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सुपौल : हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में नहीं रहते हैं डॉक्टर, दवा की भी कमी

किशनपुर में सरकार द्वारा वेलनेस सेंटर और उपस्वास्थ्य केंद्र खोलने का दावा किया गया है, लेकिन यह केवल कागजों तक सीमित है। क्षेत्र में 10 हेल्थ वेलनेस सेंटर और 17 उपस्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 23 Nov 2024 04:24 PM
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किशनपुर । एक संवाददाता सरकार द्वारा हर पंचायत में वेलनेस सेंटर और उपस्वास्थ्य केंद्र खोलकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का दवा करती है, लेकिन यह दावा सिर्फ कागजों पर ही सीमित है। प्रखंड मुख्यालय के अलावा क्षेत्र में 10 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और 17 उपस्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन ना तो कहीं कोई डॉक्टर बैठते हैं और ना ही समुचित दवा उपलब्ध रहती है।

सबसे मजे की बात यह है कि तीन हेल्थ वेलनेस सेंटर आज भी सिर्फ कागज पर ही संचालित है। बौराहा पंचायत के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को भवन नहीं है। इसके अलावा दुबियाही पंचायत के हेल्थ वेलनेस सेंटर कागजों पर ही संचालित हो रहा है। परसामाधो पंचायत के आसनपुर कुपहा में पिछले 30 साल से कागजों पर ही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर चल रहा है।

मुखिया राजकुमार साह ने बताया कि जमीन के अभाव में अस्पताल का भवन नहीं बना था, जबकि उनके पिता स्वर्गीय रामदेव साह द्वारा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए पांच कट्ठा जमीन लगभग दो साल पहले दान में दिया है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण अस्पताल का भवन निर्माण नहीं किया गया है।

मेहासिमर पंचायत स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की पड़ताल की गई तो पता चला कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर

में 80 प्रकार के दवा उपलब्ध हैं और छह प्रकार के हेल्थ जांच उपकरण है, जबकि हेल्थ वेलनेस सेंटर में 150 प्रकार की दवा उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन 80 प्रकार के दवा ही थे। इसमें कई जरूरी दवा वेलनेस सेंटर में नहीं थे। सेंटर में 12 प्रकार के इलाज की व्यवस्था अनिवार्य है। इसमें बीपी, शुगर, आंख, कान, दांत और सांप है।

किशनपुर सीएचसी में डॉक्टरों का अभाव

किशनपुर प्रखंड क्षेत्र जनसंख्या लगभग ढाई लाख से अधिक है। प्रखंड मुख्यालय स्थित सीएचसी में डॉक्टर के अभाव में लोगों का इलाज ससमय नहीं हो पता है। महिला डॉक्टर नहीं रहने के कारण महिला मरीजों को इलाज में परेशानी होती है। उधर, सीएचसी प्रभारी डॉ. अभिषेक कुमार सिन्हा ने बताया कि सीएचसी में सात एमबीबीएस डॉक्टर को रहना है, लेकिन दो एमबीबीएस डॉक्टर है। महिला डॉक्टर नहीं रहने के कारण महिला मरीजों को इलाज करने में काफी परेशानी होती है। इसके अलावा 57 एएनएम 22 कार्यरत है।

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