Hindi Newsबिहार न्यूज़भागलपुरChallenges for Vikramshila Mahavihar Tourism Development in Bhagalpur

विक्रमशिला महाविहार को संवारने में अधिक चुनौती नहीं

फॉलोअप पर्यटकीय विकास के लिए हो रही उच्चस्तरीय कवायद सड़क, ट्रेन, हवाई सेवा, जलमार्ग की

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 24 Nov 2024 01:15 AM
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भागलपुर, वरीय संवाददाता। कहलगांव स्थित विक्रमशिला महाविहार के पर्यटकीय विकास के लिए अधिक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह क्षेत्र भले ही वर्षों से उपेक्षित है। लेकिन इलाके के समीप उपलब्ध संरचना को सिर्फ संवारने की आवश्यकता है। महाविहार स्थल के समीप सड़क, ट्रेन, हवाई सेवा, जलमार्ग आदि की सुविधा उपलब्ध है। लेकिन ये सुविधा पर्यटकों को कैसे सहूलियत प्रदान करे, इस पर काम की जरूरत है। पर्यटन मंत्रालय से विक्रमशिला महाविहार को लेकर जो सवाल पूछे हैं, उसकी ‘हिन्दुस्तान ने पड़ताल की। हवाई सुविधा : यहां से देवघर सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। देवघर एयरपोर्ट से कहलगांव की दूरी करीब 105 किमी है। कहलगांव से विक्रमशिला के लिए एनएच सड़क भी है और ट्रेन सेवा भी।

सड़क सुविधा : विक्रमशिला महाविहार कहलगांव की अंतीचक पंचायत में है। मुख्य सड़क एनएच 80 से अंतीचक आने के लिए ग्रामीण सड़क है। हां, सड़कें चौड़ी कम है लेकिन सड़क के दोनों ओर काफी जमीन है। जिससे भविष्य में इसे एमडीआर या स्टेट हाईवे का रूप दिया जा सकता है।

ट्रेन सुविधा : मालदा-भागलपुर रेलखंड पर स्थित है विक्रमशिला नामक स्टेशन। यहां फिलहाल एक-दो एक्सप्रेस को छोड़कर सभी पैसेंजर ट्रेनें रुकती है। स्टेशन को मॉडल बनाने की योजना मालदा डिविजन द्वारा प्रस्तावित है। भविष्य में इसे पर्यटकीय लिहाज से संवारा जा सकता है।

होटल सुविधा : कहलगांव ऐसे जगह पर है जहां से झारखंड बॉर्डर के जिले और भागलपुर शहर बराबरी पर है। दोनों जगहों पर अच्छे होटल व रेस्टोरेंट है। पर्यटकों की आमद बढ़ेगी तो इन होटलों की सुविधा भी बढ़ सकती है।

ग्रीन एनर्जी सुविधा : अंतीचक पंचायत में सोलर लाइट से गांव रात में जगमग कर रही है। यहां रूफ सोलर सिस्टम से आसपास के घरों में रोशनी हो सकती है। विक्रमशिला महाविहार परिसर सोलर लाइट से रोशन होती है।

स्टीमर सुविधा : हाल के वर्षों में विक्रमशिला महाविहार देखने काफी संख्या में विदेशी पर्यटक भी आए। महाविहार के नजदीक बटेश्वर स्थान के पास क्रूज रुकता है। जहां से पर्यटक बटेश्वर पहाड़ी, तीन पहाड़ी और गंगा में अटखेलियां करती डॉल्फिन को निहारते हुए प्राचीन विश्वविद्यालय पहुंचते हैं।

सभी विभागों से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर अगले हफ्ते विभाग को वर्तमान स्थिति से अवगत कराया जाएगा।

मिथिलेश प्रसाद सिंह, एसडीसी

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