तपिश में झुलसे मंजर, घट सकता है जर्दालू का उत्पादन
हिन्दुस्तान विशेष पिछले हफ्ते से तल्ख मौसम से आधे से ज्यादा मंजर झड़ गए बचे

हिन्दुस्तान विशेष संजय कुमार
भागलपुर। पिछले हफ्ते से बदले मौसम ने आम की फसल को आगोश में लिया है। अचानक बढ़ी तपिश और गर्म हवाओं ने पेड़ पर लगे बौर (मंजर) जला डाले हैं। मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 06 मार्च को भागलपुर का अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस था। जबकि 15 मार्च को 36 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। रही-सही कसर मधुआ कीट ने पूरी कर दी है। मंजर से लदे पेड़ पर अब आधा दिखने लगे हैं। इन मंजरों में छोटे आकार का मटर दाना आना शुरू हो गया है। करीब 20 दिन बाद टिकोले दिखने लगेंगे। किसानों को डर है कि इस बार जर्दालू आम का उत्पादन घट सकता है।
किसान इसकी दो वजह बताते हैं। पीरपैंती के आम उत्पादक मिन्हाज आलम बताते हैं, इस बार ऑफ सीजन भी है। आम एक साल बाद बेहतर फलन देता है। दूसरा, इस बार ठंड ज्यादा नहीं पड़ी। इसका असर मौसम पर पड़ेगा। मार्च अंत से मई तक गर्म हवाएं चलने की संभावना है। साथ में आंधी-बारिश भी होगी। काल वैशाखी में ओलावृष्टि की आशंका अधिक होती है। ऐसे में आम फसल की अधिक बर्बादी होती है। समय से बारिश नहीं होने से आम का आकार भी बड़ा नहीं हो पाता है। इसलिए इस बार आम की कीमत चढ़ी रहेगी।
एक जिला एक फसल के रूप में भी चुना गया है जर्दालू को
कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक भागलपुर में लगभग 9,000 हेक्टेयर में आम की खेती होती है। जिसमें जर्दालू आम की खेती 650 से 700 हेक्टेयर में होती है। जर्दालू आम को ‘एक जिला एक फसल के रूप में भी चुना गया है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि दाना आने के बाद हरेक सप्ताह आम की जड़ में पानी जरूर डालें। इससे आम के डंठल मजबूत होंगे। आंधी-पानी में आम पेड़ से नहीं गिरेंगे। मंजर आने के बाद तुरंत सिंचाई न करें, बल्कि फल लगने के बाद करें। मंजर के आसपास धूल का छिड़काव करने से भी मधुआ कीट को दूर रखा जा सकता है। पौधों को नियमित रूप से पानी दें और जैविक खाद डालें।
मंजर के बाद कीटनाशक का छिड़काव नहीं करें : कृषि वैज्ञानिक
आम के मंजरों को मधुआ कीट से बचाव के तरीकों पर बीएयू के वैज्ञानिक फिजा अहमद बताते हैं, मंजर आने से पहले या शुरुआत में ही इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली प्रति लीटर पानी) और सल्फर (2-3 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। साथ ही नीम के घोल का छिड़काव भी फायदेमंद होता है। मंजर आने से पहले इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली प्रति लीटर पानी) या थायोमिथोक्जेम (1 ग्राम 3 लीटर पानी में) का छिड़काव करें। सल्फर का छिड़काव 2-3 ग्राम प्रति लीटर पानी में करें। नेप्थलिक एसेटिक एसिड 100-150 पीपीएम (4 मिली 10 लीटर पानी में) का छिड़काव करें। उन्होंने कहा, मंजर आने के बाद किसी भी कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए। अधिक जरूरत महसूस हो तो नीम के तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या नीम के बीज की गिरी के अर्क (5%) का छिड़काव करें।
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