Hindi NewsBihar NewsBhagalpur NewsDevelopment Issues Persist in Sikandara Municipality of Jamui District

बोले जमुई : रोशनी और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था हो, जलजमाव हटाएं

जमुई जिले में सिकंदरा नगर पंचायत की स्थापना को तीन वर्ष हो चुके हैं, लेकिन यहाँ की बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी हुई है। 12 वार्डों में जलजमाव, शुद्ध पेयजल, और सड़क निर्माण की समस्याएँ हैं। स्थानीय...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 12 May 2025 11:25 PM
share Share
Follow Us on
बोले जमुई : रोशनी और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था हो, जलजमाव हटाएं

जमुई जिले में कुल दो नगर पंचायत अलग-अलग प्रखंडों में स्थापित किए गए। इसी में एक नगर पंचायत सिकंदरा भी है। नगर पंचायत की स्थापना क्षेत्र के विकास के मकसद से की गई। जमुई को नगर परिषद का दर्जा दिया गया। सरकारी निर्देशानुसार इन नगर पंचायतों में काम भी शुरू हो गया है। हालांकि अभी यह नगर पंचायत थोड़ा नया है तो विकास कार्यों को समझ कर आगे बढ़ाया जा रहा है। नगर पंचायत सिकंदरा क्षेत्र में 12 वार्ड हैं। इसमें 18 हजार से अधिक आबादी है। नगर पंचायत बनने के बाद भी कई वार्डों में जलजमाव की पुरानी समस्या बरकरार है। शुद्ध पेयजल की भी समस्या शुरुआती दौर से बनी हुई है। बोले जमुई संवाद के दौरान स्थानीय लोगों ने अपनी समस्या बताई।

03 वर्ष हो चुके सिकंदरा नपं के गठन को

12 वार्ड हैं सिकंदर नगर पंचायत के अंदर

18 हजार की जनसंख्या है नगर पंचायत की

नगर पंचायत सिकंदरा के गठन हुए लगभग तीन वर्ष बीत चुके हैं लेकिन नगर पंचायत से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं की अभी भी लोगों को दरकार है। 12 वार्ड के इस नगर पंचायत की जनसंख्या 18 हजार के लगभग है। विकास के नाम पर काफी कार्य हुए हैं लेकिन अभी भी कुछ जगह यह नजर नहीं आ रहा है। नगर पंचायत के कई वार्डों में सड़क और नाला निर्माण की आवश्यकता है। नगर पंचायत में थाना, ब्लॉक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के कारण काफी संख्या में लोगों की आवाजाही होती है। बाजार में सार्वजनिक शौचालय, यूरिनल और शुद्ध पेय जल की सुविधा नहीं रहने से लोगों को परेशानी होती है। बस पड़ाव की मुकम्मल व्यवस्था नहीं रहने से वाहन सड़क पर ही खड़े रहते हैं। जाम की भी समस्या उत्पन्न होते रहती है। नगर पंचायत कार्यालय में आरटीपीएस काउंटर खुलने का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। नगर पंचायत बनने से लोगों को उम्मीद जागी थी कि मूलभूत सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

बस पड़ाव में नहीं है कोई व्यवस्था :

नगर पंचायत बस पड़ाव काफी व्यस्त रहता है। लेकिन बस पड़ाव में शुद्ध पेयजल, शौचालय, यात्रियों के बैठने का इंतजाम आदि सुविधा नदारद है। खास कर महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इमरजेंसी और प्रसव की सुविधा बहाल है परंतु रोगी के जरा सा भी सीरियस होने पर तत्काल उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। रोजगार के समुचित अवसर नहीं होने से मजदूर अन्य राज्यों में जा मजदूरी करने को विवश हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कई स्थानों पर डस्टबिन नहीं लगाया गया है। वहीं अभी और भी स्ट्रीट लाइट की जरूरत है।

जाम की समस्या से लोग रहते हैं परेशान :

सिकंदरा चौक पर अक्सर जाम की समस्या उत्पन्न होती रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि सिकंदरा से नवादा, शेखपुरा, लखीसरास और जमुई आने के लिए चौराहे से होकर गुजरना पड़ता है। चौरोह पर कोई बड़ी वाहन दोनों ओर से पहुंच गई तो जाम लग जाता है। जिस कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोग बताते है कि सिकंदरा चौराहा के समीप आस-पास काफी दुकान मौजूद है। सड़क की चौड़ाई कम होने के कारण सिकंदरा चौक पर अक्सर जाम की स्थिति उत्पन्न होती ही रहती है। जाम की समस्या से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन ने अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया है। जिस कारण लोगों को काफी परेशानी होती है। साथ ही चौराहे पर छोटी-बड़ी वाहन सड़क पर ही लगा देते है जिस कारण जाम लग जाता है।

शिकायत :

शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नगर पंचायत क्षेत्र में नहीं है।

नगर पंचायत क्षेत्र की कुछ जगहों पर सफाई की है कमी।

ऑटो पड़ाव नहीं होने से अक्सर जाम लग जाता है।

क्षेत्र में पर्याप्त स्ट्रीट लाईट, सड़कों-गलियों में रोशनी की व्यवस्था नहीं है।

जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से परेशानी है।

सुझा‌व

पार्किग की मुकम्मल व्यवस्था नगर पंचायत क्षेत्र में होनी चाहिए ताकि जाम की समस्या से निजात मिल सके।

जल निकासी की ठोस व्यवस्था होनी चाहिए ताकि जलजमाव की समस्या न हो।

चौराहे पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था जरूरी है।

सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल की व्यवस्था हो।

नल जल योजना में सुधार की आवश्यकता है।

हमारी भी सुनें

नगर पंचायत के कई वार्डों में गली में ढलाई सड़क बनी है। जलनिकासी की व्यवस्था नहीं हो पाई है। बरसात में परेशानी होती है।

-शंकर यादव

कई टोला में साफ-सफाई का अभाव है। इससे तो अच्छा ग्राम पंचायत का क्षेत्र था। नगर पंचायत बना तो आशाएं भी बढ़ी हैं।

-शंकर सिंह

कई टोला में सड़क की आवश्यकता है। कई महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने की जरूरत है।

-कारू तमोली

सिकंदरा नगर पंचायत में कई ऐसे वार्ड हैं जहां बरसात में जलजमाव बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो जाती है। जहां काम की जरूरत है।

-प्रदीप चौधरी

नगर पंचायत में कई मोहल्ले में नाला व सड़क की जरूरत है। इस दोनों के बनने से मोहल्ले वासियों को काफी राहत महसूस होगी।

-धर्मेंद्र सिंह

कई मोहल्ले में नल से जल नहीं आता है। इस कारण लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाता है। सुविधा हर हाल में मिलनी चाहिए।

-भोली सिंह

नगर पंचायत के चौक-चौराहे पर शौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खासकर महिलाओं को परेशानी हो रही है।

-वीणा सिंह

नगर पंचायत में कई स्थानों पर चापाकल खराब हो चुका है। स्थानीय प्रशासन चापाकल को ठीक कराए ताकि इस भीषण गर्मी में पानी का दिक्कत नहीं हो।

-मुन्ना बरनवाल

भीषण गर्मी को देखते हुए नगर पंचायत प्रशासन को सभी चौक-चौराहे पर प्याऊ की व्यवस्था करनी चाहिए। लोग अपनी प्यास बुझा सकें।

-सुनील पासवान

सिकंदरा प्राइवेट बस स्टैंड में यात्रियों के लिए शौचालय बना हुआ है पर पता नहीं चल पाता है। लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, सिकंदरा चौक-चौराहे पर शौचालय अतिआवश्यक है।

-पंकज बरनवाल

हमारी गली के नाले की सफाई नहीं होने के कारण सड़क पर नाले का पानी जमा रहता है, जिस कारण आने-जाने में परेशानी होती है।

-मनिक कुमार

सिकंदरा बाजार के रोड में अक्सर नाले का पानी जमा रहने से आने जाने में परेशानी होती है, समय पर नाला की सफाई होनी चाहिए।

-मिथलेश कुमार

हमारे घर की गली में अगर नया नाला व सड़क का निर्माण किया जाता है तो पानी की निकासी हो सकती है। लेकिन अभी तक न तो नाला निर्माण हो सका है और न ही सड़क का।

-चंदन महतो

सिकंदरा को नगर पंचायत बनने से बिजली बिल में इजाफा तो हुआ लेकिन सुविधा नदारद है। स्ट्रीट लाइट की कमी है।

-मेवालाल ठाकुर

हमारी गली की सड़क व नाली पूरी तरह बन जाने से दुर्गंध नहीं है, पर समय-समय पर सफाई जरूरी है। समय पर सफाई नहीं होती है।

-मधुसूदन पंडित

बरसात के समय में नाले का पानी ऊपर आ जाता है। नगर पंचायत बनने के बाद नया नाला व सड़क बनना जरूरी है, जिससे लोगों की परेशानी कम होगी।

-नवीन कुमार

बोले जिम्मेदार

नगर पंचायत बनने के बाद क्षेत्र में कई कार्य किए गए हैं। सार्वजनिक शैचायल के लिए भी प्रस्ताव लाया गया है। वहीं पेयजल के लिए तत्काल कई जगह सार्वजनिक प्याऊ की व्यवस्था की गई है। जरूरी कार्यों को प्राथमिकता की सूची में रखा जा रहा है। हमारी पूरी कोशिश है कि क्षेत्रवासियों को कोई परेशानी न हो और सभी समस्या का समाधान जल्द किया जाए।

-रूबी देवी, मुख्य पार्षद, नगर पंचायत सिकंदरा

बोले जमुई फॉलोअप

किसानों को मिले उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण

जमुई, नगर संवाददाता। किसानों का कहना है कि वे लोग मेहनत तो करते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में परेशानी होती है। उत्पादों को तैयार करने का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था यदि हो जाएगी तो आसान हो जाएगा। किसानों ने कहा कि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री दो-दो बार जमुई से सांसद रह चुके हैं। वे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की इकाई अगर जमुई में स्थापित कर दे तो मशाला के साथ-साथ फूलगोभी के उत्पादों को तैयार करने का प्रशिक्षण मिल सकता है। किसान फूलगोभी का अचार, सुखौट बना लेते हैं। सरकार को चाहिए कि नीलगाय से किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा उपलब्ध कराए। दो दशक पहले खेती में खर्च कम होता था। अच्छी वर्षा होती थी। जिसके कारण बड़े पैमाने पर धान, गेहूं, जौ, मकई, दलहन चना, खेसारी, उरद, मूंग, अरहर, तेलहन राई, तीसी, सरसों, मेथी, मंगरेला, धनिया, लहसुन आदि सभी प्रकार के फसलों का उत्पादन होता था। अलीगंज में प्रचुर मात्रा में धनिया, मशाला, मेथी, मंगरेला, सौंफ, लाल मिर्च, जमायन आदि की खेती भरपूर मात्रा में होती है। सामान्यत: एक एकड़ में फूलगोभी की खेती में सभी खर्च काटकर 40 हजार रुपए की शुद्ध आमदनी होती है। वहीं एक एकड़ में फूलगोभी का बीज उत्पादन करने पर आमदनी तीन लाख रुपया तक पहुंच जाती है। जबकि मशाले की खेती से किसानों को लागत की अपेक्षा मुनाफा अधिक होता। एक एकड़ मशाले की खेती में किसानों को लगभग डेढ़ लाख रूपया, जबकि लाल मिर्च की खेती में दो लाख रूपया तक का मुनाफा होता। वहीं सौंफ, धनिया, मंगरैला, अजवाइन में किसानों को प्रति कट्ठा 25 हजार की बचत होती। डिहरी के किसान सुभाष चंद्र कुमार, मुकेश सिंह, बबलु सिंह, ललन सिंह, रंजीत सिंह, पैक्स अध्यक्ष रविन्द्र प्रसाद सिंह, गोगल सिंह बताते हैं कि यहां के किसान काफी परिश्रमी हैं। उनके पास प्रतिभा और कुशलता की कमी नहीं हैं। एक दो बार उनलोगों ने भी बड़े पैमाने पर मशााला की खेती की थी। परंतु नीलगाय के आंतक से अब किसान मसाले की खेती करने से परहेज करने लगे हैं। वहीं स्थानीय पैदावार होने के कारण ऊंचे दामों में बिक्री भी नहीं हो पाती है। स्थानीय स्तर पर ही किसी तरह औने-पौने दाम में बेचना पड़ा। इस फसल में किसानों को लागत की अपेक्षा मुनाफा अधिक मिलता है। खरीफ तथा रबी फसल की खेती की पूंजी मसाले की खेती से ही निकल जाती है। किसानों की समस्या को लेकर बोले जमुई संवाद के दौरान 28 फरवरी को खबर का प्रकाशन किया गया था। विभाग को ध्यान देने की जरूरत है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें