बोले जमुई: अनुदानित दर पर मिले पशु आहार तो आजीविका का संकट होगा दूर
जमुई जिले में पशुपालन करने वाले किसानों को चारे की बढ़ती कीमतों के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दूध की बिक्री से उन्हें उचित लाभ नहीं मिल रहा है। पशु अस्पतालों की कमी और ऋण की जटिल...
जिले में काफी संख्या में लोग पशुपालन करते हैं। इनमें से कुछ पशुओं का पालन दूध के लिए तो कुछ का व्यावसायिक उद्देश्य से किया जाता है। इन पशुओं को मिलने वाला चारा महंगा होने के कारण अब पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लागत के हिसाब से उन्हें मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। जमुई। संजीव सिंह
जमुई कृषि और पशुपालन आधारित जिला है। जिले में पशुपालन किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का महत्वपूर्ण जरिया है। अधिकतर किसान खेतीबारी के साथ-साथ दुधारू पशुओं का पालन कर जीवनयापन करते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में बकरी, मुर्गी आदि पशुपालन करते हैं। जमुई जिले में 152 पंचायतें हैं। उसके साथ ही जमुई नगरपरिषद और झाझा और सिकंदरा दो नगर पंचायत हैं। जमुई जिले में 5 लाख 20 हजार 8 सौ मवेशी है। वहीं जिले में बकरी की संख्या 3 लाख 2 हजार 400 है। जिले में 14 हजार सूअर एक हजार सात सौ भेड़ का पालन किया जाता है। जिले में 22 पशु अस्पताल हैं। जिले के तीन प्रखंड सोन प्रखंड, चकाई प्रखंड और सिकंदरा प्रखंड में तीन-तीन पशु अस्पताल हैं। बाकी सभी सात प्रखंड मैं दो अस्पताल हैं। जिले में डॉक्टरों की संख्या मात्र 20 है। पशुपालकों के लिए 30 दवाएं अस्पताल में उपलब्ध है। यह यहां के सैकड़ों पशुपालकों की जीविका का साधन भी बना हुआ है। जमुई जिले में जंगल और पहाड़ रहने के कारण पहाड़ी नस्ल की छोटी-छोटी गाय और भैंस कम दूधवाली हुआ करती थी। लेकिन अब जमुई जिले के सभी किसान दुधारू गाय रख रहे हैं और इसमें आमदनी से ज्यादा खर्च हो रहा है जिसके कारण किसान मवेशी पालने में काफी परेशान हो रहे हैं। दूध की कीमत अधिक नहीं है जबकि मवेशी के चारा से लेकर खल्ली, घठ्ठा, चुन्नी, भूसा, मसूर की दाल, तीसी व सरसों की खल्ली के दाम आसमान छू रहे हैं। इस महंगाई में किसान बेबस हैं। पशुओं को सही तरीके का भोजन नहीं दिए जाने से उत्पादन पर असर पड़ रहा है। दूध का दाम 35 से 40 रुपए लीटर है। वह भी सही समय पर पैसा नहीं मिलता है। 2 से 3 महीने दूध खाने के बाद एक महीना का पैसा देता है। इस स्थिति में दूध उत्पादक को काफी परेशानी झेलनी पड़ती हैं। पशुपालकों को परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया है। पशुपालक हर समय साहूकारों और महाजन से कर्ज में डूबे रहते हैं। अगर दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को अनुदानित दर पर सूखा चारा और जरूरी पशु आहार मिले तो इनकी जीविका का संकट दूर होगा और पशुपालक आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
पंचायत स्तर पर बने पशु अस्पताल
पशु डॉक्टर और पशु अस्पताल की कमी के कारण ग्रामीण डॉक्टर की बल्ले बल्ले है। इस कारण गंभीर बीमारी में पशुओं से पशुपालक को हाथ भी धोना पड़ता है। वर्तमान में जिला क्षेत्र में प्रत्येक प्रखंड में एक या दो पशु अस्पताल हैं। इस कारण बीमार पशुओं को कई किलोमीटर पैदल अस्पताल नहीं ले जाया जा सकता है। परिणामस्वरूप प्रत्येक प्रखंड क्षेत्र में दर्जनों पशुपालकों को ग्रामीण चिकित्सकों से पशुओं का इलाज करवाना पड़ता है। पशु अस्पतालों में आवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में मिनरल, कैल्शियम सहित अन्य दवा नहीं मिलती है। पशुपालकों का कहना है कि अगर पंचायत स्तर पर पशु अस्पताल होगा तो आवागमन पर होने वाला खर्च व समय बचेगा।
पशुपालकों को बिना जटिल प्रक्रिया के मिले बैंक ऋण
जिले के सैकड़ों पशुपालकों ने बताया कि दूध उत्पादन कर बेचते हैं। पशुपालकों ने कहा, व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए ऋण की आवयश्कता होती है। सम्बंधित विभाग द्वारा ऋण की जटिल प्रक्रिया किए जाने के कारण ऋण सुविधा से हमलोगों को वंचित होना पड़ रहा है। सरकार को पशुपालकों के लिए सरल योजना लानी चाहिए।
पशु के इलाज को भी बने कार्ड, मौत पर मिले मुआवजा
पशुपालक दूध बेच कर कुछ कमा पाते हैं। जो भी उनके पास जमा पूंजी होती है और महाजन से कर्ज लेकर पशु खरीदते हैं। फिर अचानक उस पशु की मौत हो जाए या कुछ हो जाए तो फिर से पशु खरीदने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए सरकार नई योजना लाए ताकि मवेशी की आकस्मिक मौत की स्थिति में पशुपालकों को तुरंत मुआवजा मिले। इसके साथ पंचायत स्तर पर पशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जाए। इससे मवेशी यदि बीमार होगा तो उसका सही समय पर उपचार हो सकेगा।
सुझाव
1. पशुपालकों के सभी पशुओं की आसान तरीके से बीमा हो।
2. अनुदानित मुल्य पर सूखा चारा एवं जरूरी आहार मिले।
3. पशु अस्पताल में मिनरल, कैल्शियम एवं अन्य जरूरी दवा मिले, इलाज उपलब्ध हो।
4. पशुपालकों को सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं की जानकारी एवं लाभ मिले।
शिकायतें
1. ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालकों को बीमा की जानकारी नहीं है।
2. अस्पताल में अभाव में दवा महंगे भाव में दुकानों से खरीदते हैं।
3. पशुपालकों को महंगे भाव में पशु चारा खरीदना पड़ता है।
4. यदि मवेशियों का आकस्मिक निधन या दुर्घटना में मौत होता है तो मुआवजा के लिए चक्कर लगाना पड़ता हैं।
पशुपालकों का दर्द
पशुपालकों को चार सहित सारी सामान अनुदान पर मिलेगी तो पशुपालकों की आमदनी बढ़ेगी। पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी दूध उत्पादन भी बढेगा
सोनू रजक
पंचायत स्तर पर अस्पताल शुरू होने से इलाज में सुविधा होगी । साथ ही पशुपालकों के दूध की दामों में वृद्धि हो।
राहुल कुमार
पंचायत स्तर पर अनुदानित दर पर पशु चारा एवं आहार मिलने से आमदनी बढ़ेगी।
विकास कुमार
पंचायत स्तर पर पशु स्वास्थ्य सेवाओं को समुचित किया जाए। 24 घंटा चिकित्सा व्यवस्था मिले ।
बबलु मंडल
पशुपालकों को ऋण सुविधा को लचिला किया जाय। बैंक और सरकारी विभाग का चक्कर न लगाया जाए।
गोलू कुमार रावत
अनुदान पर मिले चारा और इलाज में भी पशु को हो समुचित। इसकी व्यवस्था सर जमीन पर किया जाए।
राजा कुमार
चारा लेने पर पशुपालक को अनुदान एवं इलाज के लिए कार्य मिले
अवधेश पंडित
पशु पालक और पशु का इंश्योरेंस हो। पशु के घर के निर्माण सामग्री को अनुदानित मूल्य पर मिले।
विपिन मंडल
दूध से उत्पादित सामग्री के लिए उचित बाजार उपलब्ध कराया जाए साथ ही
सुधांशु कुमार
पशुपालकों के लिए पशु मेला प्रखंड स्तर पर हो। साथ ही अधिक दूध उत्पादन वाले पशुपालकों को पुरुस्कार दिया जाए।
मिथलेश कुमार पासवान
जिले के सभी पशुपालकों का निबंध किया जाए। सभी योजनाओं का लाभ मिले ।
रामबालक पासवान
आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार पशुपालकों की समुचित व्यवस्था करें आमदनी बढ़ने से पशुपालकों की गरीबी दूर होगी।
अनिल कुमार
जिले के पशुपालक परिवारों के सभी सदस्यों को आयुष्मान कार्ड का लाभ मिले ।
उमेश साह
पशुओं के असामयिक निधन पर पशुपालकों को मुआवजा मिले। साथ ही हमारे लिए योजना लाई जाए।
नीरज कुमार
सुधा दूध संग्रह केंद्र में समूह के साथ ही अकेले भी दूध लेने से वृद्धि होगी। इसपर भी विचार होना चाहिए।
रणवीर कुमार
जिले के हर पंचायत में पशुपालन अस्पताल और डॉक्टर की समुचित व्यवस्था की जाए। पशु के बीमार होने पर 24 घंटे डॉक्टर उपलब्ध हो।
सुदामा यादव
क्या कहते हैं अधिकारी
जमुई जिले में 22 पशु अस्पताल हैं। जिले में 20 पशु डॉक्टर हैं। जमुई जिले के सोनो प्रखंड, चकाई प्रखंड और सिकंदरा प्रखंड में तीन-तीन पशु अस्पताल हैं। बाकी सभी प्रखंड में 2-2 पशु अस्पताल हैं। विटामिन इंजेक्शन, एलाजेसिक, एंटी पैराटीक,एंटीबाईटीक,एंटीस्टामिनिक सहित 30 प्रकार की दवाई पशु अस्पताल में उपलब्ध है। पशुपालकों को यदि कोई दिक्कत है तो वे मिलकर अपनी समस्या बता सकते हैं। उन्हें उचित सलाह दी जाएगी।
डा रामाअनुज प्रसाद, सहायक कुकुट पशुपालन पदाधिकारी, जमुई
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