बोले मुंगेर : सरकार साथ दे तो आपदा को अवसर में बदल देंगे किसान
अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाने से बिहार के मुंगेर के मक्का उत्पादक किसानों और व्यापारियों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इससे निर्यात में कमी, कीमतों में गिरावट और किसानों की...
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नई सरकार बनने के साथ ही, उनकी व्यापारिक नीतियों में आक्रामकता देखने को मिल रही है। ट्रंप प्रशासन ने भारत, चीन और यूरोप पर अमेरिकी उत्पादों पर अधिक कर लगाने का आरोप लगाते हुए, जवाबी कर (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की घोषणा की है। इस नीति के तहत अमेरिका भारत के विभिन्न उत्पादों पर 27 प्रतिशत तक का अतिरिक्त कर लगाएगा, जिससे विशेष रूप से भारतीय कृषि उत्पादों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। इससे मुंगेर के विशेष रूप से मक्का उत्पादक किसान एवं इसके व्यापारी प्रभावित हो सकते हैं। इस मसले पर हिन्दुस्तान अखबार ने शुक्रवार को मक्का के व्यापारियों, किसानों, व्यवसायियों के अलावा अर्थशास्त्री, शिक्षाविद और कृषि वैज्ञानिक से संवाद किया। इस दौरान लोगों ने अपनी अपनी राय दी।
45 हजार एकड़ में जिले में होती है मक्का की खेती
25 हजार टक मक्का का जिले में प्रति वर्ष उत्पादन
20 हजार किसान जिले में जुड़े हैं मक्का की खेती से
मुंगेर बिहार में मक्का उत्पादन का प्रमुख केंद्र है। यहां सालभर में तीनों सीजन में लगभग 45000 एकड़ भूमि में मक्का की खेती होती है जिससे लगभग 25,000 टन मक्का का उत्पादन होता है। एक अनुमान के अनुसार, इसकी खेती से करीब 20,000 किसान जुड़े हुए हैं। लोगों ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ से मुंगेर के किसानों और व्यापारियों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि सूत्र के अनुसार यहां उत्पादित मक्का का एक बड़ा हिस्सा अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात बाजार से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यदि अमेरिका ने भारत से निर्यात किए जाने वाले मक्का पर ऊंचा टैरिफ लगाया, तो इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। क्योंकि, इससे अमेरिका को निर्यातित होने वाले मक्का का निर्यात या तो अत्यंत ही कम हो जाएगा अथवा बंद हो जाएगा। यानी अमेरिकी बाजार में भारतीय मक्का की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी। इससे भारतीय निर्यात प्रभावित होगा। निर्यात घटने से घरेलू बाजार में मक्का की अधिकता होगी, जिससे इसके दाम गिर सकते हैं। उनका कहना था कि, ऐसे में, किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा। उचित लाभ न मिलने से किसान धीरे-धीरे मक्का की खेती से विमुख हो सकते हैं। इसके साथ ही स्थानीय व्यापारियों के लिए मक्का की बिक्री चुनौतीपूर्ण हो जाएगी और उनका कारोबार भी प्रभावित होगा।
लोगों ने कहा कि हालांकि अमेरिकी टैरिफ मुंगेर के किसानों और व्यापारियों के लिए एक चुनौती होगी, लेकिन इसे एक अवसर में भी बदला जा सकता है। सरकार और प्रशासन द्वारा कुछ ठोस कदम उठाए जाने से इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। लोगों ने कहा कि, मुंगेर में मक्का प्रोसेसिंग इकाइयां (जैसे कॉर्न फ्लेक्स, स्टार्च उत्पादन, बायोफ्यूल और पशु आहार उद्योग) स्थापित किए जाएं, जिससे स्थानीय स्तर पर मक्का की खपत बढ़े और किसानों को बेहतर मूल्य मिले। इसके साथ ही सरकार को बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि यंत्रों पर अधिक सब्सिडी देकर किसानों की उत्पादन लागत को कम करने में मदद करनी चाहिए। सरकार किसानों के हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसपी) सुनिश्चित करे और किसानों से उचित मूल्य पर मक्का खरीदकर उनकी आय को स्थिर बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, यदि मक्का आधारित उद्योग स्थापित किए जाएं, तो इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होगा और युवाओं को काम मिलेगा। इसके अतिरिक्त सरकार व्यापारियों को अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने के लिए निर्यात प्रोत्साहन नीति लागू करनी चाहिए।
सरकार व जिला प्रशासन के औद्योगिक विस्तार :
अमेरिकी टैरिफ के कारण मुंगेर के मक्का उत्पादकों और व्यापारियों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन, यदि इसे सही नीति और योजनाओं के साथ संभाला जाए, तो इसे एक अवसर में बदला जा सकता है। मक्का आधारित उद्योगों के विकास, किसानों को उचित मूल्य दिलाने और निर्यात बाजारों के विस्तार से मुंगेर की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जा सकती है। सरकार और जिला प्रशासन को मिलकर ऐसे ठोस कदम उठाने चाहिए और ऐसी योजनाएं बननी चाहिए जिससे मुंगेर के किसान और व्यापारी, इस चुनौती को पार कर सकें और भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें।
समस्या:
1. अमेरिकी टैरिफ से अमेरिकी बाजार में भारतीय मक्का की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी, जिससे निर्यात प्रभावित होगा।
2. निर्यात घटने से घरेलू बाजार में मक्का की अधिकता होगी, जिससे इसके दाम गिर सकते हैं।
3. किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा।
4. उचित लाभ न मिलने से किसान धीरे-धीरे मक्का की खेती से विमुख हो सकते हैं।
5. स्थानीय व्यापारियों के लिए मक्का की बिक्री चुनौतीपूर्ण हो जाएगी और उनका कारोबार भी प्रभावित होगा।
सुझाव:
1. मुंगेर में मक्का प्रोसेसिंग इकाइयां, कॉर्न फ्लेक्स, स्टार्च उत्पादन, बायोफ्यूल और पशु आहार जैसे उद्योग स्थापित किए जाएं, जिससे स्थानीय स्तर पर मक्का की खपत बढ़े और किसानों को बेहतर मूल्य मिले।
2. सरकार को बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि यंत्रों पर अधिक सब्सिडी देकर किसानों की उत्पादन लागत को कम करने में मदद करनी चाहिए।
3. सरकार को किसानों से उचित मूल्य पर मक्का खरीदकर उनकी आय को स्थिर बनाना चाहिए। इसके लिए सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए।
4. यदि मक्का आधारित उद्योग स्थापित किए जाएं, तो इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होगा और युवाओं को काम मिलेगा।
5. व्यापारियों को अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने के लिए सरकार और प्रशासन को निर्यात प्रोत्साहन नीति लागू करनी चाहिए।
बुद्धिजीवियों की राय
अमेरिकन टैरिफ का बिहार की खाद्य आपूर्ति पर सीधा प्रभाव सीमित है। हालांकि ऐसे अप्रत्यक्ष तरीके हैं, जिनसे अमेरिकी व्यापार नीतियां बिहार के कृषि क्षेत्र और खाद्य उपलब्धता को प्रभावित कर सकती हैं। प्रथम इससे बिहार से निर्यात कम हो सकता है, जिससे किसानों की आय प्रभावित हो सकती है। द्वितीय ,गेहूं ,मक्का और दलहन जैसी प्रमुख वस्तुओं पर टैरिफ वैश्विक बाजार में कीमतों में बदलाव ला सकता है। बिहार को आयातित खाद्य या पशु आहार की उच्च लागत का सामना करना पड़ सकता है जिससे खाद्य कीमतों और पशुपालन दोनों पर असर पड़ सकता है। तृतीय, टैरिफ से उर्वरकों और कृषि उपकरणों की वैश्विक कीमतें प्रभावित हो सकती हैं। क्योंकि बिहार के किसान कुछ उर्वरकों और मशीनरी के लिए आयात पर निर्भर हैं इसलिए बढी हुई लागत कृषि उत्पादकता और खाद्य आपूर्ति को प्रभावित कर सकती है।
-डॉ रंजना सिंह, अर्थशास्त्री, मुंविवि
ट्रंप प्रशासन ने भारतीय निर्यात पर 26 फीसदी शुल्क लगा कर खुद अमेरिकन अर्थव्यवस्था में गड़बड़झाला पैदा कर दिया है। ऐसा अमेरिका ने केवल भारत के साथ ही नहीं, बल्कि चीन, ताइवान सहित बहुत से देशों के साथ जिनसे अमेरिका के व्यापारिक संबंध हैं उनके साथ भी किया है। चीन ने तो बदले की कार्यवाही करते हुए अमरीकी आयात पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। ट्रंप की इस कार्यवाही का जितना प्रतिकूल असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा उससे कहीं अधिक अमेरिकन खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां दबाव में आ जाएंगी। भारत का वाणिज्य मंत्रालय स्थिति पर नजर बनाए हुए है। अमेरिका भारतीय दवाओं का बड़े पैमाने पर आयात करता है, लेकिन इसे पशुल्क की इस बढ़ोतरी से मुक्त रखा गया है।
-राजेश जैन, पूर्व अध्यक्ष, चैंबर आफ कॉमर्स
अमेरिका द्वारा हाल ही में भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का निर्णय बिहार के कृषि व्यापार, विशेष रूप से मक्का (कॉर्न) के निर्यात पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। बिहार, जो देश के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्यों में से एक है, अपने उच्च गुणवत्ता वाले मक्का निर्यात के लिए जाना जाता है। इस टैरिफ वृद्धि से न केवल किसानों की आय प्रभावित होगी, बल्कि इससे जुड़े व्यापारियों और श्रमिकों के सामने भी आर्थिक चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।
मुंगेर सेवा मंच किसानों और व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से अपील करता है कि वह अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कर इस टैरिफ वृद्धि के प्रभाव को कम करने के उपाय तलाशे। साथ ही, हम केंद्र और राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं कि वे बिहार के किसानों और निर्यातकों को समर्थन देने के लिए सब्सिडी, नए व्यापार समझौतों और वैकल्पिक निर्यात बाजारों की संभावनाओं को खोजने में मदद करें।
-संजय बाब्लू, अध्यक्ष, मुंगेर सेवा मंच
जब एक देश आयातित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है और दूसरा देश जवाबी कर लगाता है, तो इसे रेसिप्रोकल टैरिफ कहा जाता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, भारत अमेरिकी उत्पादों पर 52 प्रतिशत तक टैरिफ लगाता है, जिसके जवाब में अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसका असर भारत के निर्यात, विशेषकर कृषि उत्पादों पर पड़ेगा, जिससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे और निर्यात प्रभावित होगा। मुंगेर को पीला सोना कहे जाने वाले मक्का के उत्पादन के लिए जाना जाता है, जहां 4500 एकड़ भूमि पर मक्का खेती होती है। पहले से ही समर्थन मूल्य के अभाव में संघर्ष कर रहे किसानों को अमेरिकी टैरिफ से अतिरिक्त आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार को घरेलू बाजार को मजबूत करना, नए व्यापार समझौते करना और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। सही नीतियों के माध्यम से भारत इस व्यापार युद्ध का प्रभावी ढंग से सामना कर सकता है और घरेलू अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकता है।
-डॉ मुनींद्र कुमार सिंह, व्याख्याता, कॉमर्स विभाग, आरडी एंड डीजे कॉलेज, मुंगेर
अमेरिकी टैरिफ का दुष्प्रभाव भारत द्वारा अमेरिका को निर्यातित सभी कृषि उत्पादों पर पड़ेगा। मुंगेर मक्का का एक प्रमुख उत्पादक जिला है और इसका निर्यात होता है। अतः इस टैरिफ का प्रभाव यहां के किसानों और व्यापारियों पर भी पड़ेगा। सरकार एवं प्रशासन को अपने किसानों तथा व्यापारियों को इस टैरिफ के प्रभाव से बचने के लिए योजना बनाकर उचित एवं आवश्यक कदम उठाने चाहिए। सरकार अपने किसानों के हित में अपना बजट समर्थन कृषि क्षेत्र के लिए बढ़ाए। कृषि में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न संसाधनों पर सरकार अधिक सब्सिडी दे और कृषि उपज की खरीद करे। कृषि अनुसंधान पर विशेष ध्यान देते हुए उसे बढ़ावा दे और अधिक उपज वाले नस्ल का विकास किया जाए। इससे यहां के किसानों का निश्चित रूप से संरक्षण होगा और मक्का जो यहां के किसानों के लिए एक नगदी फसल है, इसकी खेती यहां के किसानों के लिए लाभदायक बना रहेगा।
-इं अशोक कुमार, कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, मुंगेर
इनकी भी सुनें
सरकार अमेरिका टैरिफ से मुकाबला करने के लिए आवश्यक कदम बढ़ाए। हमें खाद, बीज, दवाई, कृषि यंत्र आदि पर सरकार अधिक छूट दे और उसे समय पर उपलब्ध कराए।
विकास जालान, दवा व्यवसायी
किसान ऐसे भी महंगाई से बुरी तरह प्रभावित है। उत्पादन लागत पर गया है लेकिन उत्पादन का हमें वाजिब मूल्य नहीं मिल पाता है। अमेरिकी टैरिफ से हमें लागत मूल्य प्राप्त होना भी मुश्किल हो जाएगा।
रणजीत, मक्का व्यापारी
सरकार मक्का की खेती और उसके किसानों को बचाने के लिए मक्का को अपना समर्थन दे और उसकी खरीद करे। सरकार टैरिफ को लेकर अमेरिका से भी बातचीत करे।
मोहन दास, मक्का व्यापारी
अमेरिकी टैरिफ का जवाब मक्का के समर्थन मूल्य में वृद्धि एवं उसकी सरकारी खरीद हो सकता है। सरकार मक्का आधारित उद्योगों को बढ़ावा दे।
जयशंकर प्रसाद, मक्का उत्पादक
जिला प्रशासन को मुंगेर में मक्का आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसी उद्योगों को स्थापित करने के लिए योजना बनानी चाहिए और युवाओं को इससे जोड़े।
प्रदीप कुमार, मक्का उत्पादक
सरकार एवं जिला प्रशासन मुंगेर में मक्का आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा दे और इसके लिए योजना बनाए। उद्योग स्थापित करने वाले इच्छुक लोगों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराये।
अशोक मंडल, मक्का उत्पादक
जिले में एक भी मक्का आधारित उद्योग नहीं है। यदि ऐसे उद्योग स्थापित हों तो अमेरिकी टैरिफ का असर किसानों पर कम पड़ेगा।
मनीष कुमार सिंह, मक्का उत्पादक
मक्का उत्पादन एवं इसके किसानों पर अमेरिकी टैरिफ का असर ना हो इसके लिए सरकार को आगे आना होगा। सरकारी स्तर पर मक्का की खरीद करनी होगी और इस पर आधारित उद्योग को मुंगेर में बढ़ावा देना होगा।
ज्ञान कुमार, मक्का उत्पादक
सरकार आवश्यक सहायता दे तो मुंगेर के किसान अमेरिकी टैरिफ से लड़ सकते हैं। सरकार किसानों को ही मक्का आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण एवं पूंजी उपलब्ध कराये।
जागेश्वर प्रसाद, मक्का उत्पादक
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