बोले भागलपुर: श्रावणी मेला में यजमान और पंडा को बैठने की व्यवस्था हो
श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज में पंडों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कांवरिया पंडा से पूजा कराते हैं। मेला में पंडों को पहचान पत्र जारी किया जाता है। पंडा समाज के लोग यजमानों के साथ पारिवारिक...
श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज में पूजा कराने में पंडा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। देश-विदेश से आने वाले कांवरिया पंडा से संकल्प और पूजा कराते हैं। सुल्तानगंज आने पर कांवरियों को सहयोग करने में भी पंडा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सुल्तानगंज बाजार स्थित ध्वजा गली में 50 से अधिक परिवार स्थायी रूप से पंडा का काम करते हैं। इसके अलावा श्रावणी मेला के दौरान दूसरे जिले और राज्यों से भी पूजा कराने के लिए पंडा सुल्तानगंज आते हैं। मेला में आने वाले पंडों का जिला प्रशासन की तरफ से पहचान पत्र जारी किया जाता है।
पंडा भी श्रावणी मेला की तैयारी में जुट गये हैं। श्रावणी मेले में दूसरे जिले और शहरों से आने वाले पंडा रहने के लिए आवास खोजना शुरू कर दिए हैं। बाहर से आने वाले पंडा किराया पर कमरा लेकर एक महीना पूजा-पाठ कराते हैं। सुल्तानगंज के ध्वजा गली के करीब 125 पंडा सालों भर गंगा घाट किनारे कांवरियों की पूजा-पाठ कराते हैं। करीब दो हजार पंडा दूसरी जगहों से सुल्तानगंज आते हैं। प्रशासन द्वारा जारी पहचान पत्र में संबंधित पंडा का नाम और पता आदि दर्ज रहता है। पंडा समाज के लोगों का कहना है कि मेला के दौरान बैठने आदि की व्यवस्था नहीं रहती है। लोग घूम-घूमकर यजमान का संकल्प कराते हैं। स्थायी जगह नहीं रहने से कांवरियों को भी अपने पंडा की खोज करने में परेशानी होती है।
जाह्नवी क्षेत्र पंडा कल्याण महासभा के पूर्व महामंत्री संजीव झा ने बताया कि सुल्तानगंज के ध्वजा गली के पंडा परिवारों का यह पुश्तैनी काम है। इनके देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों के भी यजमान हैं। सभी पंडा के पास बही खाता रहता है। बही-खाता में यजमानों के पूर्वजों का नाम-पता आदि दर्ज रहता है। दो से तीन साल तक के पूर्वजों के नाम-पता की जानकारी बही-खाता में मिल सकती है। उन्होंने बताया कि देश के बड़े-बड़े तीर्थस्थल में तीर्थ पुरोहितों का स्थान और सम्मान होता है। लेकिन सुल्तानगंज में यह व्यवस्था नहीं है। मेला क्षेत्र में यजमान (कांवरिया) आते हैं तो उनके बैठने की जगह नहीं होती है। जिला प्रशासन को एक बड़ा स्थान पंडों के बैठने के लिए चिह्नित करना चाहिए। ताकि दूर-दराज से आने वाले यजमानों को अपने पंडा को खोजने में परेशानी न हो। श्रावणी मेला के दौरान रोज एक लाख से अधिक कांवरिया सुल्तानगंज आते हैं। पूरे देश में गंगा की सफाई को लेकर अभियान चल रहा है। गंगा साफ और स्वच्छ होनी चाहिए। सुल्तानगंज में भी गंगा में गंदगी जाने से रोकने की व्यवस्था की गयी है। लेकिन घाट किनारे बने कुछ शौचालय का पानी चला जाता है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। असम, राजस्थान, बंगाल, ओडिशा, यूपी, दिल्ली, एमपी, भुटान, नेपाल, सिक्किम के अलावा बिहार के विभिन्न जिलों के यजमानों के पूर्वजों का नाम पंडा के खाता-बही में मिल जाएगा। यजमानों से पारिवारिक संबंध होता है।
जाह्नवी क्षेत्र पंडा कल्याण महासभा के महामंत्री अरुण कुमार झा ने बताया कि मेला को सुचारू रूप से चलाने में पंडों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहां पंडा समाज को उपेक्षित समझा जाता है। सुल्तानगंज के पंडा सालों पर गंगा घाट किनारे कांवरियों का पूजा कराते हैं। श्रावणी मेला के दौरान उन्हें भी पहचान पत्र प्राप्त करने के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता है। लाइसेंस के लिए सरकारी दफ्तर दौड़ना पड़ता है। व्यवस्था में बदलाव लाना चाहिए। स्थानीय पंडा को स्थायी पहचान पत्र जारी करना चाहिए। कन्हैया नंद झा ने बताया कि स्थानीय पंडा को अलग से स्थायी पहचान पत्र जारी करना चाहिए। महिला कांवरियों के लिए कपड़ा बदलने और शौचालय की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। मेला के दौरान महिलाओं को शौचालय जाने या कपड़ा बदलने में काफी परेशानी होती है। अनुपम कुमार झा ने बताया कि घाट पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होती है। अधिकांश कांवरियों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है।
स्थायी जगह नहीं होने से पंडों को होती है दिक्कत
जाह्नवी क्षेत्र पंडा कल्याण महासभा के पूर्व महामंत्री संजीव झा ने बताया कि देश के सभी तीर्थस्थलों पर पुरोहितों के बैठने के लिए स्थान की व्यवस्था रहती है। जहां पुरोहित पूजा- पाठ से संबंधित सामग्री के साथ रहते हैं। जगह निर्धारित होने से अलग -अलग जगहों से आने वाले यजमान आसानी से मिल सकते हैं। सुल्तानगंज श्रावणी मेला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा तट पर डुबकी लगाने पहुंचते हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा पंडा समाज के लोगों के बैठने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की गयी है । पंडा का निश्चित स्थान नहीं होने के कारण श्रद्धालु गंगा तट या मंदिर आने पर खोजते हैं। भीड़ के कारण कई बार पता नहीं चल पाता है। इसके कारण यजमानों को दिक्कत होती है।
यजमानों के ठहरने का इंतजाम पंडा खुद करते हैं
जाह्नवी क्षेत्र पंडा कल्याण महासभा के महामंत्री अरुण कुमार झा ने बताया कि पूर्वजों से पंडा समाज गंगा घाट किनारे यजमानों का पूजा-पाठ कराते हैं। यजमानों के साथ उनलोगों का पारिवारिक रिश्ता बन गया है। अपने यजमान के लिए पंडा और उनके परिवार वाले श्रावणी मेला में हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। प्रशासन द्वारा अगर दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं एवं यजमानों के रहने-खाने का उत्तम प्रबंध किया जाय तो भक्तों के साथ पंडा समाज को भी राहत मिल सकेगी। श्रावणी मेला के सफल संचालन में यहां के पंडा समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। प्रशासन द्वारा उनलोगों को उपेक्षित समझकर किसी भी व्यवस्था या निर्णय में शामिल नहीं किया जाता है। प्रशासन को कांवरियों के लिए बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए। स्थानीय पंडा को स्थायी पहचान पत्र मिलना चाहिए।
महिलाओं के लिए पर्याप्त शौचालय,चेंजिंग रूम बने
कन्हैया नन्द झा ने बताया कि श्रावणी मेला में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा पर्याप्त मात्रा में बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ सुविधा भी मिल सके। महिला कांवरियों के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय और कपड़े बदलने का रूम होना चाहिए। सुल्तानगंज के स्थानीय पंडा सुबह से रात तक गंगा घाट पर रहते हैं। दूसरी जगहों के पंडा भी मेला के दौरान आकर पूजा कराते हैं। जिला प्रशासन द्वारा पंडा की पहचान के लिए कार्ड बनवाया जाता है। पहले सुल्तानगंज के स्थानीय पंडा का सहयोग लिया जाता था। अब बिना उन लोगों से जानकारी या सुझाव लिए ही पंडा का कार्ड बना दिया जाता है। इससे गलत लोग को भी कार्ड बनने की संभावना बनी रहती है। प्रशासन को उचित पहचान करने के बाद ही पहचान पत्र बनाना चाहिए।
गंगाघाट पर श्रद्धालुओं व पंडा के लिए शेड बने
पंडा कल्याण महासभा के सदस्य राजेन्द्र झा ने बताया कि पंडा समाज की संख्या काफी कम है। लेकिन उनलोगों को सरकार की तरफ से कई तरह की सुविधाएं नहीं मिल पाती है। श्रावणी मेला में पंडा समाज के लोग गंगा के किनारे श्रद्धालुओं को पूजा-पाठ करवाते हैं। उन लोगों के जीविकोपार्जन का भी यही साधन है। प्रशासन को पंडा की जरूरत और सुविधा के लिए पूजन सामग्री और जरूरी सामान रखने के लिए गंगा किनारे बड़ा शेड का निर्माण कराया जाना चाहिए। ताकि पूजन कार्य कराते समय तेज धूप और बारिश के समय पंडा और यजमान को परेशानी नहीं हो। चोरी और छिनतई की समस्या भी इलाके में परेशानी का कारण है। जिस पर जिला प्रशासन, नगर परिषद और पुलिस प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
इनकी भी सुनिए
पंडा की पहचान के लिए कार्ड बनवाने में पहले स्थानीय पंडा का सहयोग लिया जाता था। अब स्थानीय पंडा से जानकारी लिए बिना ही बाहरी पंडा का कार्ड बना दिया जाता है। जिससे कई बार गलत लोगों का भी कार्ड बन जाता है।
-पुरुषोत्तम झा
अजगैवीनाथ उत्तरवाहिनी गंगा तट पर लाखों श्रद्धालु रोज आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। देश-विदेश से कांवरिया आते हैं। भीड़ के हिसाब से व्यवस्था होनी चाहिए। मेला शुरू होने में 40 दिन से कम समय बचा है। अभी तक तैयारी दिख नहीं रही है। -प्रयाग नाथ झा
अजगैवीनाथ गंगाघाट पर महज दो घंटे की सेवा दे पाते हैं। दिव्यांग होने के कारण अधिक देर तक खड़े होकर पूजा नहीं करा पाते हैं। जो दिव्यांगता पेंशन मिलती है उससे दवा की भी व्यवस्था नहीं हो पाती है। सरकार को पेंशन राशि बढ़ानी चाहिए।
-अखिलेश कुमार झा
भारत सरकार गंगा की सफाई को लेकर कई वर्षों से करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है। ताकि गंगा की पवित्रता बनायी रखी जा सके। भागलपुर और सुल्तानगंज में भी विकास कार्य किए गए हैं। लेकिन गंगा में आज भी गंदा पानी बहाया जा रहा है।
-रंजीत कुमार मिश्रा
महिला श्रद्धालुओं के लिए सुल्तानगंज गंगा घाट पर सामुदायिक शौचालय और कपड़ा बदलने के लिए चेंजिंग रूम का निर्माण कराया जाना चाहिए। ताकि गंगा स्नान करने वाली महिलाओं को किसी तरह की परेशानी न हो।
-देव कुमार मिश्रा
अजगैवीनाथ धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। पंडा समाज द्वारा शुरू की गई पूजा और धार्मिक परंपरा आज भी जारी है। अजगैवीनाथ मंदिर के पास एक पंडा कार्यालय बनना चाहिए, जहां पूर्व पंडा की तस्वीर भी लगनी चाहिए।
-कृष्ण कुमार झा
श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। लोग आस्था और पूजा के लिए आते हैं। इसमें कुछ असामाजिक तत्व भी घुस जाते हैं। ऐसे लोगों पर पुलिस को कड़ी नजर रख कार्रवाई करनी चाहिए।
-सूरज झा
श्रावणी मेला के दौरान काफी संख्या में भागलपुर और दूसरे जिले के पंडा पूजा कराने के लिए सुल्तानगंज आते हैं। कई लोग फर्जी तरीके से अपना कार्ड बनवाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
-बुद्धिनाथ मिश्रा
सुल्तानगंज में पिछले साल श्रावणी मेला में टेंट सिटी बनाई गई थी। लेकिन पानी बढ़ने के बाद टेंट में रहना मुश्किल हो गया था। टेंट सिटी अधिक श्रद्धालुओं की क्षमता के साथ ऊंचे स्थान पर बनना चाहिए। ताकि श्रद्धालुओं को अच्छी सुविधा मिल सके। -राजेन्द्र मिश्रा
सुल्तानगंज में श्रावणी मेला के दौरान चोरी की घटनाएं होती हैं। घटना के तत्काल बाद दुकानदार और पंडा पर आरोप लगने लगता है। पुलिस भी मामला को शांत करने के लिए कार्रवाई कर देती है। पुलिस को जांच करने के बाद कार्रवाई करनी चाहिए। -बालानंद मिश्रा
श्रावणी मेला के दौरान पंडा समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन प्रशासन द्वारा पंडा समाज की उपेक्षा की जाती है। पंडा समाज को बैठने के लिए घाट किनारे व्यवस्था होनी चाहिए। स्थानीय पंडा को स्थायी पहचान पत्र मिलना चाहिए।
-प्रदीप कुमार झा
यजमान और पंडा समाज के बीच पारिवारिक रिश्ता बन गया है। प्रशासनिक व्यवस्था के अभाव में पंडा अपने यजमान के रहने की व्यवस्था कराते हैं। सरकार को दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था करनी चाहिए।
-अनूप कुमार झा
शिकायतें
1. अजगैवीनाथ उत्तरवाहिनी गंगातट पर पंडा के द्वारा यजमानों को संकल्प पूजन कराने के लिए स्थाई शेड की कोई व्यवस्था नहीं है।
2. गंगा तट पर महिलाओं के लिए बाथरूम, शौचालय और कपड़े बदलने के लिए पर्याप्त कमरे की व्यवस्था नहीं है, जिससे परेशानी होती है।
3. सुल्तानगंज गंगाघाट पर पंडा की पहचान के लिए पहले प्रशासन द्वारा स्थानीय पंडा का सहयोग लिया जाता था, लेकिन अब नहीं लिया जाता।
4. गंगा घाटों पर गंदा पानी बहाए जाने की जानकारी वरीय पदाधिकारियों को दी गई, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जिससे गंगा दूषित होती है।
5. देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर पुरोहित और पंडा के लिए स्थान की व्यवस्था होती है। श्रद्धालुओं के लिए अमानती घर की व्यवस्था होती है।
सुझाव
1. अजगैवीनाथ उत्तरवाहिनी गंगातट पर पंडा के द्वारा यजमानों को संकल्प पूजन कराने के लिए स्थाई शेड की व्यवस्था होनी चाहिए।
2. अजगैवीनाथ गंगातट पर महिलाओं के लिए बाथरूम, शौचालय और कपड़े बदलने के लिए कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए।
3. सुल्तानगंज गंगाघाट पर श्रद्धालुओं और पंडा के पूजन सामग्री और जरूरी सामान को रखने के लिए अमानती घर का निर्माण कराया जाय।
4. गंगा को स्वच्छ बनाये रखना सबकी जिम्मेदारी है। सरकार को गंगा की सफाई के लिए अभियान चलाना चाहिए।
5. देशभर के मंदिरों और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में पंडा समाज के लिए उनके नाम से स्थान की व्यवस्था की गई है, सुल्तानगंज में भी यह व्यवस्था हो।
बोले जिम्मेदार
नगर परिषद के बोर्ड की बैठक में पहचान पत्र निर्गत करने आदि का निर्णय लिया जाता है। पंडा और उनके यजमानों के बैठने की व्यवस्था का सुझाव बेहतर है। जिला के वरीय अधिकारियों के साथ होने वाली बैठक में इस पर विचार किया जाएगा। श्रावणी मेला में पंडा समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रशासन भी मेला के संचालन में उनका सहयोग लेता है। घाट किनारे कांवरियों का सामान रखने के लिए पर्याप्त संख्या में लॉकर की व्यवस्था की जाएगी। मेला में पंडा या कांवरियों की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। नगर परिषद के बोर्ड की बैठक जल्द बुलायी जाएगी।
-मृत्युंजय कुमार,कार्यपालक पदाधिकारी,नगर परिषद सुल्तानगंज
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