सुपौल : संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है मां जानकी : आचार्य
सुपौल ।श्री जगत जननी भगवती सीता की अपार महिमा संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्तहै वेद शास्त्र पुराण इतिहास तथा धर्म ग्रंथो में इनकी अनंत लीलाओं का अनंत व

सुपौल ।श्री जगत जननी भगवती सीता की अपार महिमा संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है वेद शास्त्र पुराण इतिहास तथा धर्म ग्रंथो में इनकी अनंत लीलाओं का अनंत वर्णन पाया जाता है ।यह भगवान रामचंद्र जी की प्राण प्रिया आद्या शक्ति हैं ।इन्हीं की भृकुटी विलास मात्र से उत्पत्ति स्थिति संघार आदि कार्य हुआ करते हैं। श्रुति का वाक्य है कि समस्त देहधारियों की उत्पत्ति पालन तथा संहार करने वाली आद्या शक्ति मूल प्रकृति भगवती सीता जी ही हैं। जानकी जी साक्षात आद्या परात्परा शक्ति कहलाती है । उपनिषद में कहा गया है कि पृथ्वी, पाताल स्वर्ग आदि, तीनों भुवन , सप्त द्वीप वसुंधरा तीनों लोक तथा आकाश यह सभी जानकी जी में प्रतिष्ठित हैं ।यह
कहना है पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का ।उन्होंने 6 मई मंगलवार को भगवती सीता जी जानकी जी की प्राकट उत्सव है ।उन्होंने कहा कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को भगवती जगत जननी जगदंबा मां मैथिली जानकी की प्राकट उत्सव संपूर्ण देश में हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं ।आज ही के दिन भगवती मां मैथिली का प्रादुर्भाव हुआ था।वाल्मीकि संहिता में जानकी जी को श्रुतियों की भी माता बतलाया गया है ।एक बार सब श्रुतियों को यह जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि हमारे माता-पिता कौन हैं? इस तत्व को जानने के लिए बहुत प्रयास किया गया पर जब पता ना लगा तब श्रुतियों ने ब्रह्मा जी के पास गई और बोली हे ब्रह्मा जी ,कृपया हमें यह बताएं कि हमारे माता-पिता कौन हैं ?तब ब्रह्मा जी ने कहा! मिथिला में महाराज जनक जी के राजमहल में जो श्री सीता जी जमीन से हल के द्वारा प्रकट हुई उन्हीं श्री जानकी जी को तुम अपनी जननी समझो और श्री राम जी को ही अपना पिता समझो। इससे यह सिद्ध होता है की जानकी जी ही सकल स्तुति वंदिता परात्परा शक्ति हैं ।इस प्रकार शास्त्र और संत जनों ने श्री सीता जी को ही आद्या शक्ति परात्परा शक्ति तथा सर्वशक्ति शिरोमणि कह कर वर्णन किया है ।इसलिए जगदंबा श्रीजनक राजपुत्री श्री रामप्रिय श्री जानकी जी ही परात्परा आद्या शक्ति है।आज ही के शुभ दिन यानि वैशाख शुक्ल नवमी को भूमि से माता जानकी का प्रादुर्भाव हुआ था ।अतः सभी श्रद्धालु भक्तों को इस दिन जानकी नवमी का व्रत उपवास एवं विधि विधान पूर्वक साधना व उपासना दान आदि कार्य अवश्य ही करनी चाहिए। शक्ति की उपासना से ही शक्ति की प्राप्ति होती है।
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