अच्छी खबर! विक्रमशिला एक्सप्रेस में दिखेगी अंग लोक संस्कृति की वाहक मंजूषा पेंटिंग
अच्छी खबर! विक्रमशिला एक्सप्रेस के जरिये अंग की लोक संस्कृति मंजूषा की झलक दूसरे प्रदेशों में भी छटा बिखेरेगी। जैसे पूर्व मध्य रेलवे ने मधुबनी पेंटिंग के जरिये लोक संस्कृति को ट्रेनों के वॉल पर उतारा...
अच्छी खबर! विक्रमशिला एक्सप्रेस के जरिये अंग की लोक संस्कृति मंजूषा की झलक दूसरे प्रदेशों में भी छटा बिखेरेगी। जैसे पूर्व मध्य रेलवे ने मधुबनी पेंटिंग के जरिये लोक संस्कृति को ट्रेनों के वॉल पर उतारा उसी तरह से पूर्व रेलवे मंजूषा आर्ट को भी ट्रेनों के वॉल पर उतारेगा। यह मांग लंबे दिनों से हो रही है। अब मालदा डिवीजन ने विक्रमशिला एक्सप्रेस की एक बोगी में नमूने के तौर पर पेंटिंग का निर्देश दिया है।
एक बोगी पर पेंटिंग का नमूना देखने के बाद अगर अधिकारियों के स्तर से स्वीकृति मिली तो विक्रमशिला एक्सप्रेस की तीनों रैक में यह पेंटिंग करायी जाएगी। बताया गया कि अगर पेंटिंग का लुक रिव्यू में ठीक लगा तो पूरी रैक में मंजूषा पेंटिंग करा दी जाएगी। मंजूषा पेंटिंग भागलपुर की लोकगाथा बिहुला विषहरी की कहानी से जुड़ी है। इस गाथा के आधार पर ही इस क्षेत्र में पूरे अंग क्षेत्र में बिहुला विषहरी की पूजा की जाती है।
बता दें कि हिन्दुस्तान ने विक्रमशिला एक्सप्रेस सहित कुछ ट्रेनों में मंजूषा पेंटिंग कराने के लिए प्रमुखता से कई खबरें प्रकाशित की थीं और इस पर लगातार पूर्व रेलवे के अधिकारियों का ध्यान भी आकर्षित कराया था। भागलपुर के जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोगों ने भी कई बार इस संबंध में पहल की।
क्या है मंजूषा आर्ट
मंजूषा आर्ट अंग प्रदेश की लोक नायिका बिहुला के संघर्ष पर आधारित है। लोक गाथा है कि बिहुला के पति बालालखेंद्र की सर्पदंश से मौत हो गई थी, तब वह मंजूषा पर सवार होकर स्वर्ग गई थी और पति को पुनर्जीवित करा पाई थी। दरअसल, मंजूषा एक बहुमंजिला नौका थी जो बिहुला के कहने पर उस वक्त के कारीगरों ने डिजाइन किया था। जिस पर कई प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पति दर्शाए जाते हैं। इस निर्माण में जिस शैली का इस्तेमाल हुआ उसी शैली से मंजूषा पेंटिंग अब भी की जाती है। इसमें हरा, पीला, गुलाबी रंग का प्रयोग होता है।
मंजूषा आर्ट में क्या दिखता है, क्या इस्तेमाल होता
यह रेखा चित्र है, जिसमें तीन रंग- हरा, गुलाबी और पीला का इस्तेमाल होता है। भगवान शिव की पुत्री विषहरी, बिहुला और चांदो सौदागर के अलावा इस चित्र में सांप, चंपा फूल, सूर्य, चांद, हाथी, कछुआ, मछली, मैना पक्षी, कमल फूल, कलश, तीर, शिवलिंग, पौधे और बेलपत्र।
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