बोले मुंगेर : मजबूत और ऊंचा बनाएं लोहा पुल बांध तो नहीं होगी बर्बादी
बाढ़ न केवल जनजीवन को प्रभावित करती है, बल्कि किसानों की मेहनत और पशुधन को भी नुकसान पहुंचाती है। बरियारपुर में बना लोहा पुल बांध, जो लोगों की सुरक्षा का प्रतीक था, 2024 में आई बाढ़ में टूट गया। इससे...
बाढ़ न केवल जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है, बल्कि किसानों की मेहनत, पशुधन और जीवन की बुनियादी सुविधाओं को भी निगल जाती है। इस आपदा से सुरक्षा के लिए बनाए गए बांध जीवन की रक्षा के कवच होते हैं। लेकिन जब यह कवच ही टूट जाए, तो स्थिति गंभीर हो जाती है। ऐसी ही एक भयावह स्थिति का सामना आने वाली बाढ़ में वे बस्तियां और वहां के निवासी करेंगे, जो अंग्रेजों के समय बने बरियारपुर स्थित लोहा पुल बांध पर निर्भर थे। उनके आसन्न संकट और समस्याओं को लेकर हिन्दुस्तान ने उनके साथ संवाद किया। उन्होंने अपनी परेशानियां बताईं। प्रशासन से की गई मांगों को साझा किया।
01 किलोमीटर लंबा है अंग्रेजों के समय में बना बरियारपुर का लोहा पुल बांध
10 बस्तियों के लगभग 50 हजार लोगों को बाढ़ से सुरक्षा मिलती थी बांध से
01 हजार एकड़ भूमि को भी लोहा पुल बांध बाढ़ के पानी से देता था सुरक्षा
संवाद में लोगों ने बताया कि अंग्रेजों के समय में निर्मित, मुंगेर के बरियारपुर प्रखंड में स्थित यह लोहा पुल बांध लगभग 1 किलोमीटर लंबा है। इसे बाढ़ से बचाव के उद्देश्य से बनाया गया था। इस बांध के कारण आसपास की लगभग 10 बस्तियों को सामान्य बाढ़ से राहत मिलती रही है। इसके अतिरिक्त, लगभग 1000 एकड़ कृषि भूमि को भी इस बांध की सुरक्षा प्राप्त थी। वास्तव में यह बांध उनके लिए एक सुरक्षा दीवार थी, जो इस क्षेत्र में रहते हैं। लेकिन, वर्ष- 2024 में गंगा में आई प्रचंड बाढ़ ने इस सुरक्षा कवच को चीरकर रख दिया। बांध के कट जाने से चारों ओर बाढ़ का पानी फैल गया। इसका सीधा असर लगभग 50,000 की आबादी पर पड़ा। लोगों के घरों में पानी घुस गया, जनजीवन ठप हो गया और आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ। कई मवेशी डूब गए और जो बचे, उनके लिए चारे की भारी किल्लत हो गई। लोगों ने बताया कि पहले भी बाढ़ का पानी बांध को ओवरफ्लो कर चारों तरफ फैलता था, लेकिन यह स्थिति बहुत कम देखने को मिलती थी। हल्के एवं सामान्य बाढ़ में यह बांध पूरी सुरक्षा देता था। परंतु अब इसके क्षतिग्रस्त हो जाने से वे पूरी तरह असुरक्षित हो गए हैं और आने वाली बाढ़ में भी गंभीर संकट का सामना करेंगे।
नाला भी हुआ क्षतिग्रस्त:
लोगों ने बताया कि, जिस नाले से बाढ़ का पानी वापस निकलता था, वह भी पिछले वर्ष की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो चुका है। इससे जलनिकासी का रास्ता अवरुद्ध हो गया है। नतीजतन, लंबे समय तक जलजमाव की स्थिति बनी रही। ऐसी स्थिति में, बांध के पुनर्निर्माण के साथ-साथ उसे और ऊंचा करने तथा नाले के पुनर्निर्माण की भी आवश्यकता है। यदि यह कार्य नहीं किया गया तो हर वर्ष लोगों को जलजमाव की पीड़ा सहनी पड़ेगी, जिससे न केवल स्वास्थ्य संकट उत्पन्न होगा, बल्कि खेती और पशुपालन जैसी आजीविका भी बुरी तरह प्रभावित होगी।
राजनीतिक उपेक्षा और अधूरे वादे:
स्थानीय जनप्रतिनिधि ने दो वर्ष पूर्व इस बांध की मरम्मत और पुनर्निर्माण का वादा किया था, लेकिन पूरा नहीं हुआ। ऐसे में जनप्रतिनिधियों की उदासीनता अब लोगों के लिए अभिशाप बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि जिन उम्मीदों के साथ उन्होंने अपने प्रतिनिधियों को चुना था, वे उम्मीदें अब टूटती नजर आ रही हैं। लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके नेता उनकी समस्याओं की ओर ध्यान देंगे। लोहा पुल बांध केवल एक निर्माण नहीं, बल्कि हजारों लोगों की सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक था। उसका टूटना न केवल भौतिक नुकसान है, बल्कि शासन और प्रशासन की विफलता का स्पष्ट संकेत भी है। यदि समय रहते बांध की मरम्मत की गई होती और जनप्रतिनिधियों ने अपने वादे पूरे किए होते, तो आज हजारों लोगों को यह संकट नहीं झेलना पड़ता। सरकार और प्रशासन को अब जागना होगा और इस ऐतिहासिक बांध के पुनर्निर्माण की दिशा में ठोस पहल करनी होगी, ताकि भविष्य में यहां के लोग बाढ़ की त्रासदी से बच सकें और उन्हें फिर से यह भयावह अनुभव न झेलना पड़े।
शिकायत
1. वर्ष 2024 की बाढ़ में लोहा पुल बांध टूट गया, जिससे हजारों लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई।
2. बांध टूटने से लगभग 50,000 की आबादी प्रभावित हुई, घरों में पानी घुस गया और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया।
3. कई मवेशी डूब गए और बचे हुए पशुओं के लिए चारे की भारी कमी उत्पन्न हो गई।
4. नाला भी क्षतिग्रस्त हो गया जिससे, बाढ़ के पानी की निकासी बाधित हो गई और लंबे समय तक जलजमाव की स्थिति बनी रही।
5. जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए वादे पूरे नहीं किए गए, जिससे लोगों में प्रशासन और सरकार के प्रति निराशा उत्पन्न हुई है।
सुझाव:
1. लोहा पुल बांध की मरम्मत कर उसे और अधिक मजबूत और ऊंचा बनाया जाए ताकि भविष्य में बाढ़ का खतरा टाला जा सके।
2. जलनिकासी के लिए क्षतिग्रस्त नाले की मरम्मत कर पानी के बहाव की दिशा सुनिश्चित की जाए।
3. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक स्थायी योजना बनाई जाए जिसमें राहत, पुनर्वास और पशुधन सुरक्षा शामिल हो।
4. नेताओं और जनप्रतिनिधियों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जाए तथा वादों की निगरानी हो।
5. स्थानीय लोगों को बांध संरक्षण और निगरानी में शामिल कर उनके अनुभवों और जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए।
सुनें हमारी पीड़ा
लोहा पुल बांध की मरम्मत नहीं कराई गई, तो बाढ़ आने पर कई गांवों में पानी फैल जाएगा। फसलें भी डूब जाएंगी।
-प्रशांत किशोर सिंह
बांध अंग्रेजों के शासनकाल में बनाया गया था, जो बरियारपुर में बाढ़ से बचाव के लिए महत्वपूर्ण था। लेकिन, अब इसके टूट जाने से लोगों को भय सताने लगा है।
- मनोज कुमार
प्रशासन की लापरवाही के कारण बांध टूट गया है, जिससे पिछले वर्ष कई गांवों में बाढ़ आ गई थी और फसलें भी बर्बाद हो गईं। बावजूद इसके, प्रशासन द्वारा अब तक बांध का पुनर्निर्माण नहीं कराया गया।
- लट्टू यादव
प्रशासन को चाहिए कि वह बांध की मरम्मत कर उसे और मजबूत एवं ऊंचा बनाए, ताकि बाढ़ से बचाव किया जा सके। साथ ही क्षतिग्रस्त नाले की भी मरम्मत होनी चाहिए।
- सर्वोदय गुप्ता
इस बांध के टूटने से पिछले वर्ष दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी फैल गया था। सैकड़ों एकड़ में लगी फसल डूब गई थी।
- लखपति मंडल
प्रखंड कार्यालय के पीछे से लेकर रेलवे लाइन स्थित लोहा पुल तक यह बांध अंग्रेजों के समय का बना हुआ है। यह बांध पिछले वर्ष बाढ़ के समय पानी की तेज धार में बह गया था। अब इसके क्षतिग्रस्त होने से बाढ़ का पानी हमारे घरों में हर वर्ष फैलेगा।
- प्रिय मोहन कुमार
प्रखंड कार्यालय के पीछे स्थित बांध बाढ़ से कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो चुका है। विधायक से मरम्मत की मांग की गई थी। आश्वासन तो मिला, लेकिन अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ।
- कुलदीप यादव
यदि बाढ़ से पहले लोहा पुल बांध का निर्माण नहीं कराया गया, तो गांधीपुर, हाई स्कूल टोला, अस्पताल टोला, बरियारपुर बस्ती, शाकाहारा टोला सहित 10 गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर सकता है, जिससे फसलों को भारी नुकसान होगा।
- आशा देवी
अगर लोहा पुल बांध नहीं बना, तो इस साल किसानों को काफी परेशानी होगी। दर्जनों गांवों में गंगा का पानी प्रवेश कर जाएगा।
- सिकंदर यादव
अगर बांध की मरम्मत नहीं होती है, तो खेतों में लगी फसल को नुकसान पहुंचेगा और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।
- निर्मल सिंह
किसानों ने बाढ़ से पहले बांध की मरम्मत कराने की मांग जनप्रतिनिधि से की थी, लेकिन मांगें पूरी नहीं हुईं।
- वकील यादव
अंग्रेजों के जमाने में बना नाला भी क्षतिग्रस्त हो गया है। पहले इसी नाले से बाढ़ का पानी निकल जाता था। अब नाला और बांध दोनों का निर्माण जल्द होना चाहिए।
- अनिल यादव
बाढ़ के समय इस बांध से हम पूरी तरह सुरक्षित रहते थे। लेकिन अब बांध टूट जाने के कारण यहां के ग्रामीणों को भय सताने लगा है।
- प्रमोद पासवान
प्रशासन को चाहिए कि वह बांध की मरम्मत करे और उसे मजबूत बनाए, ताकि बाढ़ से बचाव किया जा सके।
- नंदलाल यादव
इस बांध से लगभग 1000 एकड़ भूमि की रक्षा होती थी। वर्ष 2024 में आई बाढ़ से बांध कट गया, जिससे खेतों में लगी फसलें भी बर्बाद हो गईं।
- मुरारी यादव
लोहा पुल बांध पर बालू से भरे बोरे रखे गए थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें नहीं बिछाया। स्थानीय लोगों की शिकायत के बावजूद विधायक ने कोई कदम नहीं उठाया।
- कुंदन कुमार
बोले जिम्मदार
बरियारपुर ब्लॉक के पीछे स्थित लोहा पुल बांध के टूटने एवं उससे प्रभावित लोगों की समस्याओं का संज्ञान मुझे है। इस संबंध में मैंने विभाग को पत्र लिखा है और आवश्यक निर्देश दिया है। विभाग द्वारा अभी इसका बजट नहीं बनाया गया है। मैं जल्द ही इस बांध के निर्माण को लेकर विभागीय मंत्री से भी मिलूंगा। पूर्व में इसकी अस्थायी मरम्मत की गई थी। लेकिन, वह कारगर नहीं रहा था। इस बांध का पुनर्निर्माण कराने एवं इसे ऊंचा करने की आवश्यकता है, ताकि यहां के लोगों को स्थाई समाधान मिल सके। मैं इसी दिशा में प्रयासरत हूं।
-प्रणव कुमार यादव, विधायक, मुंगेर विधानसभा क्षेत्र
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