इमरजेंसी में इलाज कराना हो रहा मुहाल, एक घंटे तक इलाज के लिए तरसा कैदी
मायागंज अस्पताल के इमरजेंसी में अब इलाज से ज्यादा टरकाने का खेल चल रहा है। इमरजेंसी में भर्ती ढाई साल के बच्चे की मौत के बाद 18 घंटे तक डीआर के लिए...
भागलपुर, कार्यालय संवाददाता
मायागंज अस्पताल के इमरजेंसी में अब इलाज से ज्यादा टरकाने का खेल चल रहा है। इमरजेंसी में भर्ती ढाई साल के बच्चे की मौत के बाद 18 घंटे तक डीआर के लिए तरसे परिजन का मामला अभी ठंडा पड़ा भी नहीं था कि शुक्रवार की रात इलाज के लिए आये कैदी को एक घंटे तक इलाज के लिए तरसना पड़ा।
हुआ यूं कि बांका जिला जेल से शुक्रवार की देर रात 11:22 बजे 60 वर्षीय कैदी प्रकाश कोड़ा को इलाज के लिए मायागंज अस्पताल लाया गया। उस वक्त उसके मुंह से झाग निकल रहा था। उसे इमरजेंसी में भर्ती कर लिया गया लेकिन इलाज कराने पहुंचे पुलिस को डॉक्टरों ने कंट्रोल रूम से पर्ची कटाने व अस्पताल अधीक्षक से इलाज का आदेश लाने को बोल टरका दिया। पुलिस कंट्रोल रूम पहुंची तो वहां मौजूद हेल्थ मैनेजर वीरमणि ने डॉक्टरों से कहा कि वे इलाज शुरू करें, शनिवार को अस्पताल अधीक्षक का आदेश ले लिया जायेगा। इसके बाद आधी रात करीब 12:30 बजे कैदी का इलाज शुरू किया गया। बाद में उसे कैदी वार्ड में शिफ्ट कर दिया। शनिवार को कैदी की हालत सामान्य बतायी गयी। इस बाबत अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि डॉक्टरों को पहले इलाज करना चाहिए था, कागजी कार्यवाही तो बाद में पूरी की जा सकती है। ड्यूटी में तैनात रहे चिकित्सकों से सोमवार को स्पष्टीकरण मांगा जायेगा।
शहरी क्षेत्र में कोरोना के दो नये मरीज मिले
शनिवार को जिले में कोरोना के दो नये मामले जांच में पाये गये। मायागंज अस्पताल में हुई आरटीपीसीआर जांच में कोरोना पॉजिटिव मिले दोनों में से एक शहर के सूजागंज निवासी 69 वर्षीय कारोबारी है, तो दूसरी मशाकचक निवासी 44 वर्षीय महिला है। इसके साथ ही जिले में कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 9578 पर पहुंच गयी। अब तक 81 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। 9488 कोरोना मरीज अब तक पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। जिले में सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर नौ हो गयी है। सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार सिंह ने बताया कि दोनों पॉजिटिव का इलाज चल रहा है। शनिवार को जिले में कोरोना रिकवरी रेट कम होकर 99.06 प्रतिशत पर आ गया है।
जिले में पदस्थापित डॉक्टरों का अब हर माह आंकड़ा भेजना होगा पटना
जिले में तैनात डॉक्टर की निगरानी के लिए नयी व्यवस्था लागू की गयी है। प्रधान सचिव स्वास्थ्य प्रत्यय अमृत ने सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार सिंह को भेजे पत्र में निर्देश दिया है कि वे अब हर माह के पांचवीं तारीख को जिले में तैनात सामान्य चिकित्सक, विशेषज्ञ चिकित्सक, दंत एवं आयुष चिकित्सक और स्वास्थ्य पदाधिकारियों का आंकड़ा उन्हें भेजेंगे। ताकि यह जानी जा सके कि कितने डॉक्टर ड्यूटी कर रहे हैं और कितने गायब हैं। लगातार अनुपस्थित रहने वाले चिकित्सकों के खिलाफ अब कार्रवाई की जायेगी।
रिक्त पड़े आयुष चिकित्सक के पदों को भरने की मांग
आयुष डॉक्टर संघ के अध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार गुप्ता ने स्वास्थ्य विभाग को भेजे आवेदन में मांग की है कि बिहार में बंद पड़े आयुर्वेदिक कॉलेज में रिक्त पदों पर भर्ती की व्यवस्था की जाये। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक कॉलेज बंद होने के कारण नामांकन प्रक्रिया बंद है। सरकार आयुष को लेकर गंभीर नहीं है। यहां तक बिहार बजट में भी आयुर्वेदिक कॉलेज और आयुष डॉक्टरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं दी गयी है। अब तक न तो आयुष चिकित्सकों की भर्ती की गयी और न ही आयुष चिकित्सकों की पदोन्नति ही की गयी है जो निराशाजनक है।
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