बोले भागलपुर: हड़िया पट्टी को अतिक्रमण मुक्त कराने की जरूरत
भागलपुर के हड़िया पट्टी बाजार में व्यापारियों को अतिक्रमण, ट्रैफिक, और माल की आपूर्ति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 100 साल पुराना यह बाजार अब संकरा हो गया है, जिससे ग्राहक आने से कतराने लगे...
कलाली गली, हड़िया पट्टी, पराठा गली, फड़िया पट्टी इस नाम से आसपास के कई जिलों में भागलपुर के खाद्यान मंडी की पहचान है। हालांकि कलाली गली का नाम बदलकर अब दर्शन साह लेन कर दिया गया है। पुराने जानने वाले अभी उसी नाम से जानते हैं। भागलपुर खाद्यान व्यावसायी संघ के सदस्यों की मानें तो लगभग 100 साल के इतिहास वाले इस मंडी में कभी बैलगाड़ी आसानी से आ जाती थी। माल की लोडिंग और अनलोडिंग होती थी। अब हालात ऐसे हैं कि बाइक से भी अंदर घुस पाना मुश्किल है। मंडी में सुविधाओं का भी अभाव है। सूजागंज बाजार स्थित अनाज मंडी का इतिहास करीब सौ वर्ष से भी अधिक पुराना रहा है, जहां अनाज, किराना और मनिहारी सामान की दुकानें वर्षों से सजी हुई हैं। इस बाजार को लोग वर्षों से अलग-अलग गली और लेन के नाम से जानते हैं। कोई कलाली गली है तो हड़िया पट्टी और कोई फड़िया पट्टी। हर जगह खाद्यान की दुकानें हैं। यहां से भागलपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ शहरी क्षेत्र और आसपास के कई जिलों से खुदरा एवं थोक व्यवसायी खरीदारी कर अपना रोजगार करते हैं। पूरे जिले से लोग अपने घरेलू उपयोग के लिए खाद्यान्न सामग्री खरीदकर ले जाते रहे हैं। समय के साथ यहां कई तरह की समस्याएं बढ़ती गयीं और दिन-ब-दिन सुविधाओं का अभाव एवं प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह बाजार संकरा होता चला गया, जिसके कारण खरीदार यहां आने से परहेज करने लगे हैं। बाजार के संचालन और यहां के दुकानदारों की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए भागलपुर खाद्यान्न व्यवसायी संघ का गठन किया गया, जिसके माध्यम से इन दुकानदारों की समस्याओं को संबंधित विभाग, जिला प्रशासन, न्यायिक पदाधिकारियों के समक्ष रखा जाता है। बाजार और यहां से जुड़ी समस्याओं को लेकर भागलपुर खाद्यान्न व्यवसायी संघ के अध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि यह पूरा बाजार करीब एक किलोमीटर के दायरे में है। यहां एक हजार से अधिक दुकानें हैं। जहां हर तरह की खाद्यान्न सामग्री मिलती है।
उन्होंने बताया कि काफी पहले की बात है, तब इस बाजार की सड़कों एवं गलियों में खाद्यान्न सामग्री को लेकर बैलगाड़ी भी दुकान तक पहुंच जाया करती थी, लेकिन अब तो बाइक और छोटी गाड़ियों को भी यहां प्रवेश करना संभव नहीं हो पाता है। पैदल यात्री को भी बाजार में खरीदारी करने आने पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि अतिक्रमण और जाम के कारण सबसे अधिक समस्या होती है। जिससे व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है। बताया कि अर्थ व्यवस्था संभालने कि जिम्मेदारी व्यापारी उठाते हैं, लेकिन बात जब इस वर्ग को सुविधा मुहैया कराने की होती है तो कोई भी सरकार, जिला प्रशासन या नगर निगम प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता है। किसी तरह से कोई ऊंच-नीच हो जाए तो कार्रवाई या डंडा चलाने और वाहन चालकों को चालान करने में पुलिस जरा भी देर नहीं करती।
खाद्यान्न व्यवसायी संघ के मंत्री संदीप खंडेलवाल ने बताया कि करीब सौ किलोमीटर की दूरी तक यहां के बाजार से खाद्यान्न सामग्रियां जाती रही हैं। लेकिन सुविधाओं का अभाव, अतिक्रमण के कारण गाड़ियां दुकान तक नहीं पहुंच पाती हैं। जिसका खामियाजा सभी खाद्यान्न व्यवसायियों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने बताया कि रिटेल आउटलेट खत्म होता जा रहा है। इस कारण व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। यदि इस स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में व्यापारियों को भागलपुर से पलायन कर दूसरे जिले या राज्यों में जाना पड़ सकता है।
चालान काटे जाने से ऑटो चालक आने से कतराते हैं
भागलपुर। अध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि हड़िया पट्टी बाजार में व्यापारियों को इन दिनों अपने माल की आपूर्ति में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहले हाथ गाड़ी (ठेला) से माल आसानी से लाया जाता था, लेकिन समय के साथ ऑटो का उपयोग शुरू हुआ। पुलिस प्रशासन द्वारा 2500 रुपये तक का चालान काटे जाने से ऑटो चालक बाजार में आने से कतराने लगे हैं। इससे दुकानदारों को माल लाने में काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने दुकानदारों को निर्देश दिया है कि वे सुबह 7:00 बजे से पहले और रात 9:00 बजे के बाद ही माल की ढुलाई कर सकते हैं।
100 साल पुराने बाजार पर अतिक्रमण का खतरा
भागलपुर। व्यापारी शिव शंकर खेमका ने बताया कि हड़िया पट्टी बाजार की पहचान खाद्यान्न, किराना और मनिहारी सामान के लिए प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में की जाती है। यह बाजार लगभग 1 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। इसका इतिहास लगभग 100 वर्षों पुराना है। हड़िया पट्टी बाजार से अनाज, किराना और अन्य घरेलू सामान का थोक और खुदरा व्यापार बड़े पैमाने पर होता आ रहा है। बाजार की गलियों में कभी ग्राहकों की भीड़ उमड़ा करती थी। हाल के वर्षों में अतिक्रमण बढ़ने से गलियां संकरी हो गई हैं। बाजार में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्राहक अब यहां कम संख्या में आने लगे हैं।
पार्किंग और परिवहन की समस्या से व्यापार प्रभावित
भागलपुर। महामंत्री संदीप खंडेलवाल ने बताया कि ऐतिहासिक हड़िया पट्टी बाजार में व्यापारिक गतिविधियां लगातार प्रभावित हो रही हैं। बाजार में माल लाने के लिए परिवहन सुविधा की कमी और पार्किंग व्यवस्था का अभाव व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। यह बाजार कभी प्रदेश के टॉप 5 बाजारों में जाना जाता था लेकिन अब यहां छोटे व्यापारी और ग्राहक आने से कतराते हैं। कारण यह नहीं है कि बाजार में पर्याप्त सामान नहीं है। यहां अनाज, किराना और घरेलू सामान की भरपूर उपलब्धता है। पार्किंग न होने और ट्रैफिक की अव्यवस्था के कारण ग्राहक आने से कतराने लगे हैं।
बुनियादी सेवाओं की बाजार में अनदेखी
भागलपुर। व्यवसायी अभिषेक जैन ने बताया कि हड़िया पट्टी बाजार में बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण व्यापारियों और ग्राहकों के लिए परेशानी है। इस क्षेत्र में 1000 से अधिक दुकानें हैं, लेकिन नगर निगम द्वारा यहां बुनियादी सेवाओं की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह नगर निगम के वार्ड संख्या 38 में आता है। सफाई व्यवस्था का हाल बेहद खराब है। अगर कभी नालों की सफाई की जाती है तो गंदगी को 4-5 दिनों तक वहीं छोड़ दिया जाता है। जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को बदबू और असुविधा का सामना करना पड़ता है। सुरक्षा के दृष्टि से पुलिस गश्त जरूरी है। यहां नियमित गश्ती नहीं होती।
मिरजानहाट की मंडी उजड़ी, जो बची उसे जाम ने जकड़ा
भागलपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। भागलपुर के मुख्य बाजार में जाम के कारण जहां व्यवसायियों को परेशनी हाती है वहीं खरीदार भी बाजार में जाम, गंदगी और अतिक्रमण के कारण आने से कतराते हैं।
व्यवसायियों का कहना है कि पटना और गुलाबबाग के बाद भागलपुर की मंडी हुआ करती थी, लेकिन आज इसके बाद बनने वाली मंडी काफी बेहतर स्थिति में चली गई पर भागलपुर की मंडी प्रशासनिक उदासीनता के कारण बदतर हालत में है। जो व्यवसायी कभी भागलपुर की मंडी से सामान ले जाया करते थे आज वो भागलपुर को माल बेचते हैं। इससे पहले मिरजानहाट में भी अनाज की गद्दी थी लेकिन वह मंडी उजड़ गई। विडंबना है कि जो मंडी बची है उसे जाम ने जकड़ लिया है। आखिर व्यवसाय कैसे होगा। भागलपुर खाद्यान्न व्यवसायी संघ के अध्यक्ष संजय कुमार ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर लोहिया पुल के नीचे वाले मार्ग पर छोटे मालवाहक वाहनों एवं ठेला द्वारा माल ढुलाई के लिए जगह उपलब्ध कराने की मांग की है। व्यवसायियों ने निर्मला होटल के नीचे और लोहिया पुल से स्टेशन तक पूरे मार्ग से अतिक्रमण हटवाकर जाम की समस्या का निराकरण कराने की मांग करते हुए बाजार में सुगम रूप से व्यापार चल सके, इसके लिए साफ-सफाई समेत सभी तरह की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की मांग जिला प्रशासन से की है।
सड़क की सफेद लाइन के बाद जगह नहीं बचती
सह मंत्री राजन कुमार साह और व्यापारी निखिल खेमका ने बताया कि जिला प्रशासन ने एक नई व्यवस्था बनाई है जिसमें किसी भी वाहन को सड़क की सफेद लाइन के नीचे ही लगाना अनिवार्य किया गया है। इस मार्ग में अतिक्रमण के कारण सफेद लाइन के बाद जगह नहीं बचती। जिसके कारण प्रशासन द्वारा उनके माल वाहनों को भी परेशान करते हुए चालान काट दिया जाता है। चालान के डर से ऑटो चालक आने से डरते हैं।
सड़कें अतिक्रमण करने से लगता है जाम, परेशानी
संदीप खंडेलवाल ने बताया कि इस मार्ग में सड़क के दोनों ओर करीब 15 फीट फुटपाथ की जगह खाली पड़ी है। वहां पर कुछ स्थायी दुकानदारों और अतिक्रमणकारियों द्वारा दुकान लगाकर सड़क जाम कर दिया जाता है। जिससे बाजार आने वालों को पैदल चलने में दिक्कत होती है। इस मार्ग पर आए दिन जाम की समस्या बनी रहती है। उन्होंने बताया कि तत्कालीन सदर एसडीओ कुमार अनुज को आवेदन देने पर उन्होंने वहां आकर इसी मार्ग से बस स्टैंड के लिए बसों का परिचालन शुरू कराया था, तब से कभी भी इस सड़क पर जाम या खाद्यान्न सामग्रियों की ढुलाई में कोई समस्या नहीं हुई, जबकि इससे पहले जनता को भी जाम की समस्या का सामना करना पड़ता था। आज स्थिति बदतर हो गई है, जिसका स्थाई समाधान प्रशासन द्वारा कराए जाने की जरूरत है।
इनकी भी सुनिए
बाजार में व्यापारियों को लगातार बढ़ते अतिक्रमण की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बाजार में अनाज, किराना और मनिहारी सामान के थोक और खुदरा व्यापार के लिए जाना जाता है। बाजार की गलियों में अतिक्रमण बढ़ने से गलियां संकरी होती जा रही हैं।
-मुकेश कांवरिया
बाजार की गलियों में कभी ग्राहकों की भारी भीड़ रहती थी, लेकिन अब जगह की कमी और अव्यवस्था के कारण ग्राहक यहां आने से बचने लगे हैं। अतिक्रमण के कारण माल ढुलाई में भी दिक्कतें हो रही हैं, जिससे थोक और खुदरा दोनों ही व्यापार प्रभावित हो रहे हैं।
-तस्लीम अफरोज
हड़िया पट्टी बाजार में व्यापारियों को माल आपूर्ति में लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। दुकानों तक माल पहुंचना एक बड़ी समस्या बन गयी है, क्योंकि ऑटो चालकों में पुलिस के चालान का डर बैठ गया है।
-राजन कुमार
जब सामान समय पर नहीं पहुंचता है, तो ग्राहक नाराज हो जाते हैं। वे अन्य बाजार की ओर रुख करने लगते हैं। यह स्थिति विशेष रूप से छोटे और मध्यम दुकानदारों के लिए नुकसानदायक हो रही है। जिला प्रशासन माल लोडिंग और अनलोडिंग के लिए एक स्थान चिह्नित कर दे।
-निखिल खेमका
बाजार में सफाई व्यवस्था की लचर स्थिति से दुकानदारों और ग्राहकों को काफी परेशानी होती है। निगम द्वारा सफाई कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। नालों की सफाई के दौरान कचरा तो बाहर निकाला जाता है, लेकिन उसे कई दिनों तक सड़क पर ही छोड़ दिया जाता है, जिससे बदबू और गंदगी फैलती है।
-गौतम कुमार
बाजार में दुकानें बंद होते ही पूरा इलाका अंधेरे में डूब जाता है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से चिंताजनक है। अंधेरे के कारण दुकानदारों को असुरक्षा का अनुभव होता है। बाजार में स्ट्रीट लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं है।
-नरेश खेमका
बाजार में पर्याप्त पुलिस गश्ती नहीं होने के कारण असामाजिक तत्वों का डर बना रहता है। दुकानदारों को हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि कहीं चोरी या किसी अन्य अप्रिय घटना न हो जाए। बाजार में हजारों दुकानें हैं, जहां रोजाना बड़ी संख्या में ग्राहक आते हैं, लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस गश्ती का अभाव है।
-रोहित कुमार
बाजार में पहले भी कुछ घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन लाइट की व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया। दुकानें बंद होते ही बाजार में घना अंधेरा हो जाता है। लाइट की कमी के कारण चोरी और अन्य आपराधिक घटनाओं की आशंका दुकानदारों के मन में बनी रहती है।
-अभिषेक आनंद
माल ढुलाई के लिए ऑटो की जरूरत पड़ती है, लेकिन चालकों को 2500 रुपये तक का चालान काटे जाने का डर रहता है। इस वजह से ऑटो चालक बाजार में आने से कतराने लगे हैं और दुकानों तक समय पर माल नहीं पहुंच पाता है।
-आशीष कुमार
व्यापारियों को माल लाने और ले जाने में लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाजार में माल लोड और अनलोड करने के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं है, जिसके कारण ऑटो चालकों को चालान का डर रहता है और वे बाजार में आने से कतराते हैं। इसका सीधा असर दुकानदारों पर पड़ रहा है।
-विक्रम कुमार
बाजार को अतिक्रमण मुक्त किया जाए, ताकि बाजार में फिर से ग्राहकों की आवाजाही बढ़ सके। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो व्यापारिक गतिविधियां और अधिक प्रभावित हो सकती हैं। व्यापारियों और ग्राहकों की सुविधा के लिए आवागमन को सरल बनाया जाए।
-बजरंग खेमका
सफाई की कमी के कारण ग्राहक भी बाजार में आने से कतराते हैं। साफ–सफाई नहीं होने के कारण बाजार की छवि प्रभावित हो रही है और इससे दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। नाले की सफाई के बाद कचरा तुरंत हटाने की व्यवस्था की जाए, साथ ही नियमित सफाई भी हो।
-अनिल खेमका
शिकायत
1. माल लोड और अनलोड करने के लिए निश्चित स्थान नहीं होने से ऑटो चालकों में चालान का डर बना रहता है। जिससे वे आने से कतराते हैं।
2. बाजार की गलियों में अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है, जिससे गलियां संकरी हो गई हैं और ग्राहकों की आवाजाही प्रभावित हो रही है।
3. बाजार क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से ग्राहकों की संख्या में कमी हो रही है।
4. नाले की सफाई के बाद कचरा 4-5 दिनों तक सड़क पर ही छोड़ दिया जाता है, जिससे बदबू फैलती है।
5. ट्रैफिक जाम और ऑटो चालकों से भारी चालान काटे जाने से माल परिवहन प्रभावित होता है।
सुझाव
1. प्रशासन एक निश्चित स्थान को चिह्नित करे जहां दुकानदार आसानी से माल उतार और लोड कर सकें। सुबह और रात की समय-सीमा में बदलाब किया जाए।
2. प्रशासन द्वारा नियमित तौर पर अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाए। व्यापारियों को जागरूक किया जाए कि वे अपने सामान को निर्धारित क्षेत्र में ही रखें।
3. बाजार के नजदीक एक बहु-स्तरीय पार्किंग का निर्माण किया जाए। सड़कों के किनारे अतिक्रमण हटाया जाए और जुर्माना भी बसूला जाए।
4. सफाई के बाद कचरे को तुरंत हटाने की व्यवस्था की जाए। सफाई कर्मचारियों की नियमित तैनाती और मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए।
5. बाजार के लिए एक अलग से 20 ऑटो क्षमता वाली पार्किंग हो या पुलिस प्रशासन को मालवाहक चालकों के लिए उचित स्थान उपलब्ध करायी जाए।
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