खतरा: पांच सालों में जंगल में आग से जला चार हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र
हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव बीते पांच साल में दावानल की सबसे अधिक घटनाएं 2024 में हुईं

भागलपुर, वरीय संवाददाता। सूबे के वन क्षेत्र को अगलगी की घटनाएं बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। बीते पांच सालों में दावानल की सबसे अधिक घटनाएं वर्ष 2024 में हुई हैं। इस वर्ष बिहार के सभी 11 वन क्षेत्र जिलों में 771 आग लगने की घटनाएं रिकार्ड की गईं। सबसे अधिक घटना पश्चिम चंपारण के बाल्मिकी बाघ आरक्ष में हुई। बाल्मिकी बाघ आरक्ष-1 में 267 और बाल्मिकी बाघ आरक्ष-2 में 238 बार आग लगने की घटनाएं हुईं। दोनों आरक्ष में सर्वाधिक 505 घटनाएं वर्ष 2024 में हुईं। आग लगने की घटना गया, रोहतास, कैमूर, नालंदा, नवादा, औरंगाबाद, बांका, जमुई और मुंगेर के जंगलों में भी हुई। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मुताबिक दावानल की वजह गर्म व शुष्क मौसम का होना पाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक बीते पांच सालों में 4132.5 हेक्टेयर वनक्षेत्र जल चुका है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1103.7 हेक्टेयर, 2020-21 में 572.4 हेक्टेयर, 2021-22 में 664.6 हेक्टेयर, 2022-23 में 386.9 हेक्टेयर और 2023-24 में 1404.9 हेक्टेयर वन क्षेत्र दावानल का शिकार हुआ है। इस दावानल ने वन क्षेत्र के कुल रकबे को भी प्रभावित किया है।
आधे वनों को कम अग्नि-प्रवण के रूप में किया वर्गीकृत
बिहार के आधे वनों को कम अग्नि-प्रवण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। विभाग ने सर्वेक्षण में वन क्षेत्र के कुल अग्नि प्रवण क्षेत्रों (सेंसेटिव) का आकलन किया है। इसे पांच भागों में बांटा गया है। 7,792 वर्ग किमी क्षेत्रफल का करीब आधा हिस्सा 3,884 वर्ग किमी को अत्यंत अग्नि प्रवण बताया गया है। 1,217 वर्ग किमी का दायरा बहुत अधिक अग्नि प्रवण क्षेत्र, 1,362 वर्ग किमी का क्षेत्र अधिक अग्नि प्रवण, 986 वर्ग किमी क्षेत्र मध्यम अग्नि प्रवण और 343 वर्ग किमी क्षेत्र कम अग्नि प्रवण के दायरे में है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि जंगल की आग में कमी और उस पर नियंत्रण के संबंध में समग्रतापूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, क्योंकि यह वन परितंत्र के संरक्षण और प्रबंधन को आकार देता है।
गर्म व शुष्क मौसम दावानल की वजह
भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के चलते लगातार गर्म और शुष्क मौसम और कृषि के लिए भूमि परिवर्तन जैसे अन्य मानवीय कारक जंगलों में आग लगने के मुख्य कारण हैं। जंगल में आग लगना पूरी दुनिया में वन परितंत्रों और मानव समुदायों के लिए बड़ा खतरा है। जंगल की आग के वार्षिक रुझानों में उतार-चढ़ाव रहा है। इसकी सर्वाधिक 771 घटनाएं 2023-24 में दर्ज की गई हैं। इनमें से लगभग आधी घटनाएं वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष में हुई है। इनका जैव-विविधता, मृदा क्षरण और आर्थिक नुकसान के मामले में प्रभाव हो सकता है। विभाग का कहना है कि राज्य सरकार राज्य में अग्नि सुरक्षा और फसलों की ठूंठ जलाने की घटनाओं के बारे में जन-जागरूकता पैदा करने के लिए उत्सुक है।
बीते पांच साल में वन क्षेत्र में हुई अगलगी का आंकड़ा (हेक्टेयर में)
वन क्षेत्र 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
रोहतास 82 28 38 19 66
कैमूर 53 84 43 51 29
वाल्मीकि-1 74 95 115 30 267
बांका 07 28 14 31 30
वाल्मीकि-2 225 121 99 65 238
गया 10 00 20 17 21
जमुई 11 92 24 30 40
मुंगेर 64 162 38 00 27
नालंदा 13 06 11 02 20
नवादा 36 11 39 37 26
औरंगाबाद 00 06 04 01 07
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योगफल 575 633 445 283 771
कोट
दो टहनियों के घर्षण से निकली चिंगारी से जंगलों में आग लगती है। आग से बचाव के लिए सारे इंतजाम विभाग के स्तर से किए जाते हैं।
- श्वेता कुमारी, डीएफओ, भागलपुर (पूर्व में वीटीआर में पदस्थापित)।
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