे यात्रियों को मनमाने किराये से राहत मिले। उचित रखरखाव और सफाई न होने के कारण यात्रियों को असुविधा होती है।
अशोक लहेरी
ग्रामीण इलाकों में परिवहन विकल्प सीमित होने के कारण यात्रियों को अधिक किराया देना पड़ता है। जिला के सभी रूटों पर किराया निर्धारित होनी चाहिए। इसके कारण वाहन चालकों और यात्री में झड़प भी हो जाती है।
पवन केशरी
बसों में महिला यात्रियों की सुरक्षा का उचित ध्यान नहीं दिया जाता, जिससे छेड़खानी होने का भय बना रहता है। जेबकतरे की भी समस्या होती हैं, खासकर भीड़भाड़ वाली बसों में।
सत्यनारायण केशरी
लंबी दूरी के सभी बसों में एसी होना चाहिए और बड़े बस स्टैंड पर बस यात्रियों के लिए खाने-पीने का उचित प्रबंध होना आवश्यक चाहिए।
नंदलाल केशरी
ग्रामीण क्षेत्र के सड़कों पर एवं हाट बाजार के पास यात्री शेड का निर्माण किया जाना चाहिए। ताकि बरसात या दोपहर में के समय में बस यात्री सुरक्षित रूप से बस का इंतजार करें।
शंभू केशरी
गाड़ी भाड़ा निश्चित नहीं होने के कारण बस चालक मनमाने रूप से किराए का वसूली करते हैं जिसके कारण अक्सर दोनों के बीच गाड़ी भाड़े को लेकर बहस हो जाती है। सरकार इसपर ध्यान दे।
शालिग्राम पांडेय
ज्यादा कमाई के लिए बस एवं अन्य वाहनों में क्षमता से ज्यादा यात्री भरकर ले जाते हैं। जितने यात्री सीट पर बैठे होते हैं उससे ज्यादा खड़े होते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यह बिलकुल भी सही नहीं है।
अजय कुमार मुन्ना
बसों का किराया और बैठने के लिए सीटों का विवाद अक्सर देखने को मिलता है। बस चालक आगे सीट देंगे यह बोलकर यात्री को बैठा लेते हैं जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
संजय गुप्ता
चकाई से लंबी दूरी की कई बसें चलती हैं। रास्ते में बस यात्रियों के खाने-पीने के लिए किसी भी ढाबे पर बस खड़ी की जाती है जो सुरक्षित नहीं है।
रघुनंदन लहेरी
लंबी दूरी के बस संचालकों को यात्रियों की सुरक्षा और हाइजेनिक खाना-पीना की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। ताकि बस यात्री यात्रा के दौरान निश्चिंत होकर यात्रा का मजा ले सके।
पंकज साह
जिला प्रशासन को सभी बसों के फिटनेस चेक करने के उपरांत ही संचालन की अनुमति देनी चाहिए। बसों की खराब हालत के कारण रास्ते में अक्सर बसें खराब हो जाती है, जो बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न करती है।
राजा साह
यात्रियों को बैठने के लिए कोई जगह नहीं है जहां यात्री इंतजार कर सकें। शहर के आवारा कुत्ते इधर-उधर घूमते रहते हैं जिसके काटने का डर सदैव बना रहता है। जिला प्रशासन इसके लिए कोई कदम उठाए तो बेहतर।
जवाहर केशरी
चकाई चौक मुख्य सड़क से बस स्टैंड तक सड़क पर ऑटो-टोटो के बेतरतीब ढंग से खड़ा किए जाने पर रोक लगाने की जरूरत है। इससे जाम की समस्या का समाधान हो जाएगा।
राजेश वर्णवाल
यात्रियों को बैठने के लिए कोई जगह नहीं है जहां यात्री इंतजार कर सकें। शहर के आवारा कुत्ते इधर-उधर घूमते रहते हैं जिसके काटने का डर सदैव बना रहता है।
मुकेश चौरसिया
बस स्टैंड से झारखंड व जमुई की तरफ जाने वाली बसें अपने निर्धारित समय से हमेशा लेट ही चलती हैं। इस रूट पर प्राइवेट बस ही चल रही है। कुछ सरकारी बस का संचालन भी जरूरी है।
राकेश बरनवाल
बोले जिम्मेदार
बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास कर दिया गया है। बस स्टैंड की बाउंड्री का निर्माण कराया जाएगा। लाइट की व्यवस्था के अलावा शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा सभी यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। जिला परिषद से यात्री शेड निर्माण के लिए भी काम किया जाएगा। जो भी सुविधाएं होगी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। वहां दुकान के अलावा कैंटीन की भी व्यवस्था की जा जाएगी।
-दुलारी देवी, जिला परिषद अध्यक्ष, जमुई
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