बीएनएमयू के 33 साल के इतिहास में कई उपलब्धियां हासिल की
मधेपुरा में समाजवादी नेता भूपेंद्र नारायण मंडल के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। 33 साल में, बीएन मंडल विश्वविद्यालय ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें 28 विषयों की पढ़ाई होती है। हाल के...
मधेपुरा निज प्रतिनिधि। कोसी के सुदूर देहाती क्षेत्र के गरीब और वंचित छात्रों के उच्च शक्षिा देने के उद्देश्य से मधेपुरा में समाजवादी नेता भूपेंद्र नारायण मंडल के नाम पर वश्विवद्यिालय की स्थापना हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा की गई थी। 33 साल में बीएन मंडल वश्विवद्यिालय ने कई आयामों को हासिल किया। तत्कालीन कुलपति डॉ. आरके चौधरी के कार्यकाल में नौ विषयों में पीजी की पढ़ाई से शुरू हुए बीएनएमयू में अभी 28 विषयों की पढ़ाई होती है। वश्विवद्यिालय शुभारंभ के बाद 1999 में सभी विभागों में एक प्रोफेसर, दो रीडर और चार लेक्चरर का पद सृजित किया गया। वश्विवद्यिालय के प्रथम कुलपति डॉ. रमेंद्र कुमार यादव रवि को बनाया गया था। 1992 में बिहार में बने पांच वश्विवद्यिालयों में बीएनएमयू पहला वश्विवद्यिालय बना जन्हिोंने 2003 में यूजीसी से 12बी और टू एफ से संबंधन प्राप्त किया। टीपी कॉलेज से शुरू हुआ पीजी विभाग को 1999 में वश्विवद्यिालय कैंपस लाया गया। तत्कालीन कुलपति डॉ. अवध किशोर राय के कार्यकाल में हिंदी, फिलोसॉफी, इंग्लिश की पढ़ाई शुरू हुई। उनके कार्यकाल में पीजी को नॉर्थ कैंपस में शफ्टि कराया गया। उस समय नॉर्थ कैंपस में कुछ भी सुविधा उपलब्ध नहीं था। लेकिन शक्षिक, छात्र और वश्विवद्यिालय के प्रयास से वहां शैक्षणिक वातावरण तैयार किया गया। इसके बाद वश्विवद्यिालय में अन्य विषयों की पढ़ाई शुरू की गई।
डॉ. आरकेपी रमण के कुलपति काल में वश्विवद्यिालय में नए सिरे से शक्षिक और कर्मचारियों के पद का सृजन किया गया। बीएनएमयू से बड़ी संख्या में छात्र नेट और जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण कर वश्विवद्यिालय का नाम रोशन किया।
अंतिम दस साल विकास के लिए रहा समर्पित: बीएनएमयू के 33 साल के इतिहास में अंतिम दस साल विकास के लिए समर्पित माना जाएगा। इस अवधि में वश्विवद्यिालय के अधिकांश पीजी विभागों को स्मार्ट क्लास रूम से लैस किया गया। सुसज्जित सेमिनार हॉल, गेस्ट हाउस, डाटा सेंटर आदि का नर्मिाण कराया गया। शक्षिकों के शोध कार्य के लिए भी कमरे का नर्मिाण किया गया। यूजीसी द्वारा भी विकास के मद में राशि दी गई। बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना द्वारा नॉर्थ कैंपस में परीक्षा भवन, गेस्ट हाउस, डाटा सेंटर बनाया गया।
शक्षिकों ने विकास में सहायता की: बीएनएमयू के विकास में कई शक्षिकों का भी अहम योगदान रहा है। शक्षिकों के निजी फंड से वाटिका, दीक्षा स्थल, गेट, वाटिका में बैठने के लिए बैंच आदि के सहयोग किया गया। जूलॉजी के पूर्व एचओडी सह पूर्व कुलपति के पुत्र डॉ. अरुण कुमार और उनके परिजनों द्वारा महावीर वाटिका, गेट वश्विवद्यिालय की शोभा बढ़ा रहा है। पुराने कैंपस में दिनेश यादव और नॉर्थ कैंपस में डॉ. कुलदीप यादव द्वारा भव्य गेट का नर्मिाण कराया गया।
माय बर्थ माय अर्थ को मिला ट्रेड मार्क: बीएनएमयू में केम्ट्रिरी के शक्षिक वर्तमान में एचओडी डॉ. नरेश कुमार द्वारा पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए शुरू किया में बर्थ माय अर्थ को भारत सरकार द्वारा ट्रेड मार्क भी मिला। वर्तमान कुलपति बीएस झा के कार्यकाल में वश्विवद्यिालय को पीएम उषा मद से 20 करोड़ रुपए आने की संभावना बढ़ गई है। इस राशि से भवन नर्मिाण सहित अन्य कार्य होंगे।
कई काम नहीं हुए जो लोगों को किया निराश: बीएनएमयू के नॉर्थ कैंपस में सल्विर जुबली स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का नर्मिाण घोषणा के बाद भी अब तक नहीं होने से लोगों के निराशा व्याप्त है। कला संस्कृति और खेल कूद को अपेक्षित विकास नहीं होने से कलाकार और खिलाड़ियों की प्रतिभा कुंठित हुई है।
कोट
वश्विवद्यिालय का चतुर्दिक विकास की रूप रेखा तैयार की जा रही है। यहां हर संभव कार्य होंगे।
डॉ. बिपिन कुमार राय, कुलसचिव, बीएनएमयू, मधेपुरा
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।