बोले जमुई : सरकार सहायता दे तो दूसरे जिलों को कर सकते हैं प्याज की आपूर्ति
जमुई जिले के अलीगंज प्रखंड में प्याज की खेती करने वाले किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि असली खाद और बीज नहीं मिलने से फसल प्रभावित होती है। सिंचाई की व्यवस्था भी...
जमुई जिले का अलीगंज प्रखंड प्याज की खेती के लिए जाना जाता है। यहां की भूमि प्याज उत्पादन के लिए उपयुक्त है। गरमा फसल में प्याज की खेती प्रखंड के धनामा, दीननगर, चौरासा, कोल्हाना, इचौड़, शाहपुर, बहछा, मैना, दिग्घोत, बरडीह, गौलहौर गांव के किसान बड़े पैमाने पर करते हैं। हालांकि जिस स्तर से वे मेहनत मजदूरी करते हैं, उस हिसाब से लाभ नहीं मिल पाता। तेज धूप और गर्मी में भी प्याज की खेती कर रहे हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान प्याज किसानों ने अपनी समस्याएं बताईं।
05 सौ अधिक एकड़ में होती है प्रखंड के विभिन्न गांवों में खेती
12 से अधिक गांवों में होता है अलीगंज में प्याज का उत्पादन
05 सौ से अधिक किसान करते हैं इलाके में प्याज की खेती
जमुई जिले के अलीगंज प्रखंड में सैकड़ों किसान प्याज की खेती करते हैं। किसान बताते हैं कि अगर उन्हें असली खाद बीज मिले तो वे उत्पादन में काफी बढ़ोतरी ला सकते हैं। मलाल है कि कभी रासायनिक खाद तो कभी बीज नकली होने से उनकी खेती मारी जाती है। बाजार में विश्वासपात्र दुकानदारों से खाद बीज लेते हैं। फिर भी धोखे में पड़ जाते हैं। कभी खाद नकली होने से फसल पर असर पड़ता है। तो कभी पुराने बीज मिलने से उसमें अंकुरण नहीं हो पाता। जमुई जिला के अलीगंज प्रखंड के अधिकतर गांवों में किसान प्याज की खेती करते हैं। किसान बताते हैं कि वे धान की फसल काटकर उसमें प्याज लगते हैं। इसमें कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है। जेठ की तपती दुपहरी में भी खेतों में खड़े होकर फसल की सिंचाई करते हैं। यह फसल सिंचाई पर ही निर्भर है। इस फसल को उगाने को कठिन परिश्रम के साथ-साथ अधिक पूंजी की जरूरत होती है। अगर इसकी खेती में समय गंवाते हैं तो फसल नष्ट हो जाती है। इसके लिए किसान को हर वक्त तैयार रहना पड़ता है।
तीन निकौनी 13 पानी, तब देखें प्याज की शानी :
प्याज उत्पादन के लिए किसान बताते हैं कि इसमें सबसे ज्यादा सिंचाई महत्वपूर्ण होती है। अगर समय पर सिंचाई नहीं हुई तो फसल खराब हो जाती है। साथ ही निकौनी भी समय पर करने की जरूरत पड़ती है। किसानों का कहना है कि प्याज की खेती के लिए तीन निकौनी तेरह पानी तब देखें प्याज की शानी। यह हर वक्त ख्याल रखना पड़ता है। प्याज की फसल लेने के लिए तीन निकौनी के साथ-साथ 13 पानी का देना आवश्यक होता है। अगर ऐन वक्त फसल में पानी नहीं मिला, तो फसल खराब हो जाएगी। लगाई गई पूंजी भी समाप्त हो जाती है। किसानों ने बताया कि सिंचाई व्यवस्था जिले में बदहाल है। ज्यादातर ट्यूबवेल खराब पड़े हुए हैं। कृषि फीडर के जरिए किसानों को सस्ती दर पर बिजली कनेक्शन दिया जाए ताकि सिंचाई में आसानी हो। यह योजना भी पूरी नहीं की जा सकी है। परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मौसम की धोखेबाजी से नुकसान :
मौसम की धोखेबाजी से प्याज की फसल को काफी नुकसान होता है। किसान बताते हैं कि प्याज उत्पादन के लिए बारिश के पानी नहीं बल्कि पंप सेट से सिंचाई की जरूरत है। बारिश इसके लिए कहर के समान होता है। खासकर जब खेतों में प्याज की फसल तैयार हो जाती है और बारिश हुई तो उसका व्यापक प्रतिकूल असर पड़ता है। बारिश के पानी से प्याज सड़ने गलने-लगते हैं। किसान बताते हैं कि जब मौसम खराब होता है तो उनकी धड़कन बढ़ जाती है। आंधी के कारण भी यह फसल चौपट हो जाती है। इस फसल उत्पादन के लिए मौसम का अनुकूल होना जरूरी है।
खेती के लिए नहीं मिल रहे मजदूर :
प्याज उत्पादन के लिए मानव बल की जरूरत होती है। जबकि किसानों को मानव बल मिलना मुश्किल हो रहा है। किसान बताते हैं कि प्याज की फसल के लिए निकौनी काफी महत्वपूर्ण होती है। जबकि उन्हें इसके लिए मजदूर नहीं मिल पाते। रोपनी के वक्त तो मजदूर की काफी किल्लत हो जाती है। इस कारण फसल पछात हो जाती है। प्याज उत्पादन में अधिक खर्च आने के बाद जब मौसम की धोखेबाजी होती है तो वे घर की भी पूंजी गंवा बैठते हैं। जबकि फसल क्षति का मुआवजा सरकार द्वारा नहीं दिया जाता है। प्याज उत्पादकों के लिए सरकार को अलग से मुआवजा राशि तय करनी चाहिए। ताकि मौसम विपरीत होने पर फसल मुआवजा मिल सके।
सरकारी सहायता मिले तो कई जिलों में आपूर्ति कर सकते हैं प्याज:
जमुई जिला के किसान बताते हैं कि यहां की मिट्टी में प्याज की फसल अच्छी होती है। इस मिट्टी के प्याज का आकार और रंग काफी आकर्षक होता है। इसे देखते ही खरीदार आकर्षित होते हैं। किसानों का कहना है कि सरकार अगर उन्हें सहायता मिले तो उत्पादन में क्रांति लाकर जिले के अलावा कई जिलों में प्याज की आपूर्ति कर सकते हैं।
शिकायत :
1. प्याज फसल उत्पादन में सबसे बड़ी समस्या मानव बल की होती है।
2. खाद बीज नकली होने के कारण फसल मारी जाती है।
3. प्याज की फसल में कीड़े लगने से फसल चौपट होने लगती है। नकली कीटनाशक का भी असर नहीं पड़ता।
4. फसल जब तैयार होती है तो व्यापारी उसे अपने भाव से खरीदते हैं। फसल की कीमत नहीं मिल पाती।
5. फसल भंडारण की समस्या से किसान परेशान होते हैं। जगह का अभाव है।
सुझाव
1. सरकार मनरेगा के तहत किसानों को मजदूर उपलब्ध कराए तो प्याज उत्पादन में क्रांति आएगी।
2. सरकारी स्तर खाद-बीज मुहैया कराया जाए।
3. कीड़े के प्रकोप से बचाने के लिए सरकार असली कीटनाशक मुहैया कराए।
4. फसल उत्पादन के बाद उचित कीमत नहीं मिल पाती। सरकार दाम निर्धारित करे।
5. सिंचाई के लिए बिजली समय पर मिले। पूरी आपूर्ति हो। कनक्शन फ्री दिया जाए।
सुनें हमारी बात
किसान खेतों में लगी फसल की सिंचाई करने के लिए परेशान रहते है। उन्हें निजी पंपसेट से सिंचाई करनी पड़ती है। बिजली भी धोखा देती है। प्याज उत्पादन के लिए सिंचाई महत्वपूर्ण है।
-बुद्धयु मांझी
खुले बाजार में खाद-बीज खरीदते हैं। नकली होने से फसल खराब हो जाती है। सरकार को नकली खाद बीज दुकानदारों पर लगाम लगानी चाहिए।
- दुलारी कुमारी
खेती-किसानी पर सरकार ध्यान दे। फसल की सिंचाई के लिए जिले में बिजली को और दुरुस्त करने की जरूरत है। बिजली समस्या दूर हुई है। सिंचाई करने में आसानी होती है।
- रवि मांझी
प्याज उत्पादन के लिए स्टेट नलकूप को चालू करना चाहिए। ताकि किसानों को सिंचाई करने में परेशानी नहीं हो। नलकूप चालू नहीं होने से किसानों को सिंचाई करने में अधिक खर्च आती है। खेती करने के लिए मजदूर नहीं मिलते।
-मो. सलाम
प्याज उत्पादन के लिए सिंचाई जरूरी है। सरकार को बिजली को दुरुस्त करनी चाहिए। बिजली की कमी से सिंचाई करना मुश्किल होता है। किसानों को ऊंची कीमत पर पानी खरीदना पड़ता है।
-मो. ज़ुबैर
क्षेत्र में वर्षों से नलकूप खराब पड़ा है। कभी चालू करने की दिशा में ध्यान नहीं दिया जाता। प्याज उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत पड़ती है। नलकूप खराब रहने से परेशानी हो रही है।
-मो. गिलानी
प्याज की खेती करने में मजदूर की सबसे बड़ी समस्या आती है। रोपनी के समय तो मजदूर मिलना मुश्किल होता है। साथ ही इसकी निकौनी करने के लिए मजदूर को ढूंढ़ना पड़ता है।
-बबलू
असली खाद-बीज नहीं मिलने से फसल मारी जाती है। कई बार नकली बीज में अंकुरण ही नहीं आया। जिससे फसल उत्पादन में समस्या खड़ी हो गई। सिंचाई करने में भी बड़ी परेशानी आ रही है। सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए।
- संचय यादव, पंचायत समिति सदस्य
किसानों को सिंचाई निजी नलकूप से करनी पड़ती है जो काफी महंगी होती है। सरकार सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली दे और सिंचाई की सुविधा दे ताकि लोगों को परेशानी न हो।
-मो. इबरार
स्टेट बोर्डिंग चालू नहीं होने से पानी की समस्या आती है। खेत में लगी फसल को सिंचाई करने के लिए निजी स्तर पर पानी खरीदना पड़ता है जो काफी महंगा होता है।
- रजनी सिंह
किसान फसल की सिंचाई में ही बिक जाते हैं। निजी स्तर पर पानी खरीद कर सिंचाई करना काफी महंगा है। सरकार को प्याज उत्पादकों के लिए सोचना चाहिए। सिंचाई सुविधा देनी चाहिए।
- सुभाष चंद्र कुमार
ठेका पर खेती करता हूं। सिंचाई की समस्या आती है। ऊंची कीमत पर पानी खरीद कर प्याज में देना पड़ता है। जिससे फसल घाटे का सौदा बनता है। यह नगदी फसल है।
-गुड्डू कुमार
प्याज की फसल में कीड़े लग जाते है। उसमें छिड़काव करने के लिए कीटनाशक दवा लानी पड़ती है। यह नकली होने के कारण छिड़काव भी बेअसर हो जाता है।
- दीपक सिंह
निजी नलकूप वाले से सिंचाई करके फसल उगाना बस की बात नहीं है। पानी खरीद कर देना काफी महंगा है। इसके बावजूद प्याज की फसल लगाते हैं।
-चंदन कुमार
गांव की महिला हूं। किसानी करती हूं। सरकारी सहयोग नहीं मिलता है। घर के पास प्याज की फसल लगाई है। इसमें पूंजी अधिक लगती है। महाजन से कर्ज लेकर फसल लगाती हूं।
- सबिया देवी
किसानी में महिलाएं पीछे नहीं है। संसाधन की कमी की मार झेलनी पड़ती है। सरकार पंचायत में पानी की उपलब्ध कराए ताकि सिंचाई करने में सुविधा हो सके।
-नीतू देवी
बोले जिम्मेदार :
जिन किसानों की जो भी फसल क्षति हुई है, वैसे किसान विभाग को आवेदन सौंपें। आवेदन प्राप्त होने के कारण संबंधित अधिकारियों द्वारा जांच कराई जाएगी। जांच के उपरांत उसकी रिपोर्ट वरीय अधिकारियों के पास भेजी जाएगी। किसान की जो भी समस्या है, उसे दूर करने की कोशिश की जाएगी।
-आकिब जावेद, सहकारिता पदाधिकारी, जमुई
बोले जमुई फॉलोअप
सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए नहीं बना पेंशनर भवन
जमुई। जमुई में सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए पेंशनर भवन नहीं है। इसके लिए पेंशनर और सेवानिवृत कर्मियों ने जिला मुख्यालय में पेंशनर भवन की आवाज उठाई थी। मगर अभी तक पेंशनर भवन नहीं बन पाया है। पेंशनर समाज के लोगों ने बताया कि 10 साल पहले जिला प्रशासन द्वारा जमुई व्यवहार न्यायालय के समीप भवन निर्माण को लेकर जमीन मुहैया कराई गई थी। व्यवहार न्यायालय द्वारा रोक के बाद जिला प्रशासन ने पेंशनर समाज को अब तक जमीन मुहैया नहीं कराई है। भवन निर्माण हो पा रहा है। पेंशनर समाज के बैठने के लिए जमीन मुहैया कराकर भवन निर्माण का कार्य करें ताकि पेंशनर समाज को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। विदित हो कि जिले में 60 साल से अधिक आयु के तीन लाख से अधिक बुजुर्ग हैं। इसमें कई ऐसे हैं जो सरकारी नौकरी करते थे तो कुछ प्राइवेट फर्म से रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद इंगेजमेंट जरूरी है। कुछ बुजुर्ग रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग पहले ही कर लेते हैं। वे हताश-निराश नहीं होते। जमुई में लाखों की संख्या में ऐसे बुजुर्ग हैं जो 60 साल से अधिक उम्र होने के बाद खेती बाड़ी में जुटे हैं। कई सीनियर सिटीजन ने तो यह भी कहा कि बुजुर्गों के लिए सरकार जैसी व्यवस्था देगी वैसा ही रिफ्लेक्शन मिलेगा। हिन्दुस्तान ने बोले जमुई संवाद के तहत पेंशनरों की मांग को गत 20 जनवरी को उठाया था। एक सीनियर सिटीजन ने कहा कि एक जमाना था जब समाज में कई तरह के संगठन होते थे और वही संगठन सब की समस्या का समाधान करते थे। बुजुर्गों का सामाजिक सम्मान इतना होना चाहिए कि मां-बाप के स्वाभिमान पर धक्का नहीं लगे। किसी न किसी संस्था और संगठन से जुड़े रहने की जरूरत है ताकि सेवा पूरी कर घर लौटने के बाद जीवन में शून्यता महसूस नहीं हो। बुजुर्गों ने माना रिटायरमेंट के बाद इंगेजमेंट की प्लानिंग जरूरी है। बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा मिले। प्रशासन को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है।
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