अमेरिकी टैरिफ से आम के निर्यात पर पड़ेगा असर, आय घटेगी
जर्दालू आम की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। सिल्क और कतरनी धान की तरह लू आम की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। सिल्क और कतरनी धान की तरह
भागलपुर। जर्दालू आम की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। सिल्क और कतरनी धान की तरह जर्दालू आम भी भागलपुर की पहचान और शान है। आम की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रत्येक साल भागलपुर से जर्दालू आम खाने के लिए भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा जाता है। इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकार के मंत्री और आला अधिकारी भी हर साल इस आम का स्वाद चखते हैं। इंग्लैंड, बेल्जियम, बहरीन, सउदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका सहित अन्य देशों में जर्दालू आम का निर्यात होता है। भागलपुर जिले के बड़े क्षेत्रफल में जर्दालू आम का बगीचा फैला हुआ है। मांग अधिक होने से किसान भी उत्साहित हैं। सरकार द्वारा भी इसको बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने को किसान बड़ा झटका मान रहे हैं। किसानों का कहना है कि इसका बुरा असर जर्दालू आम के उत्पादन पर पड़ सकता है। टैरिफ लगने से निर्यात कम होगा। निर्यात कम होने से बाजार में मांग कम होगी। इसका असर आम के रेट पर पड़ेगा। किसानों को इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है।
बिहार आम उत्पादक संघ सह भागलपुरी जर्दालू आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष मैंगोमेन अशोक कुमार चौधरी ने बताया कि देश और विदेश में भागलपुर का जर्दालू आम प्रसिद्ध है। हर साल 250 क्विंटल से अधिक जर्दालू आम सरकार के माध्यम से विशिष्ट लोगों को भेजा जाता है। स्थानीय लोग भी देश के विभिन्न शहरों के अलावा विदेश में रहने वाले सगे-संबंधियों को जर्दालू आम सौगात के रूप में भेजते हैं। जर्दालू आम की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। इसके चलते हर जगह से मांग अधिक हो रही है। विभिन्न राज्यों के लोग जर्दालू आम का पौधा लेने के लिए नर्सरी में आते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में इस आम के उत्पादन का विस्तार हो रहा है। जिले के सुल्तानगंज, शाहकुण्ड, नाथनगर, जगदीशपुर और सबौर की मिट्टी काली दोमट है तथा पीरपैंती और कहलगांव के दक्षिण क्षेत्र की मिट्टी बालू मिश्रित है। इसके चलते यहां के जर्दालू आम की क्वालिटी और स्वाद अच्छा होता है। देश और विदेश में इसकी मांग बढ़ने के चलते ही जीआई टैग प्राप्त हुआ। जर्दालू आम का बगीचा लगाने के लिए किसान लगातार जुड़ रहे हैं। उन्हें विभाग और संघ द्वारा प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। विदेश के कई देशों में जर्दालू आम का निर्यात होता है। यूरोपियन देशों में जर्दालू आम की कीमत भी अच्छी मिलती है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने का बुरा असर आम उत्पादकों पर पड़ेगा। टैरिफ का असर निर्यात पर पड़ेगा। निर्यात कम होने से बाजार में जर्दालू आम का रेट कम हो जाएगा। आम के स्टोरेज की बेहतर व्यवस्था नहीं है। जर्दालू आम को बहुत दिनों तक रखा नहीं जा सकता है। इसके चलते उत्पादक बाजार पर निर्भर होंगे और औने-पौने भाव में आम को बेचना पड़ेगा। इस लोकप्रिय आम को बचाने के लिए केन्द्र सरकार को पहल करनी चाहिए। टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार को बड़ा फैसला लेना होगा। जर्दालू आम के उत्पादकों को सरकार विशेष पैकेज दे। ऐसा नहीं करने पर आम उत्पादक हतोत्साहित होंगे। इसका असर जर्दालू आम के उत्पादन पर पड़ेगा।
भागलपुरी जर्दालू आम उत्पादक संघ के सदस्य ओम कुमार ने बताया कि जर्दालू आम का उत्पादन करने में किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। टैरिफ लगने से किसानों को और संघर्ष करना पड़ेगा। टैरिफ लगने से मांग कम हो जाएगी। सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। जर्दालू आम का सरकार न्यूनतम रेट निर्धारित करे। उस रेट पर सरकार के स्तर से आम की खरीद कर बाजार में बिक्री या विदेशों में निर्यात करे। ताकि किसानों को स्थानीय बाजार पर आश्रित नहीं होना पड़े। इससे किसानों को अच्छी आय हो सकती है। टैरिफ लगने से किसान हतोत्साहित हो रहे हैं। सरकार को पहल कर किसानों के बीच रुचि बढ़ाने की व्यवस्था करनी चाहिए। संघ के सदस्य गोपाल ने बताया कि टैरिफ से होने वाले नुकसान को सरकार नियंत्रित करे। इससे होने वाले नुकसान की सरकार क्षतिपूर्ति करे। उन्होंने बताया कि जर्दालू आम का उत्पादन जैविक और रासायनिक उपयोग करके किया जा रहा है। लेकिन बाजार में उसका अलग-अलग वर्गीकरण नहीं किया जाता है। इससे जैविक विधि से उत्पादन करने वाले किसानों को नुकसान होता है। सरकार को जैविक विधि से आम उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। आम के फलों का भी बीमा होना चाहिए। प्राकृतिक आपदा आने पर फल का नुकसान होने से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो जाती है। बीमा होने से सरकार से आर्थिक मदद मिल सकती है। संघ के सदस्य राकेश कुमार ने बताया कि टैरिफ से किसानों को नुकसान होगा। सरकार किसानों को राहत पहुंचाने के लिए पहल करे। सरकार किसानों की मदद करे। संघ के सदस्य गोपाल नंदन चौधरी ने कहा कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे जिससे टैरिफ का बुरा असर किसानों पर नहीं पड़े। उन्होंने बताया कि आम का आकार एक होने पर बहुत से लोग दूसरे आम को जर्दालू आम कहकर बेचते हैं। इससे जर्दालू आम की लोकप्रियता पर असर पड़ता है। संघ के सदस्य विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि टैरिफ के चलते अमेरिका में टैक्स अधिक लगेगा। टैक्स बढ़ने से आम का रेट बढ़ेगा और मांग कम होगी। उसका सीधा असर जर्दालू आम के उत्पादकों पर पड़ेगा। सरकार इस मामले में कदम उठाये।
.जर्दालू आम के निर्यात पर टैरिफ का व्यापक प्रभाव पड़ेगा
बिहार आम उत्पादक संघ सह भागलपुरी जर्दालू आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष मैंगोमेन अशोक कुमार चौधरी ने बताया कि जर्दालू आम देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेश में भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। विदेशों में जर्दालू आम की काफी मांग हो रही है। विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से जर्दालू आम विभिन्न देशों में भेजा जा रहा है। इसमें अमेरिका भी शामिल है। टैरिफ लागू होने से जर्दालू आम के उत्पादकों पर बुरा असर पड़ेगा। टैक्स अधिक लगने से निर्यात कम हो सकती है। इसका असर स्थानीय बाजार पर भी पड़ेगा। इसके चलते आम की कीमत स्थानीय बाजार में कम होगी। किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। उत्पादन अधिक होने से भी किसानों को अधिक लाभ नहीं मिल पाएगा। सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान नहीं हो।
सरकार किसानों से जर्दालू आम खरीद विदेश भेजे
भागलपुरी जर्दालू आम उत्पादक संघ के सदस्य विनोद कुमार चौधरी ने बताया अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से जर्दालू आम सहित अन्य सामान के निर्यात पर असर पड़ेगा। टैक्स अधिक होने पर रेट बढ़ जाएगा। ऐसे में जर्दालू आम की मांग कम हो जाएगी। जर्दालू आम बेचने के लिए सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। स्टोरेज की व्यवस्था नहीं रहने से किसान अधिक दिनों तक जर्दालू आम को नहीं रख सकते हैं। आठ से 10 दिनों के बीच जर्दालू आम को बेचना किसानों की मजबूरी हो जाती है। बाजार होने पर किसानों को उचित कीमत मिल पाएगी। सरकार खुद भी किसानों से आम की खरीद कर विभिन्न शहरों में बेचने की व्यवस्था कर सकती है। इससे किसानों को अच्छी आय होगी।
टैरिफ मामले में सरकार हस्तक्षेप करे
भागलपुरी जर्दालू आम उत्पादक संघ के सदस्य गोपाल नंदन चौधरी ने बताया कि जर्दालू आम ही नहीं, पौधे की मांग भी लगातार बढ़ रही है। देश के विभिन्न शहरों से लोग जर्दालू आम का पौधा लेने के लिए आ रहे हैं। संभावना है कि कुछ दिनों में जर्दालू का उत्पादन अन्य राज्यों में भी होने लगेगा। हालांकि अच्छी मिट्टी और वातावरण के चलते भागलपुर के जर्दालू आम के स्वाद और सुगंध की तुलना करना आसान नहीं होगा। टैरिफ लगने से जर्दालू आम उत्पादकों को झटका लग सकता है। मांग कम होने पर किसानों को रेट कम मिलेगा। इससे किसान हतोत्साहित होंगे। इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। सरकार को तत्काल इसे रोकने के लिए पहल करनी चाहिए। ताकि किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना नहीं पड़े। टैरिफ लागू होने से विदेशों में जर्दालू आम का कम निर्यात होगा।
टैरिफ से बचने के लिए सरकार आर्थिक मदद करे
भागलपुरी जर्दालू आम उत्पादक संघ के सदस्य ओम कुमार ने बताया कि आम भागलपुर जिले के किसानों के लिए मुख्य फसल हो गयी है। लाखों लोग इस पर आश्रित हैं। बड़े क्षेत्रफल में आम का बगीचा है। इसमें जर्दालू आम के पेड़ों की संख्या भी अच्छी है। उत्पादन भी अधिक हो रहा है। फसल तैयार होने के पहले ही आम की बुकिंग होने लगती है। टैरिफ लागू करने का असर आम की बुकिंग पर पड़ने लगा है। इससे आम के किसान चिंतित हैं। विदेशों में आम का कम निर्यात होगा तो किसानों को काफी नुकसान हो सकता है। सरकार को जर्दालू आम की फसल की कीमत तय कर विदेशों में निर्यात की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे किसान उत्साहित होकर उत्पादन को बढ़ा सकें।
जर्दालू आम देश और विदेश में काफी लोकप्रिय हुआ है। मांग भी लगातार बढ़ रही है। लेकिन टैरिफ लागू होने से विदेशों में मांग कम हो जाएगी। इसका सीधा नुकसान जर्दालू आम के किसानों को होगा। सरकार को किसानों के हित में कदम उठाना होगा।
राकेश कुमार
जिले में किसान जैविक और रासायनिक उपयोग कर जर्दालू आम का उत्पादन करते हैं। लेकिन बाजार में उसका वर्गीकरण नहीं होने से जैविक उत्पादन वाले किसानों को आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है। टैरिफ से बचने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।
गोपाल
काली दोमट और बालू मिश्रित मिट्टी जर्दालू आम उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। ऐसी जगहों के आम का स्वाद और सुगंध अलग होता है। जर्दालू आम की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। लेकिन टैरिफ लगने से मांग पर बुरा असर पड़ेगा।
शंभूनाथ चौधरी
भागलपुरी जर्दालू का निर्यात अमेरिका के अलावा यूरोपियन और गल्फ कंट्री में होता है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू करने से निर्यात कम होने लगेगी। इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा। केन्द्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
निर्मल कुमार चौधरी
भागलपुर जिले में हजारों एकड़ जमीन पर जर्दालू समेत अन्य तरह के आम का बगीचा है। आम का उत्पादन भी लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन टैरिफ लागू होने से उत्पादन पर असर पड़ेगा। आर्थिक नुकसान होने से किसान हतोत्साहित होंगे।
पंकज यादव
विदेशों में निर्यात कम होने पर स्थानीय बाजारों में औने पौने दाम पर जर्दालू आम बेचता पड़ सकता है। इससे उत्पादकों को नुकसान होगा। सरकार को अपने स्तर से जर्दालू आम की खरीद कर निर्यात करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
कौशल किशोर चौधरी
उत्पादन के अनुसार खपत की व्यवस्था होनी चाहिए। जर्दालू आम भागलपुर की पहचान है। स्वाद और सुगंध के कारण जर्दालू आम देश और विदेश में काफी लोकप्रिय है। मांग भी लगातार बढ़ रही है। टैरिफ लागू होने का बुरा प्रभाव किसानों पर पड़ेगा।
संजय मंडल
पहले की तुलना में जर्दालू आम का उत्पादन बढ़ रहा है। प्रत्येक वर्ष देश के राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, समेत तमाम मंत्रियों और गणमान्य लोगों को जर्दालू आम भेजा जाता है। किसान भी उत्साहित होकर उत्पादन कर रहे हैं। टैरिफ लागू होने से किसानों की रुचि कम होगी।
अमरजीत मंडल
जिस तरह से कई फसलों के नुकसान होने पर सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति दिया जाता है। उसी तरह की व्यवस्था आम के साथ भी होनी चाहिए। प्राकृतिक आपदा आने पर आम की फसल को काफी नुकसान होता है। टैरिफ से होने वाले नुकसान से बचाव की व्यवस्था भी सरकार को करनी चाहिए।
खुर्शीद आलम
स्थानीय स्तर पर बाजार उपलब्ध नहीं होने से किसानों को आम की फसल की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है। सरकार को अपने स्तर से किसानों के लिए बाजार की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार विशेष पैकेज दे।
अजीत लाल साह
आम का निर्यात अमेरिका सहित कई देशों में होता है। टैरिफ लागू होने से अमेरिका में मांग कम हो जाएगी। इससे जर्दालू आम के उत्पादकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। केन्द्र सरकार को नीति बनाकर इससे बचने का उपाय करना चाहिए।
अच्युतानंद चौधरी
टैरिफ लागू करने से व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। केन्द्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। जर्दालू आम भागलपुर की पहचान है। जिले के लाखों लोग इससे जुड़े हुए हैं। लेकिन टैरिफ लागू होने से जर्दालू उत्पादकों को झटका लगा है। सरकार इसमें पहल करे।
ललिरंजन चौधरी
समस्या
1.अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू होने से जर्दालू आम का निर्यात कम होगा। इसका असर आम के उत्पादकों पर पड़ेगा।
2.जर्दालू आम का निर्यात कम होने से स्थानीय बाजार में मांग कम होगी। इसका असर जर्दालू आम के रेट पर पड़ेगा।
3.भागलपुर जिले में जर्दालू आम का उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है। लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं होने से किसानों को नुकसान हो रहा है।
4. टैरिफ के चलते मांग कम होने पर किसानों को लाभ नहीं होगा। किसान जर्दालू का बगीचा लगाने से परहेज करने लगेंगे।
5.जर्दालू आम का सरकार के स्तर से रेट निर्धारित नहीं। स्थानीय बाजार के भरोसे किसानों को आम बेचने की मजबूरी है।
सुझाव
1.जर्दालू आम का विदेशों में निर्यात करने के लिए केन्द्र सरकार नीति बनाए ताकि किसानों को उपज की अच्छी कीमत मिल सके।
2.अमेरिकी टैरिफ से जर्दालू आम के किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए केन्द्र सरकार पहल करे
3.जर्दालू आम के स्टोरेज की पर्याप्त व्यवस्था सरकार करे। ताकि अधिक समय तक किसान आम की बिक्री कर सकें। इससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलेा।
4.टैरिफ के नुकसान से बचने के लिए सरकार के स्तर से जर्दालू आम का न्यूनतम दर निर्धारित हो और उसी रेट पर सरकार आम की खरीद करे।
5.सरकार किसानों को आम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करे, ताकि अधिक से अधिक किसान इससे जुड़ सकें।
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