बोले मुंगेर : कटाव से बचाव के लिए बनाई जाए गार्ड वॉल
प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से बाढ़ और कटाव, ने बिहार के मुंगेर जिले में जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। जिले के 9 में से 6 प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं, जिसके कारण लगभग 80,000 लोग हर साल संकट...
प्राकृतिक आपदाएं मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। बाढ़ एवं कटाव विनाशकारी आपदाओं में से एक हैं। बिहार का मुंगेर जिला बाढ़ एवं कटाव से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है। जिले के 9 में से 6 प्रखंडों, मुंगेर सदर, बरियारपुर, जमालपुर, धरहरा, हवेली खड़गपुर एवं असरगंज की लगभग 40 पंचायतें गंगा के बाढ़ से प्रभावित हैं। वहीं मुंगेर मुख्यालय में मुंगेर नगर निगम के 6 वार्ड भी बाढ़ से प्रभावित हैं। लगभग 80000 से अधिक लोग हर वर्ष बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। मुंगेर सदर एवं बरियारपुर प्रखंड पूरी तरह से बाढ़ एवं कटाव प्रभावित प्रखंड हैं। हर वर्ष बाढ़ एवं कटाव लोगों को रहने का संकट होता है। उसकी आजीविका और जीवन पर भी असर पड़ता है। सदर प्रखंड अंतर्गत नौवागढ़ी उत्तरी पंचायत के सीताकुंड डीह गांव में बाढ़ एवं कटाव पीड़ितों ने अपनी समस्याएं बताईं।
09 प्रखंड हैं जिले में, 06 प्रखंडों की 40 पंचायतें एवं मुंगेर नगर निगम के 6 वार्ड बाढ़ प्रभावित
02 प्रखंड, सदर मुंगेर एवं बरियारपुर प्रखंड बुरी तरह से बाढ़ के साथ-साथ कटाव से हैं प्रभावित
80 हजार जिले की आबादी हर वर्ष बाढ़ एवं कटाव से बुरी तरह से होती है प्रभावित
मुंगेर जिले के छह प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान सदर प्रखंड अंतर्गत नौवागढ़ी उत्तरी पंचायत के सीताकुंड डीह गांव में पीड़ितों ने कहा कि हम लोग बाढ़ के साथ-साथ कटाव से भी बुरी तरह प्रभावित हैं। गांव के लगभग 100 घर ऐसे हैं जो कटाव से पूरी तरह से प्रभावित है और कभी भी उनका घर गंगा में समा सकता है। हमारे घरों से गंगा लगभग 5 से 10 मी दूर रह गई है। वर्ष 2019 में कटाव से बचाव के लिए कुछ कार्य कराए गए थे, लेकिन अब बेकार हो चुके हैं। यह स्थिति केवल हमारे गांव की ही नहीं है, बल्कि सदर प्रखंड के अन्य पंचायतों के कई गांव गंगा के कटाव से पीड़ित है। कुतलूपुर पंचायत के कुछ घर तो गंगा में विलीन भी चुके हैं। वहीं, सदर प्रखंड के तारापुर दियारा पंचायत का रहिया गांव, बरियारपुर प्रखंड का काला मंडल टोला, हरिजन कल्याण टोला एवं एकाशी टोला भी कटाव से बुरी तरह प्रभावित है और गंगा के गर्भ में कभी भी समा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य प्रखंडों के कई गांव पर भी कटाव का खतरा मंडरा रहा है।
कटाव पीड़ितों ने कहा, हम हर वर्ष बाढ़ से भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। गांव-घर के चारों तरफ बाढ़ का पानी रहता है। हमारे घरों में पानी घुस जाता है। सांप-बिच्छू घुस आते हैं तथा गांव में मगरमच्छ, जंगली सूअर एवं नीलगाय का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में हमें अपने आशियाने छोड़कर ऊंचे स्थानों या राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ती है। हमारी फसलें तो बर्बाद होती ही हैं, घरों में रखा अनाज, कपड़े, दस्तावेज और अन्य जरूरी सामान भी कई बार बाढ़ के पानी में बह जाते हैं। इससे हमारे समक्ष आर्थिक और मानसिक संकट उत्पन्न होता है। हम ग्रामीणों की आजीविका पर इसका भारी प्रभाव पड़ता है। शरण स्थली में भी जलजनित बीमारियां, जैसे डायरिया, मलेरिया, टाइफाइड तथा त्वचा से संबंधित संक्रमण फैलने लगते हैं। रहन-सहन की असुविधा के साथ पीने के साफ पानी और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण लोगों का जीवन और भी कठिन हो जाता है। बच्चे, महिलाएं और वृद्धजन इस स्थिति में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। हमारे पशुओं पर भी अत्यंत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। एक तो इन्हें भी सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ता है, दूसरा पशुओं के लिए शेड नहीं होने से उन्हें यूं ही खुले में धूप एवं वर्षा की मार सहनी पड़ती है। इससे भी बड़ी समस्या पशुओं के चारा की होती है। बाढ़ आने पर पशुओं के लिए अत्यंत मुश्किल से चारा की व्यवस्था होती है और वह भी समुचित मात्रा में नहीं। ऐसे में हमारे साथ-साथ हमारे पशु भी बाढ़ के समय पूरी तरह से संकट में रहते हैं।
कटाव में गंवा रहे अपनी जमीन, रहने का संकट
लोगों ने कहा कि हम लोग हर साल कटाव की वजह से अपनी जमीनें एवं उसमें लगी फसलें खो रहे हैं, और अब हमें अपना घर भी खोने का डर सता रहा है। कटाव के कारण उपजाऊ भूमि धीरे-धीरे गंगा में समा रही है। इससे खेती योग्य हमारी जमीन कम होती जा रही है और हमारी आय पर बुरा असर पड़ रहा है। बाढ़ के समय तो हमें रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी का भी सामना करना पड़ता है। मुंगेर के बाढ़ एवं कटाव क्षेत्र के कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। बच्चों की शिक्षा भी बाधित होती है, क्योंकि स्कूल या तो डूब जाते हैं या राहत शिविरों में बदल दिए जाते हैं।
कटाव से सुरक्षा की हो बेहतर व्यवस्था
संवाद कार्यक्रम में लोगों ने कहा कि, सरकार एवं प्रशासन हमें सबसे पहले कटाव से सुरक्षा प्रदान करे। कटाव से ग्रस्त गांवों को बचाने के लिए तत्काल गार्डवॉल का निर्माण कराया जाए यदि उसमें देरी होगी तो कटाव निरोधी कार्य के तहत जिओ बैग बिछाया जाए। वहीं, बाढ़ से बचाव के लिए आवश्यकता अनुसार मजबूत तटबंधों या रिंग बांध अथवा बंडाल का निर्माण कराया जाए। इसके साथ ही बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में समुचित जल निकास प्रणाली और जल संचयन के उपायों को बढ़ावा दिया जाए। इसके अतिरिक्त कटाव रोकने के लिए वृक्षारोपण तथा पुनर्वास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू की जाए।
नहीं मिली बाढ़ राहत राशि:
सरकार एवं प्रशासन को राहत कार्यों को तेज करना चाहिए, पुनर्वास सुविधाएं प्रदान करना और समुचित आर्थिक सहायता देनी चाहिए। लेकिन, बाढ़ के दौरान राहत शिविरों में दी गई सहायता को छोड़कर हमें पुनर्वास के लिए कोई विशेष सहायता नहीं मिलती है। थोड़ी बहुत आर्थिक सहायता मिलती भी है तो वह भी सभी लोगों को नहीं मिलती है। बीते वर्ष आए बाढ़ के समय में भी केवल सदर प्रखंड के हजारों लोगों को बाढ़ राहत सहायता राशि नहीं मिली। जबकि, सदर सदर प्रखंड के श्रीमतपुर पंचायत, जो कहीं से भी बाढ़ प्रभावित नहीं है, वहां के लोगों को बाढ़ राहत सहायता राशि मिली। मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। जब तक बाढ़ एवं कटाव से बचाव के लिए संबंधित विभाग के स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, तब तक हजारों लोग हर साल इस संकट से जूझते रहेंगे।
समस्याएं
1. कटाव के कारण कई परिवारों के घरों पर कटाव का खतरा मंडरा रहा है और उनकी कृषि भूमि गंगा में समा रही है, जिससे वे बेघर हो रहे हैं।
2. बाढ़ और कटाव के कारण किसानों की फसलें नष्ट हो जाती हैं, उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती है।
3. बाढ़ के पानी से डायरिया, मलेरिया, टाइफाइड एवं त्वचा के विभिन्न प्रकार के संक्रमण जैसी बीमारियां फैलती हैं और चिकित्सा सुविधाओं की कमी स्थिति को कभी-कभी गंभीर बना देती है।
4. स्कूलों में पानी भर जाने या राहत शिविर में तब्दील हो जाने के कारण बच्चों की शिक्षा बाधित होती है।
5. कई पात्र लोगों को सरकारी राहत राशि नहीं मिलती, जबकि अपात्र लोग इसका लाभ उठा लेते हैं, जिससे भ्रष्टाचार और असमानता की समस्या उत्पन्न होती है।
सुझाव:
1. बाढ़ से बचाव के लिए आवश्यकता अनुसार रिंग बांध अथवा बंडाल का निर्माण किया जाए। कटाव वाली जगहों पर गार्डवाल बनवाया जाए या जिओ बैग बिछाकर लोगों को कटाव से सुरक्षा प्रदान की जाए।
2. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जल निकास की प्रभावी व्यवस्था की जाए, ताकि जलभराव की समस्या कम हो।
3. बाढ़ राहत और पुनर्वास सहायता में पारदर्शिता लाने के लिए एक निगरानी समिति बनाई जाए, जिससे योग्य लाभार्थियों तक मदद पहुंचे।
4. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तात्कालिक रूप से स्कूलों को अस्थाई पनाहगाह बनाने की जगह पंचायतवार अथवा प्रखंडवार स्थायी आश्रय का निर्माण कराया जाए और स्कूलों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की योजना बनाई जाए।
5. बाढ़ और कटाव से निपटने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को एक दीर्घकालिक नीति बनानी चाहिए, जिसमें वैज्ञानिक और तकनीकी उपायों को शामिल किया जाए।
सुनें हमारी बात
हम लोग हर साल बाढ़ की मार झेलते हैं। अब हम कटाव की समस्या से भी ग्रसित हैं। हमारा घर कभी भी गंगा में विलीन हो सकता है। सरकार में कटाव से बचाए।
-सुबोध यादव
गंगा का कटाव हमारे घरों तक पहुंच गया है। केवल कुछ मीटर दूर हमारे घर से गंगा रह गई है। यदि जल्द ही कटाव निरोधक कार्य नहीं कराया गया तो कभी भी हमारा घर गंगा में समा सकता है।
-नंदन पासवान
हम बाढ़ एवं कटाव से पूरी तरह पीड़ित हैं। हमारा घर कभी भी गंगा के कटाव की चपेट में आ सकता है। सरकार हमें कटाव से बचने के लिए स्थाई उपाय करे।
-विजय सिंह
बचपन से ही हम बाढ़ से पीड़ित हैं। अब गंगा के कटाव का खतरा भी हम पर मंडरा रहा है। कभी भी हमारा घर कटाव के चपेट में आ सकता है। सरकार जल्द कुछ उपाय करे।
-हरिनंदन यादव
हम हर साल बाढ़ की मार से प्रभावित होते हैं। प्रशासन हमें तात्कालिक रूप से राहत शिविरों के माध्यम से सहायता भी देता है। लेकिन, यह हमारी परेशानियों के समक्ष कुछ भी नहीं होता है।
-संटू यादव
हमारा पूरा गांव पूरी तरह से बाढ़ से पीड़ित है। गांव के लगभग 100 घर गंगा के कटाव से सहमे हुए हैं। यदि शीघ्र ही कुछ नहीं किया गया तो कभी भी हमारा घर गंगा में समा सकता है।
-बिंदेश्वरी यादव, बाढ़ एवं कटाव पीड़ित
हमारे समक्ष बाढ़ के साथ-साथ कटाव की समस्या आती है। हमारे घरों में बाढ़ का पानी घुस जाता है। घर भी गंगा में सामने को तैयार है। हमें कुछ समझ में नहीं आता है।
-कामदेव यादव
बाढ़ से तो बचपन से ही पीड़ित रहे हैं। अब कटाव का खतरा भी हमारे सर पर है। हमारे खेत पहले ही गंगा में समा चुके हैं, यदि घर कट गया तो हम कहीं के नहीं रहेंगे।
-रामबरण यादव
हम लोग बुरी तरह से बाढ़ के साथ-साथ कटाव से प्रभावित हैं। यदि जल्द ही कटाव निरोधक कार्य नहीं कराया गया तो अगले कटाव के दौर में यहां के कई घर गंगा में विलीन हो जाएंगे। हम लोग लगातार डर के साये में जी रहे हैं।
-सदानंद मंडल
बाहर के समय हर वर्ष हमारी जिंदगी नरक बन जाती हैं। हम दर-दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। हमारा घर गंगा के कटाव से प्रभावित है और कभी भी गंगा में समा सकता है। हम कहीं के नहीं रहेंगे।
-धरणीधर यादव
बाढ़ आने पर हम कहीं के नहीं रहते हैं। हमें घर छोड़कर दूसरे जगह शरण लेना पड़ता है। इसके कारण हमें कई परेशानियां होती हैं। हमारे समक्ष भोजन, पेयजल एवं चिकित्सा के साथ-साथ पशुओं के रखरखाव की समस्या उत्पन्न होती है।
-सकलदेव यादव
हम बाढ़ के साथ-साथ कटाव की समस्या से भी ग्रसित हैं। हमारा घर कभी भी गंगा में कट सकता है। सरकार कटाव से सुरक्षा के आवश्यक उपाय करे और हमें उजड़ने से बचाए।
-फोटो यादव
बाढ़ के बाद आपदा विभाग द्वारा दिए जाने वाली सहायता राशि सभी को नहीं दिया जाता है। काफी संख्या में ऐसे बाढ़ पीड़ित हैं जिन्हें बाढ़ राहत सहायता राशि नहीं मिली है। कई लोग बाढ़ में हुए फसल नुकसान की सहायता राशि के लिए आवेदन भी नहीं कर सका।
-मनोहर साव
बाढ़ एक आपदा है। इसके साथ-साथ कटाव और बड़ी आपदा है। हम लोग दोनों से पीड़ित हैं। सरकार को इनसे निजात दिलाने के लिए जल्द आवश्यक कदम उठानी चाहिए।
-दयालाल यादव
हर वर्ष आने वाले बाढ़ से हम लोग परेशान हैं। अब पिछले कई वर्षों से कटाव की समस्या से हम लोग सहमे हुए हैं। डर लगता है कि, कहीं रात में सोते समय कटाव ना हो जाए और हम घर सहित गंगा में समा ना जाएं।
-मंटू यादव
हमारे साथ-साथ मुंगेर के कई गांव बाढ़ एवं कटाव से पूरी तरह से प्रभावित हैं। कटाव से प्रभावित इन गांवों के लोग कटाव के समय डर के कारण ठीक से रात में सो नहीं पाते हैं। बाढ़ में हमें अपना घर द्वार छोड़ना पड़ता है। ऐसी स्थिति में हम कई समस्याओं से ग्रसित रहते हैं। हमें अपेक्षित सरकारी सहायता नहीं मिलती है और सभी लोगों को नहीं मिलती है।
-धनराज प्रसाद यादव
बोले प्रतिनिधि
मेरे यहां के अलावा और भी कई गांव हैं जो बाढ़ के साथ-साथ कटाव से भी पीड़ित हैं। यदि इन गांवों को बचाने के लिए कटाव निरोधक कार्य नहीं कराया गया तो कभी भी ये गांव गंगा में समा सकते हैं। इससे एक बड़ी आबादी बुरी तरह से प्रभावित होगी। कई गांव केवल बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित हैं। ये गांव चारों ओर बाढ़ के पानी से गिर जाते हैं और यहां के घरों में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाता है। ऐसे में इन गांवों के लोगों के समक्ष अपने घरों से अपने पशुओं एवं आवश्यक सामानों के साथ पलायन कर सुरक्षित शरण स्थली में जाने के सिवा कोई उपाय नहीं बचता है। मैं भी कटाव के साथ-साथ बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हूं। वर्ष 2019 में जो कटाव रोधी कार्य कराए गए थे, वे अब बेकार हो गये हैं। ऐसे में कटाव स्थलों पर स्थाई कटाव रोधक कार्य कराने की जरूरत है।
-राजेंद्र प्रसाद मंडल, पूर्व सरपंच सह वर्तमान सरपंच प्रतिनिधि, नौवागढ़ी उत्तरी पंचायत
बोले जिम्मेदार
मुंगेर के बाढ़ प्रभावित एवं कटावग्रस्त क्षेत्रों तथा गांवों की जानकारी विभाग को है। जिले के कटावग्रस्त गांव की सुरक्षा के लिए विभागीय स्तर पर योजना बनाई जा रही है। शीघ्र ही इन योजनाओं के तहत कटाव ग्रस्त गांवों को बचाने के लिए जिओ बैग के माध्यम से कटाव निरोधक कार्य कराए जाएंगे। ये कार्य आगामी मई तक पूरी कर लिये जाएंगे।
-अनवर जमाल, मुख्य अभियंता, बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण, जल संसाधन विभाग, कटिहार
बोले मुंगेर असर
जल्द ही मुसहर समुदाय के बेघर लोगों को मिलेगा आवासीय प्लॉट
मुंगेर, एक संवाददाता। मुंगेर के विभिन्न क्षेत्रों में जहां-तहां निवास करने वाले बेघर मुसहर समुदाय के लोगों को जल्द ही घर बनाने के लिए आवासीय प्लॉट मिलने की संभावना है। हिन्दुस्तान में बोले मुंगेर संवाद के तहत छपी खबर का असर सदर अंचल कार्यालय पर दिख रहा है। इस संबंध में अंचल अधिकारी प्रीति कुमारी से मुसहर समाज के लोगों को बसाने के लिए अब तक किए गए कार्यों की जानकारी मांगी गई। उन्होंने कहा कि अंचल कार्यालय द्वारा इन्हें बसाने के लिए सरकारी योजना के तहत आवासीय प्लॉट आवंटित किया जाएगा। इसके लिए जगह का सर्वे तेजी से किया जा रहा है। सदर प्रखंड के दक्षिणी पंचायत में पूर्व में खोजी गई जमीन वन विभाग की थी। ऐसे में फिर से नए सिरे से जमीन की खोज की जा रही है। शीघ्र ही जमीन की खोज कर ली जाएगी और प्राथमिकता के आधार पर मुसहर समाज के लोगों को बसने के लिए जमीन आवंटित की जाएगी।
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